ठीक वैसे, जैसे शानू ओलंगा हत्याकांड में रईस बनारसी और मामा बिंद की शिनाख्त आपके अखबार ने ही की थी। हमारी तफ्तीश हमें बनारस जेल लेकर पहुंची, जहां मामा बिंद ढाई महीने से एक पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर पनाह पाए है। पुलिस की निगाह से बचे रहने, संभावित एनकाउंटर से बचने के लिए इससे शानदार ठिकाना भला कौन सा हो सकता था। आईये चलिए हमारे साथ उस तलाश के रास्ते पर जो मामा बिंद तक पहुंची।

पहले पुष्टि

ये दावा हम यूं ही नहीं कर रहे। वाराणसी जेल के वरिष्ठ अधीक्षक ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि आई नेक्स्ट जिस मामा बिंद को तलाश रहा है, वो उनकी जेल में बंद है। दरअसल आई नेक्स्ट ने ओलंगा मर्डर केस के वक्त स्पॉट पर जिन दो अपराधियों की फोटो पब्लिश की थी उनकी पहचान रईस बनारसी और राजकुमार बिंद गुड्डू उर्फ मामा के रूप में की थी। रईस को तो बनारस पुलिस ने 23 दिसम्बर को अरेस्ट कर लिया था लेकिन मामा की तलाश में अभी भी लगी हुई थी।

कैसे की पड़ताल

मामा को प्रदेश की पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें मिलकर दिसम्बर के बाद से लगातार तलाश रही थीं। आपका अखबार भी मामा बिंद की तलाश में लगातार लगा हुआ था। इसके लिए हमने दो रास्ते अख्तियार किए। पहला उसके रिश्तेदारों से पूछताछ। इसी क्रम में हमें भनक लगी कि मामा तो कहीं किसी पुराने मामले में जेल में है। इसके बाद चुनौती ये मालूम करना थी कि कौन सी जेल में, किस मामले में। इसके लिए आई नेक्स्ट ने मामा बिंद के सारे आपराधिक मामलों की डिटेल निकलवाई और उनका अदालत में स्टेट्स मालूम किया।

खुल गई पोल

इसी स्टेट्स मालूम करने के क्रम में आई नेक्स्ट को पता चला कि सारनाथ के हत्या के प्रयास के एक मुकदमे में अगली तारीख पर मामा बिंद की पेशी है। उसे पेशी पर जेल से लाया जाना है। मतलब ये कि इस मामले में मामा बिंद जेल में है। वाराणसी जेल में। हमने मुकदमे की डिटेल पता की, जो  शॉकिंग थी। इस मामले में ढ़ाई महीने पहले उसके जमानतियों ने उसकी जमानत वापस ले ली। मामा जमानत तुड़वाकर जेल चला गया और पुलिस को मामू बना गया।

कोर्ट पहुंचा, पुलिस को भनक नहीं

गुड्डू उर्फ मामा इस शातिर बदमाश का क्राइम की दुनिया से पुराना नाता है। शायद तभी इसकी तलाश कानपुर, लखनऊ पुलिस के साथ वाराणसी पुलिस और एसटीएफ की टीम भी कर रही थी। लेकिन इस शातिर बदमाश ने इतने बड़े लाव लश्कर की आंखों में धूल झोंकते हुए जनवरी 2012 को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट के सूत्रों की मानें तो मामा ने जनवरी में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम के कोर्ट में अपने वकील के जरिए सारनाथ थाना क्षेत्र में 2007 में हुए हत्या के प्रयास में सरेंडर के लिए अप्लीकेशन डाली थी। इस मामले में पुलिस ने मामा को अरेस्ट भी किया था और वो जमानत पर बाहर था। लेकिन अपनी जमानत को तुड़वाने के बाद मामा का सरेंडर करना, इस प्रकरण ने कई सवालों को जन्म दे रहा है।

मामा का नया पता बैरक नंबर नौ

आई नेक्स्ट ने मामा को सिर्फ खोजने का काम ही नहीं किया है बल्कि उसका नया पता भी हमारे पास है। राजकुमार बिंद गुड्डू उर्फ मामा इन दिनों जिला जेल वाराणसी के बैरक नंबर नौ में बंद है। इसी के बगल वाली बैरक में उसका दूसरा साथी रईस भी है। जेल के सूत्रों की मानें तो मामा से मिलने अब भी कई शातिर और सफेदपोश लोगों का जेल में आना-जाना लगा हुआ है तो इसलिए अगर आप भी मामा से मिलना या उसे देखना चाह रहे है तो जिला जेल में मुलाकाती के तौर पर पहुंचकर मामा से मिल सकते है।

मुन्ना बजरंगी से भी थे ताल्लुक

राजकुमार बिंद उर्फ मामा ऐसा वैसा बदमाश नहीं है बल्कि पूर्वांचल के नामी मुन्ना बजरंगी गैंग से ताल्लुकात रखता था। एसओजी के सूत्रों की मानें तो मामा शातिर अपराधी दीपक अग्रहरी का राइट हैंड हुआ करता था। जिस वक्त दीपक का एनकाउंटर हुआ था उस वक्त दीपक के साथ मामा मौजूद था लेकिन मुठभेड़ में बचकर भाग निकला। पुलिस रिकार्ड में मामा की लास्ट अरेस्टिंग फरवरी 2011 में मिर्जापुर में आम्र्स एक्ट के तहत दिखाई गई है लेकिन काफी हल्की धारा होने के चलते इसे जमानत भी आसानी से मिल गई थी। सूत्र ये भी बताते है कि जिस मामा ने इन दिनों सरेंडर किया है उसने कई शातिर अपराधियों के साथ मिलकर एक खुद की गैंग बनाई थी और सुपारी किलर के तौर पर काम कर रहा था। मामा पर कानपुर में ओलंगा मर्डर के अलावा, मुगलसराय में डबल मर्डर, बनारस के आदमपुर क्षेत्र में एक साड़ी कारोबारी की हत्या कर 12 लाख की लूट, वाराणसी के मंडुवाडीह थाने में एक हत्या समेत सिगरा में दो लूट के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा संगीन मामलों में पुलिस इसकी तलाश में कर रही थी।

वो कुख्यात शूटर है.

शानू ओलंगा को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी करने का आरोपी

कई जिलों की पुलिस, एसटीएफ और शेहला मसूद हत्याकांड के सिलसिले में सीबीआई को उसकी तलाश है

वो मामा बिंद है। किसी को नहीं पता कि राजकुमार उर्फ मामा बिंद कहां है?

जिस मामा की आप बात कर रहे है वो कानपुर में एक हिस्ट्रीशीटर की हत्या समेत बनारस में कई आपराधिक मामलों में कई दिनों से पुलिस पकड़ से दूर था, लेकिन उसने जनवरी में कोर्ट में सारनाथ में एक हत्या के प्रयास के मामले में सरेंडर कर दिया था तब से वो जिला जेल में ही बंद है।

-संत लाल यादव, अधीक्षक, जिला जेल

दो गुटों में बंटी एसओजी

छोटी मछली का जाल फेंक पुलिस बड़ी मछली को फांसने की फिराक में थी। शार्प शूटर मामा बिंद वाइफ सानिया के साथ जाजमऊ में रहता था। ये बात वाराणसी पुलिस के साथ सिटी पुलिस को भी मालूम थी। पहाड़ी के लिये पुलिस ने कई बार जाल बिछाया मगर वो फंसा नहीं ।

ये है घटनाक्रम

-30 नवंबर को वीआईपी रोड पर हुई हिस्ट्रीशीटर शानू ओलंगा की हत्या, आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद हुए शूटर्स

-1 दिसंबर को आई नेक्स्ट खबर के साथ पब्लिश की फोटो, एक संदिग्ध के रईस बनारसी होने का शक

-सिटी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर रईस बनारसी की तलाश शुरू की

-7 दिसंबर को पुलिस ने कंफर्म किया कि फोटो में दिख रहा शख्स रईस है

-22 दिसंबर को आई नेक्स्ट ने दूसरा संदिग्ध मामा बिंद की खबर छापी

-23 दिसंबर को रईस बनारसी को वाराणसी पुलिस ने पकड़ा, पूछताछ में कबूल की ओलंगा के मर्डर की बात

-10 जनवरी 2012 को कनर्लगंज पुलिस ने रईस के साथ नामजद रफीक ढपाली को गिरफ्तार किया

Report By: Gopal Mishra