- साई सथवा गांव में मर्डर के बाद फेंकी गयी युवक डेड बॉडी

- चोलापुर और सारनाथ पुलिस में हुआ सीमा विवाद, आठ घंटे पड़ी रही डेड बॉडी

- विवाद सलटाने पहुंचे SPRA और CO की भी नहीं सुनी थानेदारों ने

- चार गांव के प्रधानों के बाद अंत में लेखपाल ने नक्शा देख सुलझाया मामला

VARANASI: क्राइम केस इन्वेस्टिगेशन में टाइमिंग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्राइम स्पॉट से जितनी जल्दी सबूत उठाये जाएं और जितनी जल्दी डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, उतना ही अच्छा रिजल्ट मिलता है। मगर अपनी बनारस की पुलिस ने सोमवार को हद की दी। आपसी झगड़े में एक डेड बॉडी को घंटों खेत में पड़ा छोड़ दिया। ये मामला सबूत खराब करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये डीजीपी के ऑर्डर का उल्लघंन भी है। क्या हुआ, कैसे हुआ और कहां हुआ? ये भी जान लीजिये

जमीन तो नप गई मगर क्या थाने वाले नपेंगे?

डीजीपी रिजवान अहमद साहब ने जब यूपी पुलिस के सबसे बड़े पद का भार संभाला तो आपने मातहतों को ये ऑर्डर दिया कि अब उत्तर प्रदेश में कहीं भी सीमा विवाद नहीं होना चाहिए। क्राइम होने पर जो भी पुलिस पहले पहुंचे, वो कार्रवाई शुरू करे। यदि बाद में क्राइम स्पॉट दूसरे थाने से संबंधित मिले तो उसे केस हैंडओवर किया जाए। मगर बनारस की पुलिस को अपने सबसे सीनियर अफसर के इस आदेश की परवाह नहीं। कम से कम सारनाथ और चोलापुर थाने वालों ने तो सोमवार को ये साबित भी कर दिया। एक डेड बॉडी को लेकर आपस में ऐसी पंचायत की एसपीआरए और सीओ को भी पीछे हटना पड़ा। हालांकि ये दोनों ही थानों के थानेदार ये भूल गये कि सीमा विवाद के चलते उन्होंने सबूत खराब करने का भी काम किया है जो कानून की नजर में जुर्म है।

भोर में देखी गई डेड बॉडी

सारनाथ और चोलापुर थाने के बीच का एक गांव है साई जो सथवा एरिया में पड़ता है। इस गांव में नहर पुलिया के पास सोमवार भोर में चार बजे ग्रामीण ने सूख चुकी नहर में युवक का नग्न शव पड़ा देखा। उसके शरीर पर सिर्फ एक बनियान थी। सिर के पिछले हिस्से और चेहरे पर धारदार हथियार से प्रहार किया गया था। चेहरे के घाव और माथे के दोनों तरफ गड्ढे देखकर धारदार हथियार से प्रहार के बाद गोली मारे जाने की भी आशंका लग रही थी। गोरा रंग लगभग पचीस वर्ष के इस युवक की बॉडी देखकर लोगों ने 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दी।

सूचना के बाद पहुंची पुलिस

कंट्रोल रूम को सूचना दिये जाने के करीब एक घंटे बाद चोलापुर एसओ पवन उपाध्याय और फैंटम दस्ता मौके पर पहुंचा। चोलापुर पुलिस ने पहले क्राइम सीन को कवर कर जांच शुरू करने की जगह मामले को सारनाथ पुलिस के पाले में धकेलना शुरू कर दिया और सारनाथ एसओ को सूचना दी। कुछ देर बाद सारनाथ एसओ अखिलेश त्रिपाठी भी मौके पर पहुंचे। सारनाथ पुलिस के पहुंचने के बाद दोनों ही क्राइम स्पॉट को एक दूसरे के थाने में बताने की कोशिश करने लगे। यहां बात नहीं बनी और विवाद गहराता गया।

CO की भी ना सुनी

चोलापुर और सारनाथ थाने के बार्डर पर मिली डेड बॉडी और इसे लेकर दोनों थानेदारों के बीच चल रहे विवाद की खबर पुलिस के आला अधिकारियों को भी लग गई। मौके पर सीओ परमहंस मिश्र पहुंचे और दोनों थानेदारों को समझाने में जुट गए। सीओ के आने के बाद भी चोलापुर और सारनाथ एसओ सीमा विवाद में ही उलझे रहे और सीओ की एक न सुनी। इस बीच दो सीमा विवाद की खबर एसपीआरए प्रदीप गुप्ता को लगी। वो भी इस पंचायत को सॉल्व करने की नीयत से पहुंचे मगर दोनों थानेदार खुद को सही बताने में ही लगे रहे।

फिर बुलाये गए प्रधान जी

एसपीआरए ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई गांव के प्रधान व जमीन से जुड़े राजस्व कर्मियों को बुलाया। मौके पर पहुंचने क बाद कुछ ग्राम प्रधान तो सही बोले लेकिन कुछ अपने क्षेत्र के थानेदार का मुंह देखकर चुप रहे। पूर्व बीडीसी सथवां यशोदा पटेल ने जहां स्पॉट को चोलापुर बताया तो बलुआ के प्रधानपति लक्ष्मी पटेल ने इसे सारनाथ थाना क्षेत्र बताया। उदयपुर के प्रधानपति पप्पू कन्नौजिया और चिरईगांव सेक्टर दो के बीडीसी विनोद सिंह ने भी इसे सारनाथ कहा। जबकि रजनहिया के पूर्व ग्राम प्रधान राजेश पटेल ने स्पॉट को चोलापुर बताया।

मानी गई लेखपाल की बात

इस पंचायत को धीरे-धीरे आठ घंटे से ज्यादा हो गये और डेड बॉडी वहीं धूप सेंकती रही। अंत में एरिया के लेखपाल केशव लाल श्रीवास्तव को फोन किया गया। एसपीआरए को लेखपाल केशव लाल ने बताया कि इस वक्त वह मारकंडेय महादेव मंदिर में तहसीलदार सदर के साथ है और आ नहीं सकते। इसके चलते एसपीआरए ने लेखपाल को नक्शा देखकर फोन पर ही बताने का कहा। एसपीआरए के निर्देश पर ग्रामीणों ने लेखपाल को फोन पर ही घटनास्थल की जानकारी दी। इसके बाद लेखपाल ने अपने पास मौजूद नक्शे को निकालकर उसे चेक किया और मामला चोलापुर थाने का बताया। लेखपाल की तस्दीक के बाद चोलापुर पुलिस ने डेड बॉडी कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

SSP हैरान, कहा लेंगे एक्शन

सीमा विवाद की घटना के बारे में एसएसपी जोगेन्द्र कुमार से पूछा गया तो पहले तो उन्होंने मामले को कुछ देर पहले का कहा मगर जब उन्हें बताया गया कि ये पंचायत सुबह करीब 5 बजे से शुरू हुआ था और आठ घंटे बाद बॉडी उठी तो वो हैरान हो गये। एसएसपी ने कहा कि जिस थाने की फोर्स पहले पहुंचे, उसकी जिम्मेदारी है कि वह प्रकरण को देखे और प्रक्रिया पूरी करने के बाद केस संबंधित थाने के हवाले कर दे। फिर भी अगर इस मामले में लापरवाही बरती गई है एक्शन लिया जाएगा।

चलता है ASAP का फार्मूला

आईएमए से जुड़े सीनियर डर्मिटोलॉजिस्ट डॉ। अरविंद सिंह की माने तो फारेंसिक मेडिसीन क्राइम इन्वेस्टिगेशन के मामले में 'एज सून एज पॉसिबल (एएसएपी)' फार्मूले पर चलती है। यानि जितनी जल्दी सबूत इकठ्ठे किये जाये, जितनी जल्दी डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाए, उतना अच्छा रहता है। देरी की वजह से बहुत सारी चीजें फिक्स करने में मुश्किल होती है।