कानपुर। दुनिया में ऐसे बहुत कम क्रिकेटर हैं जिनका दो या उससे अधिक देशों के साथ क्रिकेट से जुड़ाव रहा हो। फेमस क्रिकेटर और कोच बॉब वूल्मर उनमें से एक हैं। वूल्मर का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर शहर में हुआ था। वूल्मर की पैदाइश भले ही भारत में हुई हो मगर उन्होंने अपने क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत इंग्लैंड की नेशनल टीम से की थी। हालांकि बॉब के पिता क्लेयरेंस वूल्मकर उत्तर प्रदेश के लिए रणजी क्रिकेट खेला करते थे। बॉब के पिता ने उन्हें कभी भारत में नहीं रखा। बॉब की पढ़ाई-लिखाई इंग्लैंड में हुई और उन्होंने वहीं पर क्रिकेट की एबीसीडी सीखी।

इंटरनेशनल नहीं घरेलू क्रिकेट के थे बादशाह

क्रिकेटर बनने से पहले बॉब इंग्लैंड की एक केमिकल फैक्ट्री में सेल्समैन की नौकरी करते थे। मगर बॉब का सपना कुछ और था। उन्होंने इंग्लैंड की घरेलू क्रिकेट टीम केंट की तरफ से काउंटी क्रिकेट में हाथ आजमाया, जहां उन्हें काफी सफलता मिली। क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, वूल्मर टीम में एक प्रोफेशनल गेंदबाज के रूप में शामिल हुए थे। उस वक्त वह गेंद को स्विंग कराने में महारथ हासिल रखते थे, जिसकी वजह से बाद में उन्हें इंग्लैंड की वनडे नेशनल टीम में खेलने का मौका मिला। साल 1972 में बॉब ने अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला। धीरे-धीरे बॉब ने अपनी बल्लेबाजी में भी सुधार किया और एक आलराउंडर की भूमिका में आ गए। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, जिस वक्त बॉब ने इंग्लिश टीम में जगह बनाई तब कंप्टीशन काफी तगड़ा था। ऐसे में वूल्मर को इंग्लैंड की तरफ से सिर्फ 6 वनडे और 19 टेस्ट मैच खेलने को मिले। हालांकि फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट में उनका करियर शानदार रहा है। वूल्मर ने 350 प्रथम श्रेणी मैच खेले जिसमें उन्होंने 15,772 रन और 420 विकेट लिए।

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बतौर कोच रहे काफी चर्चित

बॉब वूल्मर का इंटरनेशनल करियर तो ज्यादा बड़ा नहीं था। मगर 16 तक फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट खेलने के बाद वूल्मर ने कोचिंग में ध्यान लगाया। उन्होंने सबसे पहले साउथ अफ्रीका की जूनियर क्रिकेट टीम को कोचिंग दी, हालांकि वह 3 साल से ज्यादा वहां रुक नहीं पाए। 1987 में वह इंग्लैंड वापस आ गए और घरेलू काउंटी क्रिकेट टीम वारविकशॉयर के कोच बन गए। इसके बाद 1994 में वूल्मर पहली बार किसी इंटरनेशनल क्रिकेट टीम के कोच बने, उन्हें साउथ अफ्रीका का कोच बनाया गया। प्रोटीज के साथ कोचिंग का अनुभव बॉब के लिए कभी न भूलने वाला था। पहले तो उनकी कोचिंग में अफ्रीकी टीम हारती गई मगर एक साल बाद टीम अपने करीब 75 परसेंट मैच जीतती थी। साउथ अफ्रीकी कोच के रूप में 5 साल पूरे करने के बाद वूल्मर वापस अपने वतन लौट आए। इसके बाद 2004 में उन्हें पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई, हालांकि वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करते उससे पहले उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी। दरअसल 2007 वर्ल्डकप में आयरलैंड के हाथों पाकिस्तान की हार के कुछ घंटे बाद वूल्मर अपने कमरे में मृत पाए गए थे थे।

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फुटबॉल की तरह सिखाते थे क्रिकेट

बॉब वूल्मर का कोचिंग का तरीका हमेशा से अलग रहा। वह क्रिकेट में नई-नई टेक्निक ईजाद करते थे। 90 के दशक में बल्लेबाजों को रिवर्स स्वीप सिखाना बॉब वूल्मर ने ही सिखाया। यही नहीं क्रिकेट में पहली बार कंप्यूटर एनालिसिस करके खिलाड़ियों की कमी और मजबूत पक्ष बताने का श्रेय वूल्मर को जाता है। वह विकेटकीपर को गोलकीपर की तरह गेंद पकड़ने को कहते थे, गेंद छूट न सके। 1999 वर्ल्डकप में वूल्मर का एक प्रयोग काफी विवादित रहा था, उस वक्त वूल्मर साउथ अफ्रीकी टीम के कोच थे वह मैदान में अफ्रीकी कप्तान के साथ ईयर फोन लगाकर बीच मैच में बात करते थे। बाद में आईसीसी ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया।

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