AGRA (18 April): सदर क्षेत्र के एक घर में धमाके के कश्मीर निवासी आरोपी को सोमवार को गवाहों के मुकरने और सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। वह पिछले 16 साल से लखनऊ जेल में बंद है। यहां उसे कड़ी सुरक्षा में पेशी पर लाया जाता था। हालांकि उस पर और भी मामले हैं। इनकी अभी जांच चल रही है। तब तक के लिए वह जेल में ही रहेगा।

2000 में हुआ था धमाके

सन् 2000 में थाना सदर एरिया के एक घर में धमाके हुआ था। इसमें तीन आरोपी मारे गए। सूत्रों के मुताबिक वहां की जांच में पुलिस को दो रिज्यूम मिले। छानबीन में निकलकर आया कि विस्फोट ट्रांजिस्टर बम से हुआ। रिज्यूम के आधार पर पुलिस ने एएमयू से दो युवकों को पकड़ा। उनके पास से सिमी का साहित्य मिला। इसी पर पुलिस का शक गहरा गया।

दो आरोपी पहले हो चुके हैं बरी

इस मामले में तथ्यों के अभाव में दो आरोपी पूर्व में बरी हो चुके हैं। तीसरा आरोपी गुलजार पर मामला चल रहा था। इस मामले के तीन गवाहों में दो आगरा व एक अलीगढ़ का था। सोमवार को पेशी के दौरान दोनों गवाह पिछले बयानों से मुकर गए। इस मामले में गुलजार के खिलाफ कोई ठोस गवाह नहीं मिला। इसी के बाद एडीजे प्रथम अजीत सिंह की कोर्ट से गुलजार को इस मामले से बरी कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, उस पर साबरमती एक्सप्रेस धमाके में भी उसका नाम आया है। दिल्ली में आर्मी कैंटीन में धमाके का मामला भी है। उसे अभी जेल में ही रखा जाएगा।

सिमी का नाम आया था प्रकाश में

उस दौरान इस मामले के विवेचक रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर सदर नवरंग सिंह दिल्ली में गवाही देकर आए थे। इसी के बाद सिमी का नाम प्रकाश में आया और कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।