- 150 रुपये की लागत से बनाते सीमेंट और बेचते थे 350 रुपये मे

- बड़ी मात्रा में ब्रांडेड कंपनी की सीमेंट की बोरियां, सीमेंट तैयार करने वाले उपकरण बरामद

LUCKNOW :

अगर आप घर बनवाने जा रहे हैं तो सावधान हो जाए। राजधानी में ब्रांडेड सीमेंट के नाम पर शातिर नकली सीमेंट बड़ी आसानी से बेच रहे हैं। ऐसी ही एक फैक्ट्री का पर्दाफाश करते हुए पारा इलाके में पुलिस ने एक नकली सीमेंट बनाने वाली फैक्ट्री को सील किया है। जहां बड़ी मात्रा में ब्रांडेड कंपनी की सीमेंट की बोरियां, सीमेंट तैयार करने वाले उपकरण मिले हैं। यहां मिले सामान को पुलिस ने टेस्ट के लिए लैब में भेजा है।

15 सौ सीमेंट की बोरियां बरामद

इंस्पेक्टर पारा अखिलेश चंद्र पांडेय ने बताया कि कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि इलाके में नकली सीमेंट का कारोबार चल रहा है। जिला प्रशासन से भी इस बाबत इनपुट मिला था कि आधारखेड़ा के मुजफ्फर खेड़ा में नकली सीमेंट फैक्ट्री का संचालन हो रहा है। इस पर पुलिस टीम गठित की गई और मौके पर छापेमारी की। यहां से फैक्ट्री संचालक हसनगंज उन्नाव निवासी शरीफ खान को पकड़ा गया। मौके से 1500 बोरी नकली सीमेंट और सीमेंट बनाने के उपकरण भी बरामद किए गए। शरीफ से उसके अन्य साथियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।

दो सौ रुपए प्रति बोरी फायदा

पूछताछ में शरीफ ने बताया कि वह ब्रांडेड कंपनी की बोरी में नकली सीमेंट भरकर बेचता था। नकली सीमेंट बनाने में प्रति बोरी 150 रुपए का खर्च आता था, वहीं ब्रांडेड की बोरी होने पर यह बाजार में आसानी से 350 रुपए प्रति बोरी बिक जाती थी। 200 रुपए प्रति बोरी का उसे लाभ होता था। शरीफ ने बताया कि वह प्रतिदिन सैकड़ों बोरी इस तरह बेच देता था।

ऐसे बनाता था नकली सीमेंट

पुलिस ने बताया कि शरीफ ब्रांडेड कंपनी के गोदाम से सीमेंट की कटी फटी बोरियां सौ रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खरीद लेता था। उन बोरियों में भरी सीमेंट निकाल कर वह उनका पाउडर बनाता था। इसके बाद सस्ती क्वॉलिटी का सीमेंट मैटेरियल इसमें मिलाकर ब्रांडेड कंपनी की बोरी में पैक कर उसकी सप्लाई मार्केट में करता था। यह पूरा खेल काफी सफाई के साथ किया जा रहा था।

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लैब भेजे गए सैम्पल

सीओ आलमबाग संजीव सिन्हा ने बताया कि नकली सीमेंट की जांच के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों की मदद से सैम्पल को लैब भेजा गया है। जिससे पता चल सके कि सीमेंट में क्या-क्या मिलाया जाता था।

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जुगाड़ के नाम पर सप्लाई

प्राइवेट और सरकारी ठेकेदारों को फैक्ट्री संचालक 'जुगाड़' की सीमेंट बता कर बेच देता था। मार्केट से पचास से सत्तर रुपये कम रेट पर ब्रांडेड कंपनी की सीमेंट मिलने से लोग बिना सोचे समझे उसे खरीद लेते थे।