RANCHI: रिम्स में तीसरे दिन भी ब्लड के लिए मारामारी होती रही। यहां निगेटिव तो दूर सामान्य ग्रुप का खून भी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में खून के बदले ही मरीजों खून दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, ब्लड क्राइसिस को दूर करने के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स और आर्गनाइजेशन से भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि रिम्स में ब्लड की किल्लत को दूर किया जा सके। वहीं सिटी के अन्य ब्लड बैंक्स में भी स्थिति ठीक नहीं है। निगेटिव ग्रुप का तो खून ही नहीं है। ऐसी स्थिति में परिजनों को दूसरे बैंकों में भी निराशा ही हाथ लग रही है।

ब्लड देने के बाद तुरंत प्रॉसेसिंग

अगर किसी मरीज को ओ-पॉजिटिव ग्रुप का खून चाहिए तो उसे डोनर भी ओ पॉजीटिव ग्रुप का ही लाना होगा। तभी उसे सेम ग्रुप का खून मिल पाएगा। वहीं कुछ मरीजों के लिए तो परिजन का ब्लड लेने के बाद वहीं प्रोसेस करके दिया जा रहा है। इस चक्कर में काफी समय भी लग रहा है। वहीं ब्लड के लिए भी वेटिंग मिल रही है। परिजनों से कहा जा रहा है कि ब्लड अवेलेबल होने के बाद ही मिलेगा। लेकिन इसमें कितना समय लगेगा कहना मुश्किल है।

प्राइवेट हास्पिटलों में भी टोटा

रिम्स के बाद सिटी के अन्य प्राइवेट हास्पिटलों में भी ब्लड बैंक है। जिसमें कुछ यूनिट खून तो अवेलेबल है। लेकिन वे भी बाहर के मरीजों को देने से इनकार कर रहे हैं। चूंकि उनके हास्पिटलों में मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में वे खुद के लिए कुछ ब्लड स्टॉक में रख रहे हैं। वहीं ब्लड बैंकों में निगेटिव ग्रुप का ख्रून ही नहीं बचा है। सामान्य ग्रुप का खून भी लिमिट में है।

ब्लड बैंकों में खून अवेलेबल

रिम्स ब्लड बैंक 00 यूनिट

गुरुनानक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 38 यूनिट

झारखंड ब्लड बैंक 37 यूनिट

मेदांता हास्पिटल 38 यूनिट

रिंची ट्रस्ट हास्पिटल 43 यूनिट

नागरमल मोदी सेवा सदन 27 यूनिट