अदालत ने मौत की सजा

अदालत ने 15 अप्रैल 2013 को बोस्टन मैराथन दौड़ के समय वहां दो प्रेशर कुकर बम रखने के मामले में पिछले महीने जारनेव को दोषी पाया था. यह हमला अमेरिकी भूमि पर 11 सितंबर 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद पहला बड़ा हमला था. फेडरल ज्यूरी के पास दो विकल्प थे. पहला, उसे बिना रिहाई की संभावना के आजीवन कारावास की सजा दी जाए. दूसरा, उसे जहरीला इंजेक्शन दिया जाए. ज्यूरी ने दूसरा विकल्प चुना.

पीड़ितों ने दिए बयान

10 हफ्तों तक चली सुनवाई में ज्यूरी ने 150 गवाहों के बयान सुने. जिनमें वे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने उस हमले में अपने पैर गंवा दिए थे. ज्यूरी ने जारनेव पर लगे 17 आरोपों में से छह के लिए मौत की सजा का हकदार पाया. इन आरोपों में बम हमले में जान गंवाने वाले आठ साल के मार्टिन रिचर्ड के पिता विलियम रिचर्ड ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चे को वहीं मरने के लिए छोड़ना पड़ा ताकि वह अपनी बेटी जेन की जान बचा सकें, जिसका एक पैर कट गया था.

बचाव पक्ष ने आखिरकार माने आरोप

अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि चेचेन्या का जारनेव अलकायदा के आतंकवादी विचारों का समर्थक है. उसने मुस्लिम बहुल देशों में अमेरिकी सैन्य अभियानों का बदला लेने की भावना से यह हमला किया. बचाव पक्ष ने 5 मार्च को स्वीकार किया कि वह उन सभी मामलों में दोषी है, जिसका उस पर आरोप लगा था. मगर, इस पूरी योजना को उसके 26 वर्षीय बड़े भाई तार्मिलन ने बनाया था और अंजाम दिया था. जारनेव तो इसमें जूनियर पार्टनर था. तार्मिलन गोलीबारी के दौरान मारा गया था.

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