पुस्तक मेले में 'विदेशों के महाकाव्य' पर हुई परिचर्चा

ALLAHABAD: नॉलेज हब की ओर से आयोजित नौवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के आठवें दिन प्रो। गोपी कृष्ण गोपेश द्वारा अनुदित 'विदेशों के महाकाव्य' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रो। अमर सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में अंग्रेजी लेखक एचए गुएरकर की द बुक ऑफ एपिक से चुनकर विभिन्न भाषाओं के महाकाव्यों में से आठ कथाओं का हिन्दी अनुवाद किया गया है। जो पुस्तक प्रेमियों के लिए प्रो। गोपेश का बेमिसाल संकलन साबित होता है।

अध्यक्षता करते हुए प्रो। अली अहमद फातमी ने कहा कि पाठकों को इन महाकाव्यों की संक्षिप्त, स्पष्ट और आवश्यक रूप रेखाओं से करा देना ही पुस्तक का उद्देश्य है। संचालन धनंजय चोपड़ा ने किया। लोकभारती प्रकाशन के संरक्षक रमेश ग्रोवर ने अतिथियों का स्वागत किया।

परिचर्चा में प्रो। अनिता गोपेश, प्रो। हेरम्ब चतुर्वेदी, डॉ। अनुपम आनंद, प्रो। सूर्य नारायण सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी अतुल यदुवंशी, नंदल हितैषी, यश मालवीय, अनिल रंजन भौमिक आदि मौजूद रहे।

पतनशील पत्‍ि‌नयों के नोट्स स्त्री के हक की आवाज

पुस्तक मेले के एक अन्य सत्र में नीलिमा चौहान की पुस्तक 'पतनशील पत्‍ि‌नयों के नोट्स' पर संवाद का आयोजन हुआ। वरिष्ठ आलोचक श्री प्रकाश मिश्र ने कहा कि यह पुस्तक स्त्री के हक की आवाज है। जिसमें स्त्री के मूलभूत सवालों से जुड़े मुद्दों को रचनात्मक ढंग से उठाया गया है। मीनाक्षी मोहन ने कहा कि पुस्तक को पढ़कर किसी भी स्त्री को वह ताकत मिलती है। जिससे वह अपनी स्थितियों को लेखन में नहीं बल्कि जीवन में भी अभिव्यक्ति दे सके। संयोजन अतुल माहेश्वरी ने किया।