कानपुराइट्स के लिए अच्छी खबर है कि गंगाघाट क्रॉसिंग (42 स्पेशल) पर रेल ओवर ब्रिज बनने लगा है। लेकिन शॉकिंग खबर ये है कि इस ब्रिज का हाल भी गोलाघाट गंगा ब्रिज की तरह होने वाला है। यानि ये ब्रिज भी हवा में लटक जाए तो हैरान मत होइएगा। जैसे कि 95 परसेंट तक बन चुका गोलाघाट गंगा ब्रिज कैंट बोर्ड से एनओसी न मिलने की वजह से हवा में तैर रहा है. 
रेलवे करा रहा अपना काम
बालभवन, फूलबाग से सर्किट हाउस को जाने वाली रोड पर गंगाघाट क्रॉसिंग है। इस क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाए जाने का प्रपोजल रेलवे बोर्ड ने 2012 में पास कर दिया था। करीब 28.06 मीटर लंबे रेलवे पोर्शन के लिए 3.75 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए हैैं। पिछले दिनों रेलवे की एनआर डिवीजन, लखनऊ ने क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन कैंट एरिया में होने के कारण उन्हें लगातार डिफेंस की रोक-टोक का सामना भी करना पड़ रहा है। क्योंकि इससे बालभवन फूलबाग से गोलाघाट, सर्किट हाउस की ओर जाने वाली रोड ब्लॉक कर दी गई है। रेलवे के इंजीनियर केसी मीणा ने बताया कि यह कहकर काम रोकने से मना कर दिया है कि वह रेलवे की जमीन पर ब्रिज बना रहे हैं। इससे डिफेंस या कैंट बोर्ड का कोई वास्ता नहीं है। वो 6 महीने में ही ब्रिज का रेलवे पोर्शन बना देने के दावे कर रहे हैैं.
अप्रोच रोड कैसे बनेगी?
गंगाघाट क्रॉसिंग ब्रिज की टोटल लंबाई करीब 700 मीटर है। इसमें रेलवे पोर्शन केवल 28.06 मीटर है। यदि रेलवे ने डिफेंस की एनओसी के बिना रेल ट्रैक पर 6 महीने में ब्रिज बना भी दिया तो इससे पब्लिक को कोई फायदा नहीं होने वाला नहीं है। इस ब्रिज का फायदा पब्लिक को तभी ही मिलेगा, जब तक कि रेलवे पोर्शन के दोनो अप्रोच रोड बन जाए। ये अप्रोच रोड स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को बनानी है। जो कि रेलवे पोर्शन के दोनों ओर करीब 340-340 मीटर लंबी है। ये अप्रोच रोड मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन पर बननी है। लेकिन इसके लिए अभी तक स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी नहीं मिली है। जबकि कैंट बोर्ड के ऑफिसर्स का साफ कहना है कि जब तक एनओसी नहीं मिल जाती है कैंट एरिया में स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को ब्रिज नहीं बनाने दिया जाएगा. 
दो साल से एनओसी का इंतजार
पुराने शुक्लागंज ब्रिज के पैरलल गोलाघाट के पास गंगा पर ब्रिज अप्रैल, 2008 में बनना शुरू हुआ था। जून 2011 में ब्रिज कम्प्लीट होना था पर आज तक ये ब्रिज कम्प्लीट नहीं हो सका है। वजह ये है कि कैंट साइड गंगा के किनारे ब्रिज का एक स्पैन(पिलर) अभी तक नहीं खड़ा सका है। स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन के ऑफिसर्स इस स्पैन को बनाने के लिए करीब 3 साल से डिफेंस मिनिस्ट्री से एनओसी नहीं ले सके हैैं। जबकि ब्रिज 95 परसेंट तक बन चुका है और इसको बनाने में अभी तक 24 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके है। काम रुके होने के कारण ब्रिज की प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 11 करोड़ बढ़ चुकी है. 
जल्दबाजी की वजह?
आधे-अधूरे पड़े गोलाघाट गंगा ब्रिज से शायद रेलवे इंजीनियर्स ने सबक नहीं लिया है। अगर लिया होता तो वे मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से अप्रोच रोड बनाने की स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को एनओसी मिल जाने के बाद पुल बनाने का काम शुरू करते। रेलवे सोर्सेज के मुताबिक इस जल्दबाजी की वजह 3.75 करोड़ रुपए हैैं, जो 42 स्पेशल क्रॉसिंग (रेलवे पोर्शन) पर  ब्रिज बनाने के लिए रेलवे को मिल चुके हैैं। इस बजट को वह जल्द से जल्द इंजीनियर्स खर्च कर देना चाहते हैैं। भले ही स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी मिले या न मिले. 
- 42 स्पेशल गंगाघाट क्रॉसिंग पर ब्रिज तो स्टेट गवर्नमेंट से पास है। लेकिन जमीन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की है। पिछले दो साल से डिफेंस से एनओसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैैं। देखिए कब सफलता मिलती है और एनओसी में क्या शर्ते रहती है?
- वेदप्रकाश, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन

-ब्रिज रेलवे की जमीन पर बनाया जा रहा है। इसके लिए कैंट बोर्ड से एनओसी लेने की कोई जरूरत नहीं है। रास्ता रोके जाने की वजह से डीएम से परमीशन ली जा चुकी है। 6 महीने में ब्रिज बना दिया जाएगा.-
- केसी मीणा, एक्सईएन, नार्थ रेलवे कंस्ट्रक्शन डिवीजन   

-गंगाघाट क्रॉसिंग के दोनों ओर मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन है। इस पर ब्रिज तभी बनाया जा सकता है जबकि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, दिल्ली से एनओसी मिल जाए। बिना एनओसी के कार्य नहीं हो सकता है। गंगा ब्रिज के लिए एनओसी स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन ने प्रोजेक्ट स्टार्ट किए जाने के बाद मांगी थी। इसी वजह से टाइम लगा हुआ है. 
-एनसी सत्यनारायण, सीईओ कैंट बोर्ड

एनओसी की वजह से लटके दो और ब्रिज 

मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने की वजह से शहर में दो और ब्रिज लटके हुए है। इनमें एक जयपुरिया क्रॉसिंग ब्रिज है और दूसरा प्लेटफार्म नम्बर एक रेलवे स्टेशन को जाने वाला खपरा मोहाल क्रॉसिंग ब्रिज है। दोनो ही ब्रिज रेलवे और स्टेट गवर्नमेंट से भी पास है। लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने के कारण लटके हुए है। पिछले वर्ष एनसीआर रेलवे डिवीजन के ऑफिसर्स ने खपरा मोहाल क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने के लिए स्वाइल टेस्टिंग भी शुरू की थी। लेकिन एनओसी न मिलने के कारण कैंट बोर्ड की तरफ से काम बन्द करा दिया गया था. 

42 स्पेशल गंगा घाट क्रॉसिंग ब्रिज
लंबाई - 700 मीटर 
चौड़ाई -  टू लेन
रेलवे पोर्शन - 28.06 मीटर
कास्ट (रेलवे पोर्शन)- 3.75 करोड़

कानपुराइट्स के लिए अच्छी खबर है कि गंगाघाट क्रॉसिंग (42 स्पेशल) पर रेल ओवर ब्रिज बनने लगा है। लेकिन शॉकिंग खबर ये है कि इस ब्रिज का हाल भी गोलाघाट गंगा ब्रिज की तरह होने वाला है। यानि ये ब्रिज भी हवा में लटक जाए तो हैरान मत होइएगा। जैसे कि 95 परसेंट तक बन चुका गोलाघाट गंगा ब्रिज कैंट बोर्ड से एनओसी न मिलने की वजह से हवा में तैर रहा है. 

रेलवे करा रहा अपना काम

बालभवन, फूलबाग से सर्किट हाउस को जाने वाली रोड पर गंगाघाट क्रॉसिंग है। इस क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाए जाने का प्रपोजल रेलवे बोर्ड ने 2012 में पास कर दिया था। करीब 28.06 मीटर लंबे रेलवे पोर्शन के लिए 3.75 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए हैैं। पिछले दिनों रेलवे की एनआर डिवीजन, लखनऊ ने क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन कैंट एरिया में होने के कारण उन्हें लगातार डिफेंस की रोक-टोक का सामना भी करना पड़ रहा है। क्योंकि इससे बालभवन फूलबाग से गोलाघाट, सर्किट हाउस की ओर जाने वाली रोड ब्लॉक कर दी गई है। रेलवे के इंजीनियर केसी मीणा ने बताया कि यह कहकर काम रोकने से मना कर दिया है कि वह रेलवे की जमीन पर ब्रिज बना रहे हैं। इससे डिफेंस या कैंट बोर्ड का कोई वास्ता नहीं है। वो 6 महीने में ही ब्रिज का रेलवे पोर्शन बना देने के दावे कर रहे हैैं।

अप्रोच रोड कैसे बनेगी?

गंगाघाट क्रॉसिंग ब्रिज की टोटल लंबाई करीब 700 मीटर है। इसमें रेलवे पोर्शन केवल 28.06 मीटर है। यदि रेलवे ने डिफेंस की एनओसी के बिना रेल ट्रैक पर 6 महीने में ब्रिज बना भी दिया तो इससे पब्लिक को कोई फायदा नहीं होने वाला नहीं है। इस ब्रिज का फायदा पब्लिक को तभी ही मिलेगा, जब तक कि रेलवे पोर्शन के दोनो अप्रोच रोड बन जाए। ये अप्रोच रोड स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को बनानी है। जो कि रेलवे पोर्शन के दोनों ओर करीब 340-340 मीटर लंबी है। ये अप्रोच रोड मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन पर बननी है। लेकिन इसके लिए अभी तक स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी नहीं मिली है। जबकि कैंट बोर्ड के ऑफिसर्स का साफ कहना है कि जब तक एनओसी नहीं मिल जाती है कैंट एरिया में स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को ब्रिज नहीं बनाने दिया जाएगा. 

दो साल से एनओसी का इंतजार

पुराने शुक्लागंज ब्रिज के पैरलल गोलाघाट के पास गंगा पर ब्रिज अप्रैल, 2008 में बनना शुरू हुआ था। जून 2011 में ब्रिज कम्प्लीट होना था पर आज तक ये ब्रिज कम्प्लीट नहीं हो सका है। वजह ये है कि कैंट साइड गंगा के किनारे ब्रिज का एक स्पैन(पिलर) अभी तक नहीं खड़ा सका है। स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन के ऑफिसर्स इस स्पैन को बनाने के लिए करीब 3 साल से डिफेंस मिनिस्ट्री से एनओसी नहीं ले सके हैैं। जबकि ब्रिज 95 परसेंट तक बन चुका है और इसको बनाने में अभी तक 24 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके है। काम रुके होने के कारण ब्रिज की प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 11 करोड़ बढ़ चुकी है. 

जल्दबाजी की वजह?

आधे-अधूरे पड़े गोलाघाट गंगा ब्रिज से शायद रेलवे इंजीनियर्स ने सबक नहीं लिया है। अगर लिया होता तो वे मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से अप्रोच रोड बनाने की स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को एनओसी मिल जाने के बाद पुल बनाने का काम शुरू करते। रेलवे सोर्सेज के मुताबिक इस जल्दबाजी की वजह 3.75 करोड़ रुपए हैैं, जो 42 स्पेशल क्रॉसिंग (रेलवे पोर्शन) पर  ब्रिज बनाने के लिए रेलवे को मिल चुके हैैं। इस बजट को वह जल्द से जल्द इंजीनियर्स खर्च कर देना चाहते हैैं। भले ही स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी मिले या न मिले. 

- 42 स्पेशल गंगाघाट क्रॉसिंग पर ब्रिज तो स्टेट गवर्नमेंट से पास है। लेकिन जमीन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की है। पिछले दो साल से डिफेंस से एनओसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैैं। देखिए कब सफलता मिलती है और एनओसी में क्या शर्ते रहती है?

- वेदप्रकाश, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन

-ब्रिज रेलवे की जमीन पर बनाया जा रहा है। इसके लिए कैंट बोर्ड से एनओसी लेने की कोई जरूरत नहीं है। रास्ता रोके जाने की वजह से डीएम से परमीशन ली जा चुकी है। 6 महीने में ब्रिज बना दिया जाएगा.-

- केसी मीणा, एक्सईएन, नार्थ रेलवे कंस्ट्रक्शन डिवीजन   

-गंगाघाट क्रॉसिंग के दोनों ओर मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन है। इस पर ब्रिज तभी बनाया जा सकता है जबकि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, दिल्ली से एनओसी मिल जाए। बिना एनओसी के कार्य नहीं हो सकता है। गंगा ब्रिज के लिए एनओसी स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन ने प्रोजेक्ट स्टार्ट किए जाने के बाद मांगी थी। इसी वजह से टाइम लगा हुआ है. 

-एनसी सत्यनारायण, सीईओ कैंट बोर्ड

एनओसी की वजह से लटके दो और ब्रिज 

मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने की वजह से शहर में दो और ब्रिज लटके हुए है। इनमें एक जयपुरिया क्रॉसिंग ब्रिज है और दूसरा प्लेटफार्म नम्बर एक रेलवे स्टेशन को जाने वाला खपरा मोहाल क्रॉसिंग ब्रिज है। दोनो ही ब्रिज रेलवे और स्टेट गवर्नमेंट से भी पास है। लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने के कारण लटके हुए है। पिछले वर्ष एनसीआर रेलवे डिवीजन के ऑफिसर्स ने खपरा मोहाल क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने के लिए स्वाइल टेस्टिंग भी शुरू की थी। लेकिन एनओसी न मिलने के कारण कैंट बोर्ड की तरफ से काम बन्द करा दिया गया था. 

42 स्पेशल गंगा घाट क्रॉसिंग ब्रिज

लंबाई - 700 मीटर 

चौड़ाई -  टू लेन

रेलवे पोर्शन - 28.06 मीटर

कास्ट (रेलवे पोर्शन)- 3.75 करोड़


कानपुराइट्स के लिए अच्छी खबर है कि गंगाघाट क्रॉसिंग (42 स्पेशल) पर रेल ओवर ब्रिज बनने लगा है। लेकिन शॉकिंग खबर ये है कि इस ब्रिज का हाल भी गोलाघाट गंगा ब्रिज की तरह होने वाला है। यानि ये ब्रिज भी हवा में लटक जाए तो हैरान मत होइएगा। जैसे कि 95 परसेंट तक बन चुका गोलाघाट गंगा ब्रिज कैंट बोर्ड से एनओसी न मिलने की वजह से हवा में तैर रहा है. 
रेलवे करा रहा अपना काम
बालभवन, फूलबाग से सर्किट हाउस को जाने वाली रोड पर गंगाघाट क्रॉसिंग है। इस क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाए जाने का प्रपोजल रेलवे बोर्ड ने 2012 में पास कर दिया था। करीब 28.06 मीटर लंबे रेलवे पोर्शन के लिए 3.75 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए हैैं। पिछले दिनों रेलवे की एनआर डिवीजन, लखनऊ ने क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन कैंट एरिया में होने के कारण उन्हें लगातार डिफेंस की रोक-टोक का सामना भी करना पड़ रहा है। क्योंकि इससे बालभवन फूलबाग से गोलाघाट, सर्किट हाउस की ओर जाने वाली रोड ब्लॉक कर दी गई है। रेलवे के इंजीनियर केसी मीणा ने बताया कि यह कहकर काम रोकने से मना कर दिया है कि वह रेलवे की जमीन पर ब्रिज बना रहे हैं। इससे डिफेंस या कैंट बोर्ड का कोई वास्ता नहीं है। वो 6 महीने में ही ब्रिज का रेलवे पोर्शन बना देने के दावे कर रहे हैैं.
अप्रोच रोड कैसे बनेगी?
गंगाघाट क्रॉसिंग ब्रिज की टोटल लंबाई करीब 700 मीटर है। इसमें रेलवे पोर्शन केवल 28.06 मीटर है। यदि रेलवे ने डिफेंस की एनओसी के बिना रेल ट्रैक पर 6 महीने में ब्रिज बना भी दिया तो इससे पब्लिक को कोई फायदा नहीं होने वाला नहीं है। इस ब्रिज का फायदा पब्लिक को तभी ही मिलेगा, जब तक कि रेलवे पोर्शन के दोनो अप्रोच रोड बन जाए। ये अप्रोच रोड स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को बनानी है। जो कि रेलवे पोर्शन के दोनों ओर करीब 340-340 मीटर लंबी है। ये अप्रोच रोड मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन पर बननी है। लेकिन इसके लिए अभी तक स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी नहीं मिली है। जबकि कैंट बोर्ड के ऑफिसर्स का साफ कहना है कि जब तक एनओसी नहीं मिल जाती है कैंट एरिया में स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को ब्रिज नहीं बनाने दिया जाएगा. 
दो साल से एनओसी का इंतजार
पुराने शुक्लागंज ब्रिज के पैरलल गोलाघाट के पास गंगा पर ब्रिज अप्रैल, 2008 में बनना शुरू हुआ था। जून 2011 में ब्रिज कम्प्लीट होना था पर आज तक ये ब्रिज कम्प्लीट नहीं हो सका है। वजह ये है कि कैंट साइड गंगा के किनारे ब्रिज का एक स्पैन(पिलर) अभी तक नहीं खड़ा सका है। स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन के ऑफिसर्स इस स्पैन को बनाने के लिए करीब 3 साल से डिफेंस मिनिस्ट्री से एनओसी नहीं ले सके हैैं। जबकि ब्रिज 95 परसेंट तक बन चुका है और इसको बनाने में अभी तक 24 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके है। काम रुके होने के कारण ब्रिज की प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 11 करोड़ बढ़ चुकी है. 
जल्दबाजी की वजह?
आधे-अधूरे पड़े गोलाघाट गंगा ब्रिज से शायद रेलवे इंजीनियर्स ने सबक नहीं लिया है। अगर लिया होता तो वे मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से अप्रोच रोड बनाने की स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को एनओसी मिल जाने के बाद पुल बनाने का काम शुरू करते। रेलवे सोर्सेज के मुताबिक इस जल्दबाजी की वजह 3.75 करोड़ रुपए हैैं, जो 42 स्पेशल क्रॉसिंग (रेलवे पोर्शन) पर  ब्रिज बनाने के लिए रेलवे को मिल चुके हैैं। इस बजट को वह जल्द से जल्द इंजीनियर्स खर्च कर देना चाहते हैैं। भले ही स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से एनओसी मिले या न मिले. 
- 42 स्पेशल गंगाघाट क्रॉसिंग पर ब्रिज तो स्टेट गवर्नमेंट से पास है। लेकिन जमीन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की है। पिछले दो साल से डिफेंस से एनओसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैैं। देखिए कब सफलता मिलती है और एनओसी में क्या शर्ते रहती है?
- वेदप्रकाश, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन

-ब्रिज रेलवे की जमीन पर बनाया जा रहा है। इसके लिए कैंट बोर्ड से एनओसी लेने की कोई जरूरत नहीं है। रास्ता रोके जाने की वजह से डीएम से परमीशन ली जा चुकी है। 6 महीने में ब्रिज बना दिया जाएगा.-
- केसी मीणा, एक्सईएन, नार्थ रेलवे कंस्ट्रक्शन डिवीजन   

-गंगाघाट क्रॉसिंग के दोनों ओर मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की जमीन है। इस पर ब्रिज तभी बनाया जा सकता है जबकि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, दिल्ली से एनओसी मिल जाए। बिना एनओसी के कार्य नहीं हो सकता है। गंगा ब्रिज के लिए एनओसी स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन ने प्रोजेक्ट स्टार्ट किए जाने के बाद मांगी थी। इसी वजह से टाइम लगा हुआ है. 
-एनसी सत्यनारायण, सीईओ कैंट बोर्ड

एनओसी की वजह से लटके दो और ब्रिज 

मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने की वजह से शहर में दो और ब्रिज लटके हुए है। इनमें एक जयपुरिया क्रॉसिंग ब्रिज है और दूसरा प्लेटफार्म नम्बर एक रेलवे स्टेशन को जाने वाला खपरा मोहाल क्रॉसिंग ब्रिज है। दोनो ही ब्रिज रेलवे और स्टेट गवर्नमेंट से भी पास है। लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की एनओसी न मिलने के कारण लटके हुए है। पिछले वर्ष एनसीआर रेलवे डिवीजन के ऑफिसर्स ने खपरा मोहाल क्रॉसिंग पर ब्रिज बनाने के लिए स्वाइल टेस्टिंग भी शुरू की थी। लेकिन एनओसी न मिलने के कारण कैंट बोर्ड की तरफ से काम बन्द करा दिया गया था. 

42 स्पेशल गंगा घाट क्रॉसिंग ब्रिज
लंबाई - 700 मीटर 
चौड़ाई -  टू लेन
रेलवे पोर्शन - 28.06 मीटर
कास्ट (रेलवे पोर्शन)- 3.75 करोड़