लगातार बढ़ रहे हैं ब्लड प्रेशर के मरीज
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ALLAHABAD: ब्लड प्रेशर साइलेंट किलर है। इसके लक्षण नहीं होते लेकिन यह धीरे-धीरे बॉडी को खोखला करता है। इसका सबसे बड़ा कारण फिजिकल एक्टिविटी का कम हो जाना है। आजकल यंगस्टर्स अपना अधिकतर समय कम्प्यूटर और मोबाइल के साथ बिताते हैं और यही इस बीमारी की वजह बनता है। देखा जाए तो वर्किंग क्लास में 60 फीसदी पर यह खतरा मंडराता है।
रोजाना 35 से 40 फीसदी पेशेंट्स
एसआरएन हॉस्पिटल की कार्डियक ओपीडी में रोजाना 35 से 40 फीसदी मरीज हाइपरटेंशन की शिकायत से ग्रसित होते हैं। बता दें कि इनमें से 15 से 20 फीसदी मरीज की उम्र 25 से 40 साल के बीच होती है। बाकी मरीज 40 से 70 साल के बीच होते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि बीपी के मरीजों का घटता एजगु्रप भविष्य के खतरे के प्रति आगाह कर रहा है। देखा जाए तो 25 से 40 एजग्रुप का 20 फीसदी का आंकड़ा अधिक चिंताजनक है।
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इस बार की थीम, नो योर नंबर
डब्ल्यूएचओ यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बार वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की थीम नो योर नंबर रखी है। इसका मतलब है कि 30 साल की एज के बाद हर छह माह में अपना बीपी चेक कराना चाहिए। इससे आपको इस साइलेंट खतरे का अंदाजा हो जाएगा और आप खतरनाक बीमारी से शरीर की रक्षा कर सकेंगे। परिवार में किसी को बीपी की समस्या है तो अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।
ये हैं बचाव के तरीके
-धूम्रपान न करें।
-हरी-सब्जियों और फलों का सेवन।
-रोज करीब एक घंटे व्यायाम।
-नमक का कम सेवन।
ब्लड प्रेशर और आंकड़े
-08 में से 01 व्यक्ति है यहां पर हाइपरटेंशन का शिकार।
-08 फीसदी भारत की आबादी बीपी की शिकार है।
-10 फीसदी पुरुष और 7 फीसदी है इसमें महिलाओं की संख्या।
-23 से बढ़कर 43 फीसदी हो गए हैं शहरी इलाकों में बीपी के मरीज।
-11 से बढ़कर 29 फीसदी हो गई है। गांव में मरीजों की आबादी।
-35 से 45 साल के लोगों में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है।
बीपी अधिक होने से हो सकते हैं खतरे
-लिवर व किडनी को नुकसान पहुंचाना।
-हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ना।
-चक्कर आना और चिड़चिड़ापन बढ़ना।
-आंखों की रोशनी को प्रभावित करना।
-शरीर में थकावट व कमजोरी का अहसास होना।
वर्जन
यह चिंता की बात है कि आजकल हाइपरटेंशन के रोगियों का एजग्रुप घटता जा रहा है। यह सही साइन नहीं है। इस ओर युवाओं को ध्यान देना होगा। रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करें। वॉकिंग या जॉगिंग सेहत के लिए बेहतर है विकल्प है।
-डॉ। पीयूष सक्सेना, हृदयरोग विशेषज्ञ, एसआरएन हॉस्पिटल