लेजर लाइट के जद में आने पहले ही एलार्म के तार को बनाया था निशाना

सीसीटीवी के डीवीआर के धोखे में उठा ले गए बैंक का मॉडम

ALLAHABAD@ionext.co.in

ALLAHABAD: सिविल लाइंस के सरदार पटेल मार्ग में स्थित यूको बैंक की मुख्य शाखा के लॉकर तोड़कर हुई चोरी ने बैंकों के पुख्ता सिक्योरिटी सिस्टम को चैलेंज कर दिया है। मौके पर पहुंचे आईजी और एसएसपी ने चोरों को मोडस ऑफ अपरेंडी देखी तो सन्न रह गये। चोरों ने बैंक में सेक्योरिटी के लिए लगे एलार्म का वायर काट दिया ताकि लेजर लाइट के दायरे में आएं तो एलार्म न बजे। सीसीटीवी कैमरे का तार भी काट दिया ताकि पहचान का कोई निशान न बचे। इसी का नतीजा है कि पुलिस के हाथ सिर्फ लोगों की चेहरा ढकी हुई तस्वीर ही है जिसके सहारे उसे घटना को अंजाम देने वालों तक पहुंचना है।

प्रोफेशन तरीके से अंजाम दी वारदात

बैंक में हुई चोरी की जानकारी के बाद पहुंचे एसएसपी आकाश कुलहरि ने शुरुआती जांच और वारदात को अंजाम देने के तरीके को देखकर इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि ये प्रोफेशन क्रिमनल का ही काम हो सकता है। चोरों ने स्ट्रॉंग रूम का दरवाजा काटते समय भी पूरा एहतियात बरता था। चोरों ने गैस कटर का प्रयोग किया। गैस कटर के इस्तेमाल के दौरान उठने वाले धुएं से एलार्म न बज उठे इसके लिए स्मोक डिटेक्टर को नष्ट कर दिया गया। चोरों को इस बात की भी जानकारी थी कि स्ट्रांग रूम का लॉक सिर्फ लोहे से बना हुआ है। जिससे गैस कटर से वह आसानी से काटा जा सकता है।

डीवीआर तक नहीं पहुंच पाए

चोरों ने वारदात को अंजाम देने के बाद खुद को सेफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सीसीटीवी से बैंक या पुलिस को कोई मदद न मिले इसके लिए उन्होंने डीवीआर की तलाशी भी की। अलग बात है कि यहां वे गच्चा खा गये और डीवीआर समझकर बैंक के इंटरनल वर्क के लिए लगा मॉडम उठा ले गए। ब्रांच मैनेजर मयंक सिंह ने बताया कि मॉडम में बैंक के जुडे़ सभी काम को आपरेट करने की सुविधा है। मॉडम के जरिए बैंक के सभी इंटरनल काम किये जाते हैं।

खिड़की के पास मिली लोहे की छड़

चोरों ने बैंक में घुसने के लिए जिस खिड़की का इस्तेमाल किया, पहले उसमें लगी जाली को तोड़ा। उसके बाद खिड़की में लगे लोहे की छड़ को काटकर उसे खिड़की के पास ही फेंक दिया। पुलिस टीम को खिड़की के पास ही लोहे के सभी छड़ पड़े मिले।

गैस कटर-सिलेंडर छोड़ गए चोर

बैंक के स्ट्रांग रूम का गेट काटने और लॉकर को तोड़कर उसका सारा सामान चोरी करने के बाद चोरो ने गैस कटर, सिलेंडर और दूसरे औजार को बैंक में ही छोड़ दिया। इसे पुलिस ने रिकवर कर लिया है। पुलिस को बैंक के स्ट्रांग रूम के पास से छेनी, हथौड़ा आदि मिला है। पुलिस अफसरों ने बताया कि स्ट्रांग रूम का दरवाजा बनाने में कंकरीट का प्रयोग भी किया जाता तो वह गैस कटर से काटना संभव नहीं होता। यहां इसे लोहे से तैयार किया गया है, शायद यह उन्हें पहले से पता था।

एसटीएफ ने कब्जे में ली डीवीआर

बैंक में हुई चोरी की जांच में जुटी एसटीएफ की टीम ने बैंक में लगे सीसीटीवी के डीवीआर को कब्जे में ले लिया। देर शाम तक एसटीएफ की टीम बैंक का सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुटी रही। जिससे चोरों के बारे में कोई सुराग मिल सके। बैंक के साथ ही एसटीएफ की टीम बैंक के आस पास स्थित दुकानों और शोरूम में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच भी शुरू कर दी। जिससे चोरों के बारे में सुराग मिल सके।

कई दिनों से चल रही थी रेकी

पुलिस की जांच में अभी तक जो बाते निकलकर सामने आयी है, उससे माना जा रहा है कि वारदात को अंजाम देने से पहले चोरों ने कई दिनों तक रेकी थी। अफसर इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे कि वारदात को अंजाम देने और रेकी कराने में बैंक का कोई कर्मचारी भी शामिल हो सकता है। चोरों ने बैंक में घुसने के लिए जिस खिड़की का प्रयोग किया उसका लॉक खराब है। खिड़की के पास ही एक कम्प्यूटर भी रखा हुआ है। जिससे अगर खिड़की को धक्का देकर खोलने का प्रयास किया जाता तो वह कम्प्यूटर गिर जाता, लेकिन ऐसा हुआ नही। कम्प्यूटर बड़े करीने से खिड़की के बगल में रखा हुआ था। अफसरों का कहना था कि ऐसा तभी हो सकता है कि जब किसी को पहले से इसकी जानकारी हो, कि घटना होने वाली है।

कस्टमर को लगेगी करोड़ों की चोट

बैंक के लॉकर में रखे सामने की सुरक्षा की जिम्मेदारी कस्टमर की होती है। इस बार में एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि इसमें बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। इतना जरूर होता है कि बैंक के लॉकर्स का भी इंश्योरेंस होता है। जिससे किसी भी घटना के समय लाकर्स में रखे सामान के बदले में मुआवजा मिल सके। इसके लिए कस्टमर्स को पाई-पाई की डिटेल और रसीद पेश करनी होगी। ऐसा नहीं होने पर बैंक के लॉकर्स से कस्टमर्स के चोरी हुए सामान का सीधा नुकसान उन कस्टमर्स को ही उठाना पड़ेगा।

जिन कस्टमर्स के लॉकर्स से सामान गायब हुए हैं, उनसे डिटेल मांगी गई है। ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि उनका कितना नुकसान हुआ है। इसके बाद डिटेल रिपोर्ट हेड आफिस भेज दिया जाएगा। जिससे कस्टमर्स के नुकसान का सेटलमेंट हो सके।

मयंक सिंह

ब्रांच मैनेजर, यूको बैंक, सिविल लाइंस