सेना के अधिकारियों ने इस धमाके की जानकारी देते हुए कहा कि मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका है. सेना ने कहा है कि धमाके के स्रोत की जांच जारी है.

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने इस धमाके की ज़िम्मेदारी ली है. बीबीसी से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता शाहिदुल्लाह शाहिद ने बताया कि ये कार्रवाई मौलाना वली उर रर्हमान की मौत का बदला लेने के लिए की गई है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए शाहिदुल्लाह ने कहा, "सेना हमारी दुश्मन है. हम इस तरह के और हमले करेंगे."

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि विस्फोटक सेना के काफ़िले की ही एक गाड़ी में रखा गया था.

सेना के सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि सुरक्षाबलों ने गाड़ियां किराए पर ली थीं और वे उत्तरी वज़ीरिस्तान के रज़्माक जा रहे थे.

जिस वक़्त सुरक्षाकर्मी गाड़ियों में सवार हो रहे थे उसी वक़्त धमाका हो गया.

किराए की गाड़ियां

सरकारी मीडिया के मुताबिक गृह मंत्री चौधरी निसार अली ख़ान ने इस धमाके की आलोचना करते हुए आईजीएफ से रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि गाड़ियां किराए पर लेते वक़्त सावधानी क्यों नहीं बरती गई.

बन्नू ज़िले के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें छावनी में दाख़िल होने की इजाज़त ही नहीं है इसलिए वे जांच नहीं कर सकते.

सैन्य बलों ने स्वयं ही पूरे इलाक़े को घेरे में ले लिया है और राहत कार्य जारी है.

स्थानीय मीडिया को भी मौक़े पर जाने की इजाज़त नहीं दी गई है. इसलिए ज़्यादातर जानकारी सुरक्षाबलों के हवाले से ही मिल पा रही है.

प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने सत्ता में आते ही तालिबान से बातचीत की पेशकश की थी. हालांकि अभी तक किसी शांति प्रतिनिधिमंडल का ऐलान नहीं किया गया है.

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