-हजरतगंज पुलिस ने विवेचना गोरखपुर पुलिस को ट्रांसफर की

LUCKNOW :

गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने की वजह से बच्चों की मौत के मामले में कॉलेज के पि्रंसिपल समेत नौ लोगों को नामजद करते हुए हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है। घटनास्थल गोरखपुर में होने की वजह से मामले की विवेचना गोरखपुर पुलिस को ट्रांसफर कर दी गई है।

संगीन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर

पुलिस के मुताबिक, डीजी मेडिकल एजुकेशन केके गुप्ता की तहरीर पर बीती रात हजरतगंज पुलिस ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। राजीव मिश्र, उनकी पत्‍‌नी डॉ। पूर्णिमा शुक्ला, पुष्पा सेल्स के एमडी मनीष भंडारी, एनेस्थिसिया विभाग के इंचार्ज डॉ। सतीश, 100 बेड हॉस्पिटल के एचओडी डॉ। कफील खान, चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, ऑडिट डिपार्टमेंट-3 के कनिष्ठ सहायक लिपिक उदय प्रताप शर्मा, लेखा अनुभाग के सहायक लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी और सहायक लिपिक सुधीर कुमार पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। इस एफआईआर में आरोपियों पर सदोष मानव वध, आपराधिक न्यास भंग, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, 66 आईटी एक्ट, 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और 15 इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं।

ऐसा क्या जिसकी पर्दादारी है?

बीआरडी मेडिकल कॉलेज मामले में बीती देररात दर्ज हुई एफआईआर को छिपाने के लिये लखनऊ पुलिस ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। आलम यह था कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी एसएसपी दीपक कुमार यह मानने को तैयार न थे कि ऐसी कोई एफआईआर दर्ज भी हुई है। इतना ही नहीं सीओ हजरतगंज अभय मिश्रा और इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद शाही ने भी मामले की एफआईआर दर्ज होने से इंकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों को 'ऊपर' से स्पष्ट निर्देश मिले थे कि इस एफआईआर से संबंधित कोई भी जानकारी किसी को भी न दी जाए। हालांकि, कुछ मीडियाकर्मियों को एफआईआर और उसके कंटेंट की भनक लग गई। इसको लेकर एसएसपी दीपक कुमार ने सीओ व इंस्पेक्टर से सख्त नाराजगी जताई है। वहीं, बताया जा रहा है कि इन दोनों पर इस 'गुस्ताखी' को लेकर गाज भी गिर सकती है।