हज़ारों हड़ताली कर्मचारियों ने गुरुवार को राजधानी लंदन समेत सभी प्रमुख शहरों में आयोजित विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। एक दिन की इस हड़ताल में चार ट्रेड यूनियनें और उनसे जुड़े साढ़े सात लाख कर्मचारी शामिल हैं, इसीलिए इसे हाल के वर्षों में ब्रिटेन की सबसे बड़ी हड़ताल के रूप में देखा जा रहा है।

हड़ताल के कारण हज़ारों स्कूल बंद रहे, जबकि पासपोर्ट निरीक्षकों की कम उपस्थिति के कारण कई हवाई अड्डों पर यात्रियों की लंबी क़तारें देखी गईं। जेलों और रोज़गार केंद्रों पर भी हड़ताल का असर देखा गया।

विवाद के केंद्र में पेंशन

हड़ताली कर्मचारियों की मुख्य शिकायतें पेंशन योजना प्रस्तावित बदलावों को लेकर है। उनका कहना है कि नई योजना लागू होने के बाद कर्मचारियों के ज़्यादा पैसे कटेंगे, उन्हें काम भी ज़्यादा वर्षों तक करना पड़ेगा जबकि उनकी पेंशन अभी रिटायर होने वाले कर्मचारियों की तुलना में बहुत ही कम बनेगी।

ब्रिटेन में सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले 50 लाख लोग सरकारी पेंशन योजनाओं में योगदान देते हैं। ब्रिटेन में शिक्षकों के सबसे बड़े संगठन की प्रमुख क्रिस्टिन ब्लोअर ने हड़ताल को दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन अनिवार्य बताया है। दूसरी ओर सरकार पेंशन योजनाओं में बदलाव को अपरिहार्य बता रही है।

प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि सरकार के बजट घाटे और लोगों की बढ़ती जीवन प्रत्याशा के मद्देनज़र मौजूदा पेंशन योजनाओं में बदलाव ज़रूरी बन पड़ा है।

हड़ताली कर्मचारियों की निंदा करते हुए कैमरन ने कहा है कि प्रस्तावित बदलावों के लागू होने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निजी क्षेत्र के मुक़ाबले बेहतर पेंशन मिलेगी।

कैमरन ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि हड़ताल को कुल सरकारी कर्मचारियों के 20 प्रतिशत का ही समर्थन मिला है।

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