आरटीओ ऑफिस में दलालों की जबरदस्त घुसपैठ, पैसे के बल पर बनवाते हैं लाइसेंस

दलालों और कर्मचारियों की आपसी मिलीभगत से खूब फल-फूल रहा है दलालों का कारोबार

ALLAHABAD: आरटीओ ऑफिस में दलालों का राज बाहर ही नहीं बल्कि कार्यालय के भीतर भी चलता है। उनकी घुसपैठ कहां तक है, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। अगर कोई व्यक्ति अंडर प्रॉसेस काम कराने चला गया तो जरूरी नहीं कि उसका काम हो जाए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने आरटीओ कार्यालय का माहौल खंगाला तो कई महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आए जो दलालों की मनमानी की पोल खोल रहे थे।

ऑनलाइन एग्जाम में भी सेंध

सरकार ने दलालों से छुटकारा दिलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया। इसे क्वालिफाई करने के लिए अभ्यर्थी को ऑनलाइन एग्जाम देना पड़ता है। इसके नंबर फिक्स होते हैं और पास करने के लिए कम से कम 40 फीसदी सवालों के सही जवाब देने होते हैं। इसमें भी दलालों ने सेंध लगा रखी है। उनकी सेटिंग ऐसी है कि परीक्षा देने वाले को न चाहते हुए भी सुविधा शुल्क देना पड़ता है। उसे ऐसा गुमराह किया जाता है कि उसे लगता है वह किसी आईएएस परीक्षा में बैठा हो।

बाहर हो जाती है सेटिंग

दलाल ऑनलाइन एग्जाम की ऐसी दहशत फैलाते हैं कि कैंपस के बाहर ही पूरी सेटिंग हो जाती है। सरकार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित फीस से चार से पांच गुना लेकर दलाल एग्जाम मे पास कराने का दावा करते हैं। बस यहीं से शुरू होता है दलालों का चक्रव्यूह। जो लोग पैसा देते हैं उनको किसी न किसी बहाने से सवालों के सही जवाब बता दिए जाते हैं। यह इतनी सफाई से होता है कि अधिकारियों को भी भनक नहीं लगती। हॉल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी इस खेल को पकड़ने में नाकामयाब रहते हैं। आम जनता को कैसे दलाल अपनी बातों में फांसते हैं, आप भी जानें

रिपोर्टर- भाईसाहब मुझे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है?

दलाल- बनवा लीजिए। आवेदन किया है कि नही?

रिपोर्टर- अभी नहीं किया। सुना है कि ऑनलाइन एग्जाम देना पड़ता है।

दलाल- हां वो तो है। कोई पक्का नहीं कि एग्जाम में आप पास हो जाएं। फेल हो गए तो नए सिरे से आवेदन करना पड़ेगा। फीस का पैसा भी चला जाएगा।

रिपोर्टर- तो क्या किया जाए? आप कितने पैसे में लाइसेंस बनवा देंगे।

दलाल- एक हजार रुपया लग जाएगा।

रिपोर्टर- यह तो बहुत ज्यादा है? कुछ कम कर दीजिए।

दलाल- आठ सौ रुपए दे दो। अब इससे कम नहीं होगा।

रिपोर्टर- कब तक बन जाएगा?

दलाल- एक सप्ताह के भीतर हाथों-हाथ दे देंगे। ऑनलाइन एग्जाम भी पास करा देंगे।

रिपोर्टर- वह कैसे करा देंगे?

दलाल- वह मत सोचो। हमारी सब सेटिंग है। पहले पैसा दो फिर आगे की बात करना।

रिपोर्टर- ठीक है। दो घंटे बाद आपको कागज और पैसा मिल जाएगा।

दलाल- हां देख लो। सीधे जाओगे तो हो सकता है अगले एक से दो महीने तक लाइसेंस नहीं मिले। फेल हो गए तो फिर से फार्म भरना पड़ेगा।

(इस बातचीत के बाद रिपोर्टर वहां से चला गया, दलाल के पास पहले से आधा दर्जन लाइसेंस बनवाने का ठेका मौजूद था)

ये है विभाग की निर्धारित फीस

लाइसेंस का प्रकार निर्धारित फीस (रुपए में)

लर्निग लाइसेंस फीस प्रत्येक वर्ग के यान के लिए 150 रुपए

लर्निग लाइसेंस परिणाम फीसस/परीक्षण पुनरावृत्ति फीस 50 रुपए

ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए 200

अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस फीस 1000

चालक अनुज्ञप्ति की नवीनीकरण फीस 200

नही होता नियमों का पालन

यह भी अजीब बात है कि लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस हाथों हाथ दिए जाते हैं, जबकि नियमानुसार लाइसेंस का कार्ड कूरियर के जरिए घर भेजना होता है। इसके लिए लोगों से बीस रुपए का स्टैंप खरीदवाया जाता है, लेकिन इसका यूज नहीं होता। यह स्टैंप कहा जाता है यह भी एक बड़ा सवाल है। कुल मिलाकर आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों के नाक के नीचे जमकर खेल खेला जा रहा है, जिसने ऑनलाइन सिस्टम की हवा निकालने में कसर नही छोड़ी है।

दलालों को निष्क्रिय करने की कोशिश की जा रही है। काफी छानबीन के बाद ही लाइसेंस जारी किया जाता है। यूपी में सबसे कम लाइसेंस इलाहाबाद से ही जारी होते हैं। जो लोग सही होते हैं उन्ही को लाइसेंस दिया जाता है।

अनिल कुमार सिंह, एआरटीओ प्रशासन