एमजीएम हॉस्पिटल मे हर महीने करीब 1000 यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में ब्लड अवेलेबल नहीं होने की वजह से पेशेंट्स को काफी परेशानी हो रही है। एमजीएम ब्लड बैैंक में फिलहाल ब्लड के लिए डोनर लाने के लिए कहा जा रहा है। अगर पेशेंट के पास सेम ब्लड ग्र्रुप का कोई डोनर होता है, तो उसका ब्लड निकालकर पेशेंट को दिया जाता है।

जमशेदपुर ब्लड बैंक है सहारा
हॉस्पिटल मे ब्लड नहीं होने की वजह से ज्यादातर पेशेंट्स को ब्लड के लिए जमशेदपुर ब्लड बैैंक भेजा जाता है। यहां से हर महीने एमजीएम के पेशेंट्स को करीब 450 से 500 यूनिट ब्लड दिया जाता है। एमजीएम के अलावा जमशेदपुर ब्लड बैैंक पर सिटी के करीब 85 से 86 नर्सिंग होम्स डिपेंडेंट हैैं। सभी को हर महीने करीब 3000 यूनिट ब्लड दिया जाता है। इसके अलावा यहां से थैसेसिमिया और सिकल सेल डिजीज के पेशेंट्स को भी हर साल करीब 6000 यूनिट ब्लड मुहैया कराया जाता है। एमजीएम से आने वाले पेशेंट्स की इकोनॉमिक कंडीशन को देखते हुए ब्लड बैैंक द्वारा ब्लड की कीमतों में भी रियायत की जाती है। आम पेशेट से जहां एक यूनिट ब्लड के लिए 500 रुपए लिए जाते हैं, वहीं एमजीएम के पेशेंट्स के लिए सिर्फ 250 रुपए ही चार्ज है। ज्यादा गरीब पेशेंट्स को सुपरिंटेंडेंट के लेटर के आधार पर फ्री में भी ब्लड दिया जाता है।


इतना है ब्लड कलेक्शन
जमशेदपुर ब्लड बैैंक में हर साल लगभग 100 से 150 सोशल ऑर्गनाइजेशन के माध्यम से 44,000 यूनिट ब्लड का कलेक्शन किया जाता है। हालांकि गर्मियों मे ब्लड कलेक्शन में थोड़ी कमी आती है। इस सीजन में हर महीने 700-800 यूनिट ब्लड कलेक्ट होता है। दूसरे सीजन की बात की जाए तो ब्लड का कलेक्शन करीब 1200 से 1300 यूनिट होता है। गर्मी में तो एमजीएम ब्लड बैैंक का स्टॉक करीब-करीब नील हो जाता है। एमजीएम ब्लड बैैंक को लगभग 40 से 45 सोशल ऑर्गनाजेशन से ब्लड मिलता है। मगर गर्मी में ब्लड डोनेशन कैंप कम लगने की वजह से ब्लड की कमी हो जाती है।

इनकी ज्यादा किल्लत
बी निगेटिव, ए निगेटिव, एबी जैसे कुछ ब्लड ग्र्रुप्स की ज्यादा कमी रहती है। जमशेदपुर ब्लड बैैंक में फिलहाल एबी ब्लड ग्र्रुप की थोड़ी शॉर्टेज चल रही है। ऐसे में इन ग्र्रुप के पेशेंट्स को ब्लड के लिए ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है।

क्यों होती है प्रॉब्लम?
 गर्मी मे ब्लड डोनेशन कैंप की संख्या में होने वाली इस कमी का मेन रीजन इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। ब्लड डोनेशन कैंप के लिए ठंडे मौसम की जरूरत पड़ती है। गर्मी में इस समस्या से निजात पाने के लिए एयर कंडिशन्ड हॉल का सहारा लिया जाता है, लेकिन कई बार सुविधाओं के अभाव में यह व्यवस्था पॉसिबल नहीं हो पाती। इसके अलावा दूर-दराज के इलाकों में इस सीजन में कैंप लगाना काफी मुश्किल होता है। गर्मी में लगने वाले कैंप में ब्लड डोनर्स भी कम ही पहुंचते हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी के श्याम कुमार ने इसके लिए लोगों के डर को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि कई बार लोगों को यग वहम होता है की गर्मी में ब्लड डोनेट करने से कमजोरी या बीमार पडऩे की संभावना रहती है। इस वजह से लोग ब्लड डोनेट करने से कतराते हैं।

करीब एक महिने से ब्लड बैैंक का स्टॉक खत्म है। गर्मी में ब्लड कलेक्शन में काफी कमी आ जाती है। फिलहाल डोनर लाने पर पेशेंट को ब्लड दिया जा रहा है।
डॉ बीके चौधरी
एचओडी, एमजीएम ब्लड बैैंक

ब्लड के लिए डोनेशन कैंप पर निर्भर रहना पड़ता है। गर्मियों में प्रॉब्लम बढ़ जाती है। इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में भी प्रॉब्लम होता है।
डॉ एके सिंह
डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम