-गंगा में बाढ़ के बावजूद बेरोकटोक हो रहा नावों का संचालन

-बिना किसी सेफ्टी इंतजाम के नावों की सवारी करने वालों की जान रहती है खतरे में

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब

सीन-1

गंगा की तेज धारा में बहते हुए घाटों का नजारा दिखाने के लिए अस्सी घाट पर नाविक आवाज लगा रहा हैं। क्षमता से अधिक लोगों को नाव में बिठा रहे हैं। नाव में ना तो कोई सेफ्टी सिस्टम है और नही तेज धारा से लड़ने के लिए मजबूती। जरा से हिचकोले में नाव के गंगा में समा जाने की आशंका प्रबल है।

सीन-2

बाढ़ की वजह से घाटों पर घटती जगहों की वजह से दशाश्वमेध पर गंगा आरती दिखाने के लिए सैकड़ों नावें गंगा में खड़ी हैं। इन पर श्रद्धालुओं की भीड़ है। आरती खत्म होते ही अन्य घाटों के सैर के लिए दौड़ पड़ती हैं। तेज लहरों में से आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा में टकरा भी रही हैं। जो हादसे का सबब बन सकता है।

ये सीन बताने के लिए काफी हैं कि गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रहे बढ़ाव के बीच नावों का संचालन खतरनाक है। किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों की जानें जा सकती हैं। सबकुछ जानते हुए भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। तेज लहरों में स्टंट करती नावों का संचालन बंद नहीं करा रहा है। वहीं चंद रुपयों के लालच में नाविक लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

सेफ्टी का कोई नहीं इंतजाम

प्रशासन लाख चीख-पुकार मचाये लेकिन नाविकों के कान पर जूं नहीं रेंगता है। वो नावों में सेफ्टी का इंतजाम नहीं रखते हैं। अगर किसी नाव में होता भी है तो महज दिखावे के लिए। जबकि नियम यह कहते हैं कि हर नाव पर उसकी क्षमता लिखी होनी चाहिए। उसमें सेफ्टी के लिए लाइफ जैकेट से लेकर ट्यूब तक का इंतजाम होना चाहिए। नाव का समय-समय पर फिटनेस चेक होना चाहिए। लेकिन होता कुछ भी नहीं है। इस वक्त गंगा में बाढ़ की वजह से तेज धारा है। कभी-कभी तेज हवा चलती है तो लहरें कई फुट ऊपर तक उठती हैं। ऐसे में भी नाविक नावों को बेरोकटोक संचालित कर रहे हैं।

हजारों करते हैं सवारी

दुनिया के नक्शे पर विशेष जगह रखने वाले बनारस में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही गंगा के प्रति उनका विशेष आकर्षण होता है। सुंदर घाटों को निहारने के लिए नावों की सवारी भी करते हैं। इस वक्त बाढ़ के दौरान भी नावों की सवारी करने वालों की संख्या में कमी नहीं आयी है। बल्कि नाविक बाढ़ का हवाला देकर पहले से अधिक रुपये वसूलने लगे हैं।