क्या आपको पता है कि अधिक ट्रैफिक वाली सड़क से ज्यादा खाली सड़क खतरनाक है। जी हां, रोड एक्सीडेंट के आंकड़ों की पड़ताल से तो ऐसा ही सच सामने आया है। जब सड़क ट्रैफिक के बोझ से हांफती है तब ज्यादा सुरक्षित होती है, लेकिन तब रोड पर वाहनों की संख्या कम होती है तब ये ही सड़कें खून की प्यासी होती है। कैसे खाली सड़क ज्यादा खूंखार है, आइये हम आपको बताते हैं।

- चार के माह के आंकड़ों ने खोला सड़क हादसों का सच

- पीक आवर्स में ट्रैफिक फ्लो अधिक होने से होते हैं कम एक्सीडेंट

- जबकि सुबह 11 से 5 बजे तक दुर्घटनाओं का रहता है अधिक खतरा

- खाली रोड पर वाहन दौड़ाने के चक्कर में होते हैं एक्सीडेंट

- जबकि अधिक ट्रैफिक होने से धीमी होती है वाहनों की रफ्तार

- इस दौरान रोड पर तैनात पुलिस के कारण भी एक्सीडेंट होते हैं कम

navneet.sharma@inext.co.in

Meerut: अपने शहर में शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता हो, जब सड़क हादसा न हो। कारण चाहे जो भी रहे, लेकिन कोशिशों के बाद भी दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई। सुबह, दोपहर, शाम और रात में भी रोड खून की प्यासी रहती हैं। पिछले चार माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति काफी गंभीर होती नजर आती है, लेकिन सड़क हादसों का दूसरा सच ये भी है कि ट्रैफिक अधिक होने और रोड पर जाम लगने के दौरान हादसों की संभावना काफी कम होती है, जबकि रोड खाली होने के दौरान एक्सीडेंट अधिक होते हैं। दिन के चौबीस घंटों को छह भागों में बांट कर की गई पड़ताल में यह सच सामने आया। पिछले चार माह में अधिकांश बड़ी दुर्घटनाएं तब हुई जब रोड पर ट्रैफिक काफी कम था।

एक्सीडेंट रोकता है ट्रैफिक जाम

शहर की तमाम सड़कों पर सुबह 8 से क्क् बजे तक अधिक ट्रैफिक रहता है। इस दौरान अधिकांश लोग अपने ऑफिस और बच्चे स्कूल के लिए घरों से निकलते हैं। टै्रफिक अधिक होने के कारण इस समय हेवी ट्रैफिक पर रोक होती है। ऐसा ही नजारा शाम ब् से 8 बजे तक होता है। उस समय अधिकांश लोग अपने घरों को लौट रहे होते हैं और वाहनों की संख्या रोड पर अधिक होने के कारण जाम की स्थिति रहती है। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो सुबह और शाम के समय अधिक ट्रैफिक रहने के दौरान सबसे कम सड़क हादसे हुए।

लीन आवर्स हैं जानलेवा

ट्रैफिक जाम के कारण जहां शहर की सड़कों पर हादसों की संख्या कम रही वहीं ट्रैफिक हलका होने और रोड के खाली होने के समय हादसे अधिक हुए। इसमें रात 9 से क्ख् बजे के बीच ब्0 और सुबह भ् से 9 बजे के बीच ब्भ् एक्सीडेंट हुए, जबकि इस समय रोड पर ट्रैफिक काफी कम होता है। पुलिस के अनुसार सुबह के समय कई बार वाहन चालक को नींद की झपकी आना भी एक्सीडेंट का कारण बनता है, जबकि रात के समय घर पहुंचने की जल्दबाजी हादसों का सबब बनती है।

नियम रहते हैं ताक पर

एक्सीडेंट की बढ़ती घटनाओं पर गौर करें तो कई मुख्य कारण सामने आते हैं। पहला कारण है कि अधिकांश चालकों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा शहर में कहीं भी ट्रैफिक कंट्रोल के लिए रेड लाइट चालू नहीं है। कई बार चालक वाहन को जल्दी निकालने के लिए रांग साइड में आता है और हादसे का कारण बनता है। इसके अलावा तेज रफ्तार के कारण रोड के किनारे चल रहे पैदल और साइकिल सवार एक्सीडेंट का शिकार बनते हैं।

लापरवाह पुलिस कर्मी

शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। ट्रैफिक प्लान लागू नहीं होने और नियमों का पालन कराने में ट्रैफिक पुलिस की दिलचस्पी ही नहीं है। ट्रैफिक सुधार के नाम पर पुलिस सिर्फ वाहनों की जांच कर उनका चालान करती है। इससे आगे की कार्रवाई नहीं होना भी हादसों का मुख्य कारण बनता है। इसके अलावा नो एंट्री होने के बाद भी पुलिस शुल्क लेकर हेवी वाहनों को शहर में एंट्री करा देती है।

कम ट्रैफिक, अधिक एक्सीडेंट

ट्रैफिक कम होने पर भी एक्सीडेंट होने के कारण कई हैं। एसपी ट्रैफिक पीके तिवारी ने बताया कि रात और सुबह के समय हेवी वाहनों की एंट्री होती है और इस दौरान वाहन चालक भी खाली रोड पर रैश ड्राइविंग के साथ ओवर स्पीड पर गाड़ी चलाते हैं। इससे सड़क हादसों की संभावना अधिक बढ़ जाती है। हालांकि पुलिस रोड पर होती है और ऐसे चालकों पर कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन कई बार लापरवाही दुखद घटना का कारण बनती है।

क्यों होते हैं एक्सीडेंट

- ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना, रूल्स तोड़कर ड्राइविंग करना।

- खाली रोड पर वाहन को दौड़ाना और रैश ड्राइविंग करना।

- खटारा हो चुके वाहनों का अभी भी रोड पर दौड़ना।

- शहर की सड़कों पर ट्रैफिक प्लान का लागू नहीं होना।

- रोड पर लगी रेड लाइटों का खराब होना और रोड पर अंधेरा रहना।

- नो एंट्री होने के बाद भी शहर की रोड पर हेवी वाहनों का आना।

- एक्सीडेंट प्वाइंट की जानकारी का चालकों को न होना।

- शहर की खराब और टूटी सड़कों के कारण भी होते हैं हादसे।

- लगातार हादसे होने के बाद भी पुलिस का लापरवाह बने रहना।

आंकड़े खोल रहे पोल

- दोपहर क्ख् से ब् बजे के बीच म्भ् एक्सीडेंट की घटनाएं हुई।

- शाम ब् से 8 बजे के बीच फ्म् हादसे हुए।

- रात 8 से क्क् बजे के बीच ब्0 रोड एक्सीडेंट की घटनाएं हुई।

- रात क्क् से सुबह भ् बजे तक ब्भ् सड़क दुर्घटनाएं हुई।

- सुबह भ् से 9 बजे के बीच ब्ख् हादसे हुए।

- सुबह 9 से दोपहर क्ख् बजे के बीच भ्0 सड़क हादसे हुए।

जनवरी से अप्रैल तक हुए हादसे

- क् जनवरी से ख्भ् अप्रैल ख्0क्ब् तक ख्78 बडे़ सड़क हादसे मेरठ में हो चुके हैं।

- जबकि क् जनवरी से ख्भ् अप्रैल ख्0क्फ् तक ख्भ्7 बडे़ सड़क हादसे मेरठ में हो हुए थे।

सड़क हादसे रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक प्लान तैयार किया हुआ है। नो एंट्री का पालन कराने से लेकर रैश ड्राइविंग पर भी लगाम के लिए पुलिस रोड पर रहती है और कार्रवाई भी करती है।

- पीके तिवारी, एसपी ट्रैफिक

पब्लिक बोली

ट्रैफिक नियमों का सभी को पालन करना चाहिए। इससे अपने साथ दूसरों को भी दुर्घटना से बचाया जा सकता है।

- वशीम खान

पुलिस और प्रशासन रुल्स तो बहुत बनाते हैं, लेकिन उनका पालन कराने के लिए कुछ नहीं होता, ऐसे में हादसों की संख्या बढ़ती रहती है।

- सागर कुमार

जाम के कारण वाहनों की स्पीड कम होती है और एक्सीडेंट भी कम होते हैं, लेकिन एक्सीडेंट रोकने के लिए पब्लिक को खुद जागरूक होना चाहिए।

- वर्धमान

शहर की सभी सड़कों की हालत खराब है, इससे भी हादसों की संख्या बढ़ रही है। खासकर युवाओं को चाहिए कि वो ट्रैफिक रुल्स का पालन जरूर करें।

- शोभित कुमार