वैसे स्रूबे में लड़कियों का पास परसेंट 89 परसेंट रहा तो लडक़ों का पास परसेंट 80 प्रतिशत रहा। शहर में कुल रिजल्ट (पास परसेंट) 88.3 प्रतिशत रहा। यूपी बोर्ड क्लास 10 की परीक्षा में तकरीबन 37 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे। इनमें से 27, 80193 स्टूडेंट्स सफल रहे। जबकि कानपुर में 71708 बच्चों ने 10वीं की परीक्षाएं दी थीं और इसमें से 62802 स्टूडेंट्स ने सफलता प्राप्त की है।

कानपुर के ब्वॉयज

कानपुर में चित्रा इंटर कॉलेज का मुकुल यादव 93.8 परसेंट माक्र्स प्राप्त कर सबसे आगे रहा। जबकि 93.5 परसेंट माक्र्स के साथ चित्रा इंटर कॉलेज का महेंद्र सिंह परिहार और माउंट कार्मल स्कूल की अंतरा मिश्रा संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं। 93.33 परसेंट माक्र्स के साथ शिवाजी इंटर कॉलेज की छात्रा रुचि राठौर ने तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया।

अब टैबलेट्स का इंतजार

प्रदेश के सीएम अखिलेश ने 10वीं के स्टूडेंट्स से वादा किया था कि वे सफल कैंडिडेट्स को टैबलेट कंप्यूटर देंगे। अब स्टूडेंट्स को बेसब्री से टैबलेट मिलने का इंतजार है। रिजल्ट में हाई सक्सेस रेट को देखते हुए अकेले कानपुर में 62 हजार से ज्यादा टैबलेट्स चाहिए होंगे।

क्रिकेट भी और पढ़ाई भी

93.8 परसेंट लाकर सिटी टॉपर बने मुकुल यादव को क्रिकेट से इतना ज्यादा लगाव है कि दिन भर में 6 से 8 घंटे की पढ़ाई के बाद भी वो इसके लिए टाइम निकाल ही लेते हैं। नौबस्ता के चित्रा इंटर कॉलेज के स्टूडेंट  मुकुल का कहना है कि उसने पढ़ाई को लेकर कभी भी स्ट्रेस नहीं लिया। क्रिकेट भी खेला और साथ में मन लगाकर पढ़ाई भी करता रहा। यही वजह है कि मम्मी पापा ने भी कभी उसे खेलने से नहीं रोका। अब उसका ऐम आईआईटी से इंजीनियर बनने का है।

हुनर को खुद ब खुद लग गए पंख

हुनर को पंख खुद ब खुद लग जाते हैं। इस बात को बीएनएसडी शिक्षा निकेतन की टॉपर अंकिता मिश्रा बखूबी प्रूव करती हैं। अंकिता ने मुश्किल हालातों में भी पढ़ाई के लिए अपनी मेहनत और लगन को कमजोर नहीं पडऩे दिया। इसी मेहनत के दम पर उसने 92.66 परसेंट माक्र्स लाकर अपने स्कूल की टॉपर लिस्ट में पहले पायदान पर कब्जा जमा लिया। यशोदा नगर में एक किराये के कमरे में रहने वाली अंकिता के पिता केपी मिश्रा ऑर्थराइटिस के पेशेंट हैं। पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर किसी तरह घर का खर्च चलाते थे,  ऑर्थराइटिस होने के बाद घर खर्च चलाने के भी लाले पड़ गए। लेकिन पढ़ाई में अव्वल रहने वाली अंकिता की स्कूल फीस माफ होने की वजह से उन्हें बेटी को पढ़ाने का सहारा मिला। अब अंकिता का ऐम आईआईटियन बनना है और अपने माता पिता के सपने को पूरा करना है।

चल मेरे भाई

चल भाई तू मुझे पढ़ा और मैं तुझे पढ़ाता हूं। आपस में ही कॉम्पीट करेंगे, दोनो साथ पढ़ेंगे और टॉप करेंगे। नंदलाल खन्ना में पढऩे वाले दो सगे भाई सौरभ और उत्कर्ष ने कोचिंग ट्यूशन का सहारा न लेकर साथ साथ पढ़ाई करना ज्यादा अच्छा समझा। दोनों के ही पढ़ाई में अव्वल होने के कारण उनका कॉम्पटीशन बढ़ता गया और इसका फायदा उन्हें ये हुआ कि दोनो ने ही अपने स्कूल में टॉप पोजिशन पर कब्जा जमा लिया। ग्वालटोली के रहने वाले सौरभ और उत्कर्ष के पिता देवेंद्र सिंह पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और मां गायत्री प्राइमरी टीचर हैं। छोटे भाई सौरभ सिंह ने 92.5 परसेंट, और उत्कर्ष ने 92.3 परसेंट माक्र्स लाकर सिटी के टॉप टेन स्टूडेंट्स के बीच अपनी जगह बना ली। अब दोनों का ही सपना आईआईटियन बनने के बाद आईएएस बनने का है।

पढ़ाई को गेम की तरह एंज्वॉय किया

मैथ्स और साइंस के जिन सवालों में बच्चे उलझे रहते हैं उन्हीं को अपना शौक बना कर गेम की तरह एंज्वॉय करना अंतरा की हॉबीज में शामिल है। कई बार मैथ्स ओलंपियाड और क्विज कॉम्पटीशन में विनर रह चुकी अंतरा मिश्रा ने यूपी बोर्ड हाईस्कूल में भी झंडा फहराया और 93.5 परसेंट माक्र्स लाकर सिटी की सेकेंड टॉपर बन गई। गाने सुनने की शौकीन अंतरा का कहना है कि म्यूजिक से उसे बहुत प्यार है और म्यूजिक सुनते हुए पढऩा उसके लिए और ईजी हो जाता है। अंतरा का कहना है कि अच्छे माक्र्स लाने के लिए स्कूल स्टडी के अलावा घर पर भी 6 से 7 घंटे की पढ़ाई जरूरी है।