सिटी में बोन टीबी बहुत ज्यादा तादात में डिटेक्ट होने लगा है। हालांकि इसके पीछे कारण में हमारी बिगड़ी लाइफ स्टाइल सबसे ऊपर है।

हड्डियों को हो रहा नुकसान

इन दिनों अस्पतालों में 25 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों की अच्छी तादात है, जो इस बीमारी के शिकार हैं। इस बीमारी के फैलने में गलत जीवन-शैली(जैसे नियमित एक्सरसाइज न करना और खाने में से न्यूट्रीएंट्स का न होना शामिल है। पेट भरने के लिए जंक फूड्स पर निर्भरता और दफ्तर में काम के दबाव ने रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इस बीमारी को हम बोन टीबी के नाम से जानते हैं। टीबी की शुरुआत फेंफड़ों से होती है, जो आगे ब्लड के जरिये हड्डियों पर भी बुरा असर डालने लगती है। इस स्थिति को बोन टीबी कहते हैं। समय रहते अगर बोन टीबी का पता नहीं चला तो यह स्पाइन को बुरी तरह नुकसान पहुंचा देती है। चूंकि स्पाइन हमारी बॉडी का सेंसटिव पार्ट है लिहाजा इसकी सुरक्षा और बचाव के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए।

ये हैं symptoms

-कमर में दर्द रहता है

-हाथ-पैरों में कमजोरी

-झंझनाहट के साथ दर्द

-गर्दन से लेकर कमर तक कहीं भी दर्द

-गले में गांठें

Precaution

-अगर ऑपरेट किया है तो तीन से चार हफ्ते का बेड रेस्ट

-अगर ऑपरेट नहीं किया है तो दो से तीन महीने का बेड रेस्ट

-प्रॉपर दवाएं लें

-बोन टीबी ऐसी बीमारी है जिसके मरीज ने अगर दो खुराक भी खा ली हैं तो वो वो नानइफेक्टेड हो जाता है।

Treatment

कमर में असहनीय दर्द इस बीमारी का सबसे पहला लक्षण है। अमूमन टीबी में 6-8 महीने का ट्रीटमेंट होता है मगर स्पाइन टीबी का ट्रीटमेंट करीब 18 महीने तक चलता है। पेशेंट की कंडीशन के हिसाब से डॉक्टर ये तय करता है कि उसकी बीमारी दवाओं से क्योर हो जाएगी या ऑपरेशन करना पड़ेगा। स्पाइन टीबी की बीमारी का अगर समय रहते पता चल गया, तो इसका इलाज संभव है। शुरुआती दौर में महज दवाओं के सहारे इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है, लेकिन अगर बीमारी को डायग्नोस करने में ही ज्यादा वक्त निकल गया, तो सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। अगर टीबी लंबे समय तक स्पाइन में बनी रहती है तो इसका शरीर के अन्य अंगों में फैलना शुरू हो जाता है। स्पाइन में मवाद जमा होने लगता है। ऐसी कंडीशन में एंडोस्कोपिक ट्रीटमेंट द्वारा इसका इलाज संभव है।

 

"इस समय स्पाइन की टीबी काफी कॉमन होती जा रही है। लोगों को कमर दर्द की शिकायत होती है और जब सेल्फ ट्रीटमेंट के तौर पर ली गई पेन किलर दवाओं से भी आराम नहीं होता लोग डॉक्टर के पास आते हैं। इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है बशर्ते मरीज प्रॉपर ट्रीटमेंट ले."

-डॉ। रोहित कुमार सिंह काम्बोज, न्यूरो सर्जन