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ALLAHABAD: मजबूर लोगों का फायदा उठाकर खून की दलाली करने वाला गिरोह रविवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। गिरोह के सदस्य स्टैनली रोड स्थित ब्लड बैंक के बाहर रक्तदान करने वालों से पहले सौदा कर लेते थे। इसके बाद खून को ऊंची कीमत पर बेचते थे। गोरखधंधे में शामिल सात लोगों को पुलिस ने पकड़ लिया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है।

शिकायत पर एक्शन
रविवार शाम पुलिस लाइन सभागार में एसएसपी नितिन तिवारी ने मीडिया के सामने अभियुक्तों को पेश किया। एसएसपी ने बताया कि इस संबंध में ब्लड बैंक के सचिव डॉ। त्रिभुवन की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया। फिर सीओ सिविल लाइंस श्रीशचंद्र व इंस्पेक्टर कैंट आरएस रावत ने छापेमारी कर सात को दबोच लिया। इस मामले में करीब 50 लोग और होंगे जिनकी तलाश चल रही है।

पूरा गैंग बना रखा था

1. अभय पांडेय पुत्र कमलाकर, 27 वर्ष

पॉलीटेक्निक छात्र

सिंडिकेट का सरगना था। मूलरूप से कुशीनगर जिले के लच्छीराव थाना क्षेत्र स्थित मैरवा गांव का निवासी। उंचवागढ़ी राजापुर में रहता है।

2. जैनिद अंडूरी पुत्र प्रेम अंडूरी, 22 वर्ष

उत्तराखंड स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय में बीटेक का छात्र है। पीएसी कॉलोनी नैनी में रहता है।

3. सुधाकर सिंह, पुत्र साधुराम, 25 वर्ष

कानपुर विश्वविद्यालय में एमए का स्टूडेंट। खीरी बहराइच के निवासी।

4. यासिर अंसारी पुत्र नफीस अहमद अंसारी, 20 वर्ष

इंटर का स्टूडेंट, कर्नलगंज का रहने वाला।

5. मो। सिद्दिकी पुत्र सोहराब, 32 वर्ष

मांडा में क्लीनिक चलाता है। मांडा का निवासी

6. गोपाल अवस्थी पुत्र स्व। शिवपाल अवस्थी, 23 वर्ष

मजदूरी करता है, अलोपीबाग में रहता है

7. राकेश सोनकर पुत्र राजाराम सोनकर, 25 वर्ष

जूस की दुकान चलाता है, जॉर्जटाउन निवासी

ऐसे करते थे सौदा

अभय पांडेय गैंग का सरगना था। सभी लोग उसके पास फोन करके ब्लड डोनेट के संबंध में लोग उपलब्ध कराते थे।

-वह साथियों के साथ ब्लड बैंक के पास खड़ा रहता और वहां आने वालों से पूछताछ करके खून की व्यवस्था करने का भरोसा दिलाते थे।

-ब्लड बैंक पहुंचने वाले तीमारदार के पास अगर डोनर नहीं होता था तो सिंडिकेट के सदस्य उनसे 10 से 15 हजार रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से सौदा करते थे।

-यासिर, जैनिद, मो। सिद्दिकी ब्लड डोनेट करने वालों की व्यवस्था करते थे। इसके एवज में इन सभी को दो-दो हजार रुपए मिलते थे।

-अभय रक्तदाता को एक से दो हजार रुपए देता और बाकी रकम अपने पास रख लेता।

- सुधाकर, गोपाल, राकेश भी अभय के कहने पर ब्लड डोनेट करते थे।

प्रतियोगी छात्र भी रहें सतर्क

सीओ श्रीशचंद्र ने बताया कि गिरोह के सदस्य सबसे सॉफ्ट टारगेट प्रतियोगी छात्रों को बनाते थे। वह अक्सर किसी किसी छात्र के जरिए दूसरे छात्रों के साथ मिलकर उन्हें यह कहते थे कि उनका कोई रिश्तेदार हॉस्पिटल में एडमिट है और उसे अरजेंट खून की जरूरत है। ऐसे में प्रतियोगी छात्र पूरे विश्वास के साथ रक्तदान करते। जबकि यह खून के सौदागर जरूरतमंद को खून महंगी कीमत पर बेच देते थे। अभय का कई अस्पतालों से भी संपर्क था, जिसको वह खून की सप्लाई करता था।

कई बार पुलिस व प्रशासन से हुई शिकायत

एएमए के सचिव डॉ। त्रिभुवन सिंह का कहना है कि कई माह पहले से हमलोग पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से प्रोफेशनल डोनर्स के खिलाफ शिकायत कर रहे थे, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। यहां तक कि पूर्व कमिश्नर राजन शुक्ला ब्लड डोनेशन में काफी इंट्रेस्टेड थे और उनसे भी शिकायत की गई थी।

अधिक डिमांड का फायदा उठाते हैं बदमाश

शहर के तमाम ब्लड बैंकों में खून की जितनी डिमांड है उतनी सप्लाई नही हो पाती। इसी का फायदा प्रोफेनशल डोनर्स उठाते हैं। आंकड़ों पर जाएं तो एएमए ब्लड बैंक में रोजाना ढाई सौ यूनिट की डिमांड होती है और बदले में दो सौ यूनिट सप्लाई की जाती है। इसी तरह काल्विन, बेली और एसआरएन हॉस्पिटल के ब्लड बैंकों में भी दलाल सक्रिय है।

07 लोगों को किया गया गिरफ्तार

50 और लोगों की चल रही तलाश

10-15 हजार रुपए प्रति यूनिट में होता था सौदा

-खून के दलाल लंबे समय से यह गोरखधंधा कर रहे थे। पूरी संभावना है कि इस काम में एएमए द्वारा संचालित ब्लडबैंक के कुछ कर्मियों की मिलीभगत हो सकती है। इसकी पूरी तस्दीक की जा रही है और साक्ष्य मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

नितिन तिवारी, एसएसपी