20,646 अंकों पर बंद होने के साथ ही बीएसई सेंसेक्स तीन वर्षों में सबसे ऊपर की पायदान के निकट पहुंचा है.

आर्थिक मामलों के विश्लेषकों के अनुसार इसकी प्रमुख वजह रही है अमरीकी फेडरेल रिज़र्व के प्रमुख बेन बर्नानके की ये घोषणा कि उनकी अर्थव्यवस्था में शामिल की जा रही राहत राशि में  कोई बदलाव नहीं होगा.

अमरीकी सेंट्रल बैंक ने तय किया है कि  फेडरल रिज़र्व हर महीने बाज़ार से 85 अरब डॉलर के बॉन्ड खरीदता रहेगा.

भारत में बीएसई सेंसेक्स में आई छलांग के साथ साथ निफ्टी सूचकांक में भी लगभग 200 अंकों की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

गुरुवार को कारोबार के दौरान सेंसेक्स में मई 2009 के बाद सबसे ज्यादा बढ़त देखी गई है.

दुनिया के बाज़ार

जानकारों के अनुसार अमरीकी सेंट्रल बैंक की किसी विपरीत घोषणा का असर भारत जैसे विकाशसील देशों के शेयर बाज़ारों में भी दिख सकता था.

क्योंकि पिछले कई वर्षों में ब्राज़ील और भारत जैसे देशों के बाज़ारों में संस्थागत विदेशी निवेशकों का ख़ासा निवेश देखा गया है.

भारतीय शेयर बाज़ारों में समय से पहले दिवाली?

इस बीच यूरोपीय बाजारों में भी अमरीकी फैसले के बाद से ज़ोरदार तेजी जारी है.

एफटीएसई सेंसेक्स 1.5 फ़ीसदी बढ़ा है जबकि सीएसी और डीएएक्स में एक फ़ीसदी की मजबूती दर्ज की गई है.

गुरुवार शाम तक एशियाई बाजारों में निक्कई, स्ट्रेट्स टाइम्स, हैंगसैंग में 1.5 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

उधर भारतीय  रुपये के मूल्य में भी फ़ेडरल रिजर्व के राहत पैकेज के बाद ठहराव और बेहतरी का प्रमाण मिला.

बुधवार को कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया एक पैसे कमज़ोर होकर 63.38 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

लेकिन गुरुवार को डॉलर के मुक़ाबले रुपये की कीमत 62 के आसपास और उससे कम भी दर्ज की गई.

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