वरना बीआरडी में जान न बच पाएगी

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-शुक्रवार को मंडलीय कारागार के घायलों को हैंडल करने में खुली बीआरडी की पोल

- इमरजेंसी ड्रग्स, आरएल, एनएस तक नहीं मौजूद, हादसों के वक्त कैसे करेंगे हालात का सामना

sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: सुनने में तो यह बड़ा भयावह लगता है, लेकिन यही सच है। जिस बीआरडी मेडिकल कॉलेज से आस रहती है कि कभी आफत आई तो वहां जान बच जाएगी, उसकी हालत बेहद दयनीय है। शुक्रवार को मंडलीय कारागार के घायल बंदीरक्षक को हैंडल करने में बीआरडी की पोल खुल गई। सवाल पैदा होता है कि अगर शहर में कोई बड़ा हादसा हो गया तो बीआरडी कैसे बचा पाएगा लोगों की जान?

जो हुआ हैरान करने वाला था

गुरुवार के दिन गोरखपुर मंडलीय कारागार में सुबह से ही बवाल मचा हुआ था। बंदियों ने जेल में जो तांडव खड़ा किया कि पुलिस-प्रशासन की हवा खराब हो गई। इस दौरान तीन बंदीरक्षक घायल हो गए। इन्हें इलाज के लिए आनन-फानन में अस्पताल भेजा गया। गंभीर घायल, राजेंद्र यादव को बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन यह क्या, गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद राजेंद्र यादव को जरूरी दवाएं तक नहीं दी जा रही थीं। इस दौरान ट्रामा सेंटर में उनके साथ मौजूद अन्य बंदीरक्षकों ने आपत्ति जताई। काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें डीप सेट और आईवी सेट मिला। लेकिन अन्य मरीजों को बाहर से ही दवा व अन्य सामान लेना पड़ा। वजह जानेंगे तो आप भी चौंक पड़ेंगे। असल में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जरूरी दवाएं हैं ही नहीं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर के सामने ही स्टाफ नर्स ने कह दिया कि हमारे पास कुछ है ही नहीं तो दें कहां से?

आए दिन दौरे, फिर भी ये हाल

यह स्थिति उस मेडिकल कॉलेज की है, जहां आए दिन नेता, मंत्री और सरकार के आला अफसर दौरा करते रहते हैं। दौरा करने के बाद सभी एक ही सुर में पर्याप्त बजट होने और व्यवस्था को बेहतर बताकर निकल लेते हैं। लेकिन तल्ख हकीकत यह है कि बीआरडी में इमरजेंसी ड्रग्स से लेकर आरएल, एनएस तक की बोतलें खत्म हो चुकी हैं। हार्ट और दिमाग के मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों का टोटा है। जबकि ओपीडी में सबसे ज्यादा दिल, दिमाग समेत हादसों में घायल मरीज ही आते हैं। वहीं वार्डो का सच भी किसी से छुपा नहीं है। यहां से ड्रग स्टोर के लिए जा रहे इंडेंट की भी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इसे लेकर इंप्लॉईज भी खासे परेशान हैं। दूसरी तरफ डॉक्टर पर्ची पर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। इस संबंध में जब एक हेल्थ इंप्लॉई से बात की गई तो नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहां तो चर्म क्रीम, इमरजेंसी ड्रग्स, इंट्राकैप, डीप सेट, आईवी सेट, सीरिंज तक नहीं मिल पा रहा है।

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इसलिए बीआरडी की हालत देख लगता है डर

-गोरखपुर की लोकेशन बेहद सेंसिटिव है। यह नेपाल बॉर्डर के करीब बसा शहर है। आतंकियों के लिए गोरखपुर सॉफ्ट टारगेट है। यहां बॉर्डर से कुछ मोस्ट वांटेड आतंकी पकड़े भी गए हैं। कभी कोई बड़ा हमला हुआ तो घायलों का इलाज कैसे होगा?

-भूकंप के लिहाज से भी शहर काफी संवेदनशील है। 2015 में शहर दो भूकंपों का दर्द झेल चुका है। शुक्र है तब ज्यादा लोग जख्मी नहीं हुए थे। अगर कभी बड़ा भूकंप आया तो कैसे संभालेंगे?

-गोरखपुर समेत पूरे पूर्वाचल का एकमात्र मेडिकल कॉलेज है। कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बस्ती, संतकबीरनगर में कोई बड़ा हादसा पेश आया तो फिर कैसे होगा घायलों का इलाज?

- यहां अक्सर ट्रेन हादसे भी होते रहते हैं। अगर कभी कोई बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट हो गया तो फिर घायलों का भगवान ही मालिक है।

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हर रोज चार हजार ओपीडी

-4000 पेशेंट्स हर रोज इलाज के लिए पहुंचते हैं।

-1050 बेड संख्या वाला है बीआरडी मेडिकल कॉलेज।

-आर्थो, दिल, दिमाग, चर्म रोग, न्यूरो, सर्जरी आदि मरीज की संख्या ज्यादा।

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साहब आते हैं, देखते हैं, चले जाते हैं

-7 सितंबर- कांग्रेस युवराज राहुल गांधी का बीआरडी के इंसेफेलाइटिस वार्ड का दौरा।

- 29 सितंबर- को प्रमुख सचिव का बीआरडी दौरा।

-1 अक्टूबर- को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मंत्री जेपी नड्डा सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक का शिलान्यास किया।

समय पर सप्लाई नहीं देती कंपनी

बीआरडी में दवा देने वाली कंपनी को समय पर बजट न मिलने की वजह से आए दिन यह समस्या बनी रहती है। वहीं लोकल पर्चे में भी यह दिक्कत आती है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। ऐसी हालत में गंभीर मरीजों के तीमारदारों को दवाएं बाहर से मंगानी पड़ती हैं।

इनका दर्द भी सुनिए

दो दिन से उनके मरीज इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती है। दवाएं, इंजेक्शन सब बाहर से लाना पड़ रहा है।

राजकुमार, कुशीनगर

यहां पर एक सिरिंज तक तो मिलती नहीं। पता नहीं किस बात का मेडिकल कॉलेज है यह?

साकेत, महराजगंज

इनका पड़ा है टोटा

आरएल

एनएस

डीएस

सिरिंज

दिमाग की दवा

दिल की दवाएं

इप्टोइन

नेजल प्रान

नेबुलाइजर

मास्क

आईवी सेट

इंट्राकैथ आदि

वर्जन

दवाओं के लिए पिछले दिन ही डिमांड भेजा गया है लेकिन अभी तक दवाएं नहीं मिली हैं। इसके लिए लोकल स्तर से व्यवस्था कराई जा रही है।

डॉ। एके श्रीवास्तव, एसआईसी