GORAKHPUR: एफआईआर दर्ज करने से लेकर विवेचना तक में दरोगा और थानेदारों के खेल पर अब सिपाहियों का शिकंजा कसेगा। इसके लिए विभाग बीटेक, बीसीए, एमसीए जैसी टेक्निकल डिग्रियां लेकर भर्ती हुए सिपाहियों को तैयार कर रहा है। थाने की जनरल डायरी (जीडी) तक को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) पर ऑनलाइन किया जा रहा है। ऑनलाइन सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए पुलिस तकनीकी सेवा मुख्यालय में प्रदेशभर के पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

 

जीडी था भ्रष्टाचार का हथियार

थाने की जनरल डायरी पुलिसवालों के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा हथियार बना था। वैसे तो तहरीर मिलने से लेकर एफआईआर और उसकी विवेचना तक की पूरी कार्रवाई समय से इस रजिस्टर में दर्ज करनी होती है, लेकिन थानेदार एफआईआर को अपने मुफीद तैयार करने के बाद बैक डेट में इसकी एंट्री जीडी में करते थे। फर्जी मुकदमे दर्ज करवाने वाले भी तहरीर देकर चले जाते हैं। इसके बाद पुलिस से सेटिंग होने के बाद आरोपित को नामजद किया जाता है। बहुत बार तहरीर लेकर पुलिस कई दिन तक आरोपित से लेन-देन तय करती रहती थी। इसके बाद बिना रिपोर्ट दर्ज किए दोनों पक्षों को बैठाकर समझौता करवा दिया जाता था, जिन मामलों में पुलिस खेल करती है उसकी रिपोर्ट अक्सर बैक डेट में जीडी पर दर्ज की जाती थी। केस में थानेदार या विवेचक जो खेल करता था उस हिस्से को छिपाकर गलत रिपोर्ट जीडी में दर्ज कर देता है।

 

खेल किया तो कोर्ट में नहीं दे पाएंगे जवाब

एडीजी पुलिस तकनीकी सेवा आशुतोष पांडेय का कहना है कि जीडी को सीसीटीएनएस से जोड़ने से थाने में होने वाले भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम कसेगी। बताया कि सुबह एफआईआर दर्ज करने वाला पीडि़त आरोपितों का नाम शाम को बताता है तो थानेदार उसे तत्काल एफआईआर में शामिल करने की बजाय विवेचना का हिस्सा बना देते हैं। इस बीच वह आरोपितों से साठगांठ कर या तो खुद फायदा उठा लेते हैं या फर्जी केस करने वाले कथित पीडि़त को लाभ मिलता है, लेकिन जीडी ऑनलाइन होने से हर केस की कार्रवाई तत्काल उसमें अपडेट करनी पड़ेगी। इससे रिपोर्ट दर्ज होने के कितनी देर बाद नामजदगी की गई यह पता रहेगा। विवेचक जैसे की पर्चा काटेगा, उसे तत्काल अपडेट करना पड़ेगा।

 

हेड कॉन्स्टेबल पर रौब दिखाते थे अफसर

जीडी की कार्रवाई पूरी करने के लिए हर थाने पर एक हेड कॉन्स्टेबल की तैनाती है, लेकिन थानेदार से लेकर दरोगा तक अपनी कार्रवाई को खुद रजिस्टर में दर्ज करते थे। अफसरों के प्रभाव में आकर जीडी मुंशी उनका विरोध नहीं कर पाते थे। इसकी वजह से पुलिस का भ्रष्टाचार रुक नहीं रहा था। इसी तरह रोजनामचे में थाने की दिनभर की गतिविधियों को दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन पुलिस वाले मौका देखकर सप्ताह भर की अपनी गतिविधि की रिपोर्ट एक ही दिन दर्ज करते थे।

 

100 से अधिक हैं टेक्निकल डिग्री धारक सिपाही

एडीजी ने बताया कि कुछ जिलों के करीब सभी थानों में जीडी ऑनलाइन हो चुकी है। वहां 90 फीसदी काम पेपरलेस हो रहा है। सभी जिलों में व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रदेशभर के पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण करवाया जा रहा है। प्रदेश भर में नए बैच के करीब 50 हजार से ज्यादा सिपाही टेक्निकल डिग्री धारक हैं। गोरखपुर में भी ऐसे सिपाहियों की संख्या करीब सौ से ज्यादा हो गई है। इन्हीं सिपाहियों को सीसीटीएनएस ऑपरेट करने के लिए तैयार किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान यह सिपाही एएसपी से लेकर थानेदार तक से ऐसे सवाल कर रहे हैं जिनका जवाब उन्हें नहीं सूझ रहा है।