सरकारी ब्लड बैंकों में जरूरत पर नही मिलता खून

रेयर ब्लड ग्रुप की मारामारी, प्लेटलेट्स के लिए लगती है लाइन

केवल दो तिहाई लोगों की पूरी हो पाती है मांग

ALLAHABAD: शहर सरकारी ब्लड बैंकों में एक-एक बूंद खून के लिए मारामारी मची है। मरीजों और परिजनों को ब्लड उपलब्ध न होने पर उन्हें प्राइवेट ब्लड बैंकों का रुख करना पड़ता है। मजबूरी में मरीज दलालों का शिकार भी हो जाते हैं तो खून की कमी से जान जाने की नौबत भी आ जाती है। रेयर ब्लड ग्रुप की डिमांड पर सेम ग्रुप का डोनर ढूंढने में परिजनों के पसीने छूट जाते हैं। कुल मिलाकर सरकार इस ओर ध्यान देने के बजाय मरीजों की मुश्किले बढ़ाती जा रही है।

अगले दिन तक करना होता है इंतजार

शहर के सरकारी ब्लड बैंकों में हमेशा स्टाक का टोटा रहता है। रेयर माने जाने वाले निगेटिव ब्लड ग्रुप शायद ही तत्काल मिले। मजबूरी में इसके लिए प्राइवेट सेंटर पर जाना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार शहर में प्रतिदिन तीन सौ यूनिट ब्लड की डिमांड होती है। इसके सापेक्ष दो सौ यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है। बाकी लोगों को अगले दिन तक इंतजार करना होता है।

वीआईपी और दलालों के चक्कर में खत्म हो जाता है स्टाक

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में अक्सर ब्लड का टोटा बना रहता है। शुक्रवार को भी यही हालात रहे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने ब्लड बैंक के एक सोर्स से बात की तो हकीकत सामने आ गई। बताया कि पहले तो डोनर की जबरदस्त कमी है। अगर कोई ब्लड लेने आता है तो किसी नेता, मंत्री या अधिकारी की सिफारिश लेकर आता है। ऐसे में उसे बिना डोनर ब्लड मुहैया कराया जाता है। इस तरह से स्टाक कम होता है। दूसरे दलालों का काकस भी हावी है। जो लाख सख्ती के बावजूद ब्लड मिसयूज करने से नही चूकते।

पांच हजार में ब्लड दिलाने का दावा

दूसरी हकीकत के बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर को काल्विन हॉस्पिटल में जानकारी हुई। यहां ब्लड बैंक के बाहर मौजूदा दो युवकों ने रिपोर्टर को बुलाकर उसके आने का कारण पूछा। रिपोर्टर ने अपनी पहचान छिपाते हुए एक यूनिट ओ निगेटिव ब्लड की डिमांड की। युवकों ने कहा कि ब्लड बैंक में स्टाक नही है लेकिन पांच हजार दोगे तो इस ग्रुप का ब्लड मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास इस ग्रुप का डोनर मौजूद है। उसे पैसा देना होगा। रिपोर्टर ने एक घंटे बाद पैसे देने की बात कही तो दोनो युवक भड़क गए। कहा कि जब पैसे हो तब बात करना। इतना कहकर वह हॉस्पिटल के बाहर निकल गए।

हमारा मरीज एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती है। ब्लड की मांग हुई थी लेकिन वहां नही मिला। मजबूरी में एएमए ब्लड बैंक आना पड़ा है। यहां पर अभी वेट करने को कहा गया है।

अजीत नारायण

सरकार को सरकारी ब्लड बैंकों की स्थिति में सुधार करना होगा। वहां पर मरीजों को भगा दिया जाता है। ब्लड ग्रुप जल्द उपलब्ध नही होता। डोनर लाने को कहा जाता है।

विवेक

हमारा पेशेंट कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती है। ब्लड के लिए एएमए ब्लड बैंक भेजा गया है। यहां पहले से लंबी लाइन लगी है। सरकारी हॉस्पिटल के पेशेंट के परिजन भी यहां आए हैं।

उमाकांत

कम से कम सरकारी हॉस्पिटल के मरीजों को वहां से ब्लड उपलब्ध करा देना चाहिए। लेकिन ऐसा नही हो रहा है। कर्मचारियों की मनमानी से मरीजों को प्राइवेट ब्लड बैंकों में जाने पर मजबूर होना पड़ता है।

ईशान

एएमए के कंधों पर शहर का भार

मेडिकल कॉलेज और काल्विन हॉस्पिटल के ब्लड बैंकों में स्टाक की क्राइसिस के चलते इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक पर सप्लाई का दबाव बढ़ गया है। एकमात्र प्राइवेट ब्लड बैंक होने के बावजूद यहां से रोजाना डेढ़ सौ यूनिट तक ब्लड की सप्लाई की जाती है। फिर भी बहुत से लोगों को ब्लड के इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, इस बीच बेली हॉस्पिटल के ब्लड बैंक की परफार्मेस भी बेहतर हुई है।