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- डेड बॉडी के अभाव में एमबीबीएस स्टूडेंट्स नहीं कर पाते प्रैक्टिकल

- एक करोड़ की आर्टिफिशियल डेड बॉडी के लिए एनॉटमी एचओडी ने भेजा प्रस्ताव

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डेड बॉडी के अभाव में अब एमबीबीएस स्टूडेंट्स का प्रैक्टिकल प्रभावित नहीं होगा। बीआरडी के जिम्मेदारों ने इसका उपाय ढूंढ निकाला है। जल्द ही बीआरडी में एक करोड़ की आर्टिफिशियल डेड बॉडी मंगाई जाएगी, जिस पर स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल वर्क करेंगे। इसके लिए एनाटमी डिपार्टमेंट की ओर से पहल की दी गई है। दो प्राइवेट कंपनियों से बात भी हो चुकी है। एक्सपर्ट के अनुसार एक एनाटोमेज डिसेक्शन टेबल होगा जिसमें मानव शरीर की रचना की जांच करने के लिए च्च्चतम गुणवत्ता वाले इमेजिंग सॉफ्टवेयर शामिल होंगे। स्क्रीन के माध्यम से स्टूडेंट हर पार्ट को बारीकी से देख-समझ सकेंगे।

डिस्प्ले होगी रियल पिक्चर

एक्सपर्ट के अनुसार इसमें शरीर के अलग-अलग पार्ट को जोड़ते हुए व बाहर निकालते हुए दिखाया जाएगा। साथ ही आर्टिफिशियल व रियल पिक्चर को भी डिस्प्ले किया जाएगा। इस आर्टिफिशियल डेड बॉडी के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने डीजीएमई को प्रपोजल भेज दिया है। बजट पास होते एनाटोमेज डिसेक्शन टेबल बीआरडी में आ जाएगी।

बॉक्स

हमने उठाई थी समस्या

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एबीबीएस की 100 सीटें हैं। एमबीबीएस की पढाई करने वाले स्टूडेंट्स को प्रथम वर्ष के सिलेबस में ही मानव शरीर की रचना के बारे में बताया जाता है। इसके लिए उन्हें डेड बॉडी की जरूरत होती है लेकिन बीआरडी में डेड बॉडी नहीं मिल पाने के चलते बिना रिसर्च के बिना ही उनकी पढ़ाई हो रही है। इस समस्या को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पब्लिश किया जिसके बाद बीआरडी प्रशासन ने इस संबंध में पहल शुरू कर दी है। एक्सपर्ट के अनुसार एनाटोमेज डिसेक्शन टेबल डिजिटल उपकरण मिल जाएगा तो स्टूडेंट्स के पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ जाएगी। इसके बावजूद भी नेचुरल डेड बॉडी के लिए भी प्रयास जारी रहेगा।

यह है एनाटोमेज डिसेक्शन टेबल

- एक अत्याधुनिक टेबल जो एमबीबीएस स्टूडेंट्स के शोध के लिए कारगर है

- इसमें मानव शरीर रचना की जांच के लिएच्उच्चतम गुणवत्ता वाले इमेजिंग सॉफ्टवेयर शामिल हैं।

- नई अल्ट्राच्उच्च गुणवत्ता विजुलाइजेशन उपलब्ध है। जबकि टचस्क्रीन डिस्प्ले फोटोरियालिस्टिक मानव शरीर रचना के लिए उपयुक्त है।

- एनाटोमेज टेबल की उन्नत तकनीक शिक्षा के लिए फायदेमंद है।

- यह सीखने के अनुभव को बढ़ाती है और छात्र के प्रदर्शन में सुधार करती है।

- अध्ययनों में शरीर रचना विज्ञान पाठ्यक्रम में स्टूडेंट्स के शोध के अंक में दोनों गुणात्मक और मात्रात्मक सुधारों को प्रदर्शित किया गया है।

- सर्जिकल डिवाइस, सर्जिकल उपकरण, रेडियोलॉजी, सॉफ्टवेयर, इमेजिंग उपकरण और डिस्प्ले उपकरण शामिल है।

वर्जन

सभी मेडिकल कॉलेज में डेड बॉडी की परेशानी है। इसके लिए लखनऊ में हुए एक सेमिनार में डिजिटल मशीन के बारे में जानकारी दी गई है। मेडिकल कॉलेज ने प्रपोजल बनाकर भेज दिया है। डिजिटल मशीन मिल जाने से स्टूडेंट्स के लिए शोध में आसानी हो जाएगी।

डॉ। रामजी, एचओडी एनाटमी, बीआरडी