PATNA : सोमवार को मुख्यमंत्री के लोकसंवाद कार्यक्रम में विभिन्न समस्याओं को लेकर कई सुझाव दिए गए। लोगों की ओर से दिए गए सुझाव में कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है। सुझाव में बताया गया कि नियमों का हवाला देकर राज्य में चल रहे ब्लड बैंक मरीजों को लूट रहे हैं। खून के लिए दोगुनी कीमत वसूली जा रही है।

इसके अलावा अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी थैलीसिमिया व हीमोफीलिया के मरीजों के लिए डे-केयर सेंटर खोलने के सुझाव दिए गए। इसके अलावा राज्य के रिमांड होम और शार्ट स्टे सेंटर में ट्रेनिंग देकर ट्रांसजेंडरों को गार्ड के रूप में नियुक्त करने का सुझाव दिया गया।

दोगुनी रकम की होती है वसूली

रक्त दान के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे मुकेश हिसारिया ने कहा कि बिहार स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कांउसिल की बैठक पिछले तीन वर्षो से नहीं हुई है। इसका गलत फायदा ब्लड बैंक उठा रहे हैं। बहुत सारे ब्लड बैंक नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन कांउसिल का हवाला देकर मरीजों से दोगुनी रकम वसूलते हैं। उन्होंने बताया कि बिहार स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कांउसिल के प्रावधान मरीजों के अनुकूल हैं लेकिन राज्य में इसके सक्रिय नहीं रहने से इसका फायदा मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।

डे केयर सेंटर खोले जाएं

उन्होंने मुख्यमंत्री को यह सुझाव दिया कि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी थैलीसिमिया और हीमोफीलिया के मरीजों के लिए डे-केयर सेंटर खोला जाए। इसके साथ ही डोनर के ब्लड की जांच अत्याधुनिक तकनीक से कराने के लिए मशीनें लगाई जाएं। क्रास मैचिंग मैनुअल तरीके से अभी हो रही जिसमें गलती की आशंका बनी रहती है। इस वजह से कभी-कभी मरीजों की जान तक चल जाती है।

प्रोसेसिंग फीस माफ हो

हिसारिया ने झारखंड सरकार के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी ब्लड बैंक से मिलने वाले ब्लड के लिए ली जाने वाली प्रोसेसिंग फीस को सरकार माफ करे। सभी ब्लड बैंकों के लिए ब्लड कंपोनेंट मशीन को लगाया जाना अनिवार्य किया जाए। इसके नहीं रहने की वजह से ब्लड के सभी कंपोनेंट का उपयोग नहीं हो पाता है। सभी ब्लड बैंकों को इंटरनेट से लिंक किए जाने का भी सुझाव दिया।