कैबिनेट नोट बनने के बाद ऐन मौके पर सरकार ने पीछे खींचे हाथ

गाजियाबाद घटना के बाद शमन नीति में बदलाव का बदला विचार

शासन के संकेत मिलते ही प्राधिकरण ने बढ़ाई कार्रवाई

Meerut। यूपी में नई शमन नीति पर फिलहाल बे्रक लग गया है। कैबिनेट बैठक से ठीक पहले सरकार ने इस नीति से हाथ पीछे खींच लिए हैं। विभाग के मुताबिक नई नीति को लेकर मसौदा तैयार करने के बाद कैबिनेट बैठक के लिए कैबिनेट नोट तक बन गए थे, इसी दौरान गाजियाबाद-नोएडा में बिल्डिंग जमींदोज होने की घटनाएं हो गई। ऐसे में प्रदेश के शहरों में नई नीति के तहत अवैध निर्माणों को 'अभयदान' की सरकार की योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

क्या थी योजना?

सूबे के पुराने शहरों में आवासीय ईकाइयों को नियमित करने के लिए योगी सरकार रिवाइज कम्पाउडिंग स्कीम लेकर आ रही थी। प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल के निर्देशन में एक मसौदा तैयार हुआ, प्रदेश के सभी प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद के अधिकारी नई शमन नीति को बनाने में शामिल थे। इस नीति से शहर के पुराने हिस्सों के ज्यादातर अवैध निर्माण प्रावधान का लाभ लेकर वैध हो जाते। योजना थी कि निर्मित अवैध कॉलोनियों में वाह्य विकास और आंतरिक को पूर्ण कर उन्हें प्रावधानों के साथ वैधता प्रदान की जाती। गत दिनों लखनऊ में हुई मीटिंग के बाद जहां मसौदे को सैद्धांतिक मान्यता मिल गई थी तो वहीं प्राधिकरणों ने भी अवैध निर्माणों पर शिकंजा ढीला कर ि1दया था।

फिर शुरू हुई छापेमारी

नई शमन नीति के ठंडे बस्ते में पड़ने के बाद एक बार फिर सरकार के निर्देश पर प्राधिकरणों ने अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में एमडीए वीसी साहब सिंह सभी जोन प्रभारियों के रोजाना बैठक कर सीलिंग और कम्पाउंडिंग के केसेज की समीक्षा कर रहे हैं। नई शमन नीति पर फिलहाल ब्रेक से प्राधिकरण की आय में भी खासा अंतर पड़ा है।

संशोधित शमन नीति का प्रस्ताव तैयार हो गया था। शहर की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए यह नीति बनाई गई। नई शमन नीति पर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। शासन द्वारा अवैध निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

साहब सिंह, उपाध्यक्ष, एमडीए