संथाली फिल्म-वीडियो एलबम इंडस्ट्री अब जवां हो रही है। एक दशक पहले जहां साल में एक-दो फिल्में ही बनती थीं, वहीं अब साल भर में 12-15 फिल्में और 25-30 वीडियो एलबम्स बन रहे हैं। यू-ट्यूब पर इनके गानों को बढिय़ा हिट्स मिल रहे हैं। झारखंड के अलावा ओडि़शा, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्ट में इसका बढिय़ा मार्केट है। संथाली फिल्में फिलहाल झारखंड, ओडि़शा और पश्चिम बंगाल के 40 सिनेमा घरों में दिखाई जाती हैं। इसका डेवलपमेंट देखते हुए यूथ भी अब इसे एक कॅरियर ऑप्शन के रूप में देख रहे हैं।

सीमित संसाधन और कम लागत
संथाली फिल्म इंडस्ट्री न सिर्फ अपनी भाषा और कल्चर को नई पहचान दे रही है, बल्कि हजारों लोगों की रोजी-रोटी का जुगाड़ भी रहा रही है। कम लागत और सीमित संसाधनों के बावजूद संथाली फिल्में और वीडियो एलबम्स की क्वालिटी किसी से कम नहीं है।

3000 लोगों को एम्प्लॉयमेंट
झारखंड, ओडि़शा और बंगाल में बन रही संथाली फिल्मों और एलबम्स का बिजनेस करीब 1 करोड़ का है। ऑल इंडिया संथाली फिल्म एसोसिएशन (एआईएसएफए) के प्रेसिडेंट रमेश हांसदा की मानें को संथाली फिल्म और एलबम से डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रूप से करीब 3000 लोग जुड़े हुए हैं। इसका लगातार डेवलपमेंट हो रहा है और अभी भी इसमें काफी संभावनाएं हैं।
ऐसे भी होती है शूटिंग
संथाली वीडियो एलबम की शूटिंग जुगाड़ टेक्निक पर बेस्ड है। चूंकि इन एलबम को बनानेवाले प्रोड्यूर्स के पास बजट की कमी होती है, इसलिए वे हैंडीकैम, पीडी-170, सीडीसी, जेड वन पी जैसे वीडियो कैमरे से संथाली वीडियो अलबम की शूटिंग की जाती है। पूरी शूटिंग एक कैमरा मैन और एक असिस्टेंट कैमरा मैन के भरोसे पूरी की
जाती है।


कहां-कहां दिखाई जाती है फिल्में
जमशेदपुर के श्याम टॉकिज समेत जामताड़ा, दुमका, पाकुड़, धनबाद के आलावा ओडि़शा, पश्चिम बंगाल, असम में भी संथाली फिल्में दिखाई जाती हैं।


यहां होती है शूटिंग
डिमना लेक, हुडको पार्क, गालूडीह चौक, नरूवा, मंदीडीह फाटक, पाथरगोड़ा, घाटशिला, चांडिल डैम, हिरनी फॉल, दाशम फॉल, रॉक गार्डेन, सिद्धू-कान्हू पार्क, जोन्हा फॉल, हुंडरू फॉल, धालभूमगढ़ का साल का जंगल संथाली फिल्म और एलबल के हिट लोकेशन्स हैं। इसके अलावा जिन प्रोड्यूसर्स का बजट बड़ा होता है वे नेतरहाट, मैकलुस्कीगंज और स्टेट से बाहर भी करते हैं।

तो बात बन जाए
संथाली फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए गवर्नमेंट की ओर से अभी तक कोई फाइनांसियल सपोर्ट नहीं मिलता है। संथाली फिल्मों के एक्टर-पोड्यूसर व डायरेक्टर दशरथ हांसदा का कहना है कि झारखंड अलग स्टेट हुए 11 साल से भी ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन अभी तक झारखंड मोशन पिक्चर एसोसिएशन नहीं बन पाया है। उनका मानना है कि अगर यहां फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन
का गठन किया जाए, तो गवर्नमेंट के पास ज्यादा रेवेन्यू कलेक्ट होगा।

यहां है संथाली फिल्मों और एलबम की डिमांड
झारखंड के साथ-साथ ओडि़शा, प बंगाल, असम के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले संथाली लोगों के बीच इनकी डिमांड है।

फेमस संथाली एलबम
- सुरूज मुनी
- मली बाहा मुने
- संगात कुड़ी
-कोयल आलांग

फेमस सिंगर्स
- बीएन हांसदा
- रानी मार्डी
- गीता
- कल्पना हांसदा
४ सकिला किस्कू

फेमस गाने
- ए मारांग बुरू आम दो ओका रे
- रापुढ़ एन तियां चुड़ी
- आम दो बुसाड़ बाहा
- झूड़ बाहा गादेल रे
-दुलाडिय़ा गाते
- आमा कोयो होर रे

फेमस संथाली फिल्में
- Tata Korondih
- Bonga Kuli
- Achchha Thik Geya
- Chorok Chikan

For your information

- पहली संथाली फीचर फिल्म दिसंबर, 2001 में रिलीज हुई थी नाम था- Chandu Lekhon।
-संविधान के 92वें संशोधन (2003) में संविधान की 8वीं अनुसूची में चार नई भाषाएं जोड़ी गईं। इनमें संथाली भी एक थी।
 - देश में करीब 62 लाख लोग संथाली भाषा बोलते हैं।
- हर साल लगभग 12-15 संथाली फिल्में और 25-30 संथाली वीडियो बन रही हैं।
- 3000 से भी ज्यादा लोग जुड़े हैं संथाली फिल्म और वीडियो एलबम इंडस्ट्री से।

रीजनल फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए 2010 में ऑल इंडिया संथाली फिल्म एसोसिएशन का गठन किया गया है। इसका मकसद लोकल आर्टिस्ट को प्रमोट करना और यहां के आर्ट-कल्चर को बढ़ावा देना है।
रमेश हांसदा, प्रेसिडेंट, एआईएसएफए

संथाली फिल्म इंडस्ट्री को गवर्नमेंट का फाइनेंसिलय सपोर्ट चाहिए। इससे यहां का आर्ट और कल्चर और डेवलप होगा। रीजनल फिल्म आर्टिस्ट को भी अगर गवर्नमेंट मदद करे तो उनका भला होगा।
दशरथ हांसदा संथाली फिल्म एक्टर-डायरेक्टर व प्रोड्यूसर

संथाली एन्टरटेन्मेंट इंडस्ट्री में काफी संभावनाएं हैं। संथाली फिल्म और एलबम को बढ़ावा देने के लिए बेहतर फाइनांसर और गवर्नमेंट के थोड़े हेल्प की जरूरत है। इससे और बेहतर संथाली फिल्मों-एलबम का निर्माण होगा.  
रानी मार्डी, संथाली गायिका

दिन-ब-दिन संथाली फिल्मों और वीडिओ एलबम की डिमांड बढ़ रही है। सलाना 12-15 फिल्में और 25-30 एलबम्स बन रही हैं। इससे इम्प्लॉयमेंट भी बढ़ा है। आने वाले समय में इसका और विस्तार होगा।
बबलू रजक, फिल्म-एलबम डिस्ट्रीब्यूर

करनडीह में ही 7-8 प्रिंटिंग प्रेस है, जहां संथाली फिल्मों-एलबम के पोस्टर-फ्लैक्स बनाए जाते हैं। मैं सालभर में 35-40 हजार रुपए का बिजनेस करता हूं। ज्यादा फिल्में और वीडियो एलबम बनने से एम्प्लॉयमेंट बढ़ा है।
 ईश्वर सोरेन, ओनर लाहा प्रिंटिंग प्रेस, करनडीह

संथाली फिल्मों की डिमांड बढ़ रही है। ये फिल्में अगर और थोड़ा टेक्निकली साउंड होंगी, तो इनकी क्वालिटी में सुधार होगा। वैसे कम लागत में अच्छी फिल्में बनाई जा रही हैं।
कौशिक राय, फिल्म एडिटर इको एंटरटेनमेंट प्रा.लि., कोलकाता

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