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JAMSHEDPUR: टाटानगर स्टेशन में पानी के बोतल का इस्तेमाल अब दोबारा नहीं हो पाएगा। इसको लेकर रेलवे प्रशासन स्टेशन में बोतल क्रशर मशीन लगाएगा। रेलवे पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छता को देखते हुए ऐसा कदम उठा रही है। अमूमन लोग पानी या कोल्डड्रिंक्स की बोतलों को यूज करने के बाद रेल पटरी, स्टेशन के अगल-बगल में फेंक देते हैं। मशीन लगने से ऐसे बोतलों को क्रशर मशीन द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा। बोतल क्रशर मशीन लगने से अवैध वेंडर्स जो एक ही बोतल को दोबारा पानी भरकर इसका इस्तेमाल करते हैं, उनकी ऐसी चीजें खत्म हो जाएंगी। टाटानगर स्टेशन के निदेशक एचके बालमुचू ने बताया कि बोतल क्रशर मशीन फिलहाल चक्रधरपुर रेल मंडल में तीन जगहों पर लगाई जा चुकी है। जल्द ही इसे टाटानगर स्टेशन में लगाई जाएगी। इसके बाद इसे राउलकेला स्टेशन में लगाया जाएगा। विशेषज्ञ का मानें तो दोबारा बोतल का इस्तेमाल सेहत के लिए हानिकारक होता है।

सात सौ गैलन पानी की खपत

टाटानगर स्टेशन में 14 स्टाल, दो रेस्टोरेंट और एक कैंटीन है। स्टेशन से 80 से भी ज्यादा ट्रेनें रोज खुलती व गुजरती हैं। इनमें करीब 38 हजार यात्री सफर करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यात्री 330 पेटी (3740 बोतल) पानी रोज पी जाते हैं। टाटानगर स्टेशन में कुल पांच वाटर बूथ हैं। साथ ही रेलवे ने स्टेशन में करीबन 200 नल लगाए हैं, जिनसे सात सौ से भी ज्यादा गैलन पानी की खपत होती है।

दोबारा करते हैं यूज

स्टेशन तथा दूरदराज के क्षेत्रों में कई बार अवैध वैंडर तथा हॉकर यूज किए बोतलों में पानी भर कर बेंचते हैं। कई बार ट्रेन रूकने पर लोग प्याऊ में पानी उपलब्ध नहीं होने पर मजबूरन अवैध वैंडर से पानी की बोतल खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसे बोतलों से पानी पीना काफी हानिकारक है, क्योंकि वैंडर इसे कचड़े से उठा कर पानी भर बेचते हैं। बोतल क्रशर मशीन लगने से इस पर काफी हद तक रोक लग जाने की उम्मीद है।

गंदगी भी होगी कम

रेलवे अधिकारियों से मिली जानकारी के के मुताबिक रोजाना लोग 1500 से भी ज्यादा प्लास्टिक की बोतल स्टेशन के अगल-बगल और पटरियों पर फेंक देते हैं। इससे काफी गंदगी उत्पन्न होती है। क्रशर मशीन लग जाने के बाद इसपर लगाम लगाई जाएगी।

बोतलों का इस्तेमाल करने के बाद इधर-उधर फेंकने से काफी गंदगी होती है। स्टेशन को साफ-सुथरा रखने के लिए बोतल क्रशर मशीन जाएगी। इसमें इधर-उधर फेंके जाने वाले बोतलों को नष्ट कर दिया जाएगा।

-एचके बालमुचू, निदेशक, टाटानगर स्टेशन