60 प्रतिशत बच्चे कैविटीज की गिरफ्त में

Meerut। जो बच्चे दूध की बोतल मुंह में लगाए-लगाए सो जाते हैं, वह धीरे-धीरे नर्सिंग बॉटल केरिज का शिकार हो सकते हैं। यह एक प्रकार की कैविटीज ही है। नर्सिंग बॉटल केरिज समस्या बच्चों में बेहद आम हो गई है। डेंटल ओपीडी व डेंटल जांच कैंप में पहुंच रहे 10 साल तक के बच्चों में यही समस्या पाई जा रही है। जिला अस्पताल के मुताबिक करीब 60 प्रतिशत बच्चों में कैविटीज की शिकायत पाई जा रही है।

बिगड़ जाता है आक्लूजन

कैविटीज होने पर नीचे के दांत तो सुरक्षित रहते हैं, लेकिन ऊपर वाले अगले चार दांत खराब हो जाते हैं। इससे दांतों का कुदरती अरेंजमेंट, जिसे ऑक्लूजन कहते हैं, वह बिगड़ जाता है। दांत ऊबड़-खाबड़ भी हो जाते हैं। नतीजतन, सही से दांतों की सफाई न हो पाने के कारण वह धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं।

यह कहते हैं डॉक्टर्स

स्कूलों में डेंटल कैंप के दौरान सबसे ज्यादा बच्चों में दांतों की कैविटीज की बिमारी ही सामने आती है। दरअसल, देर तक दूध की बोतल मुंह में रखने से दूध की परत दांतों में जमने लगती है और दांत कैरिज के शिकार हो जाते हैं।

डॉ। अलका चौधरी, सीनियर डेंटिस्ट, जिला अस्पताल

हम हर महीने अलग-अलग स्कूलों में कैंप लगाते हैं। बच्चों की जांच में करीब 60 से 70 प्रतिशत बच्चे के दांत केरिज के शिकार होते हैं। अगर समय रहते इलाज न हो तो आगे चलकर दिक्कत बढ़ जाती है।

डॉ। प्रीति, डेंटिस्ट, जिला अस्पताल