-केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में तीन दिवसीय सेमिनार का हुआ शुभारंभ

-बुद्ध के वचनों को शब्द में नहीं अर्थ में लेना होगा : प्रो। वांगचुक

VARANASI : बौद्ध अनुयायी बुद्ध के वचनों को ही वास्तविक शिक्षा मानते हैं। विश्व में धर्म की दृष्टि से बौद्ध धर्म चौथे स्थान पर है। यह विचार बीएचयू के वीसी प्रो। राकेश भटनागर ने केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ में आयोजित 'बौद्ध अध्ययन दर्शन एवं व्यवहारिक पक्ष' विषयक तीन दिवसीय नेशनल सेमिनार के उद्घाटन सत्र में बतौर चीफ गेस्ट व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के दो आयाम इतिहास व संस्कृति ने भारत को पूरे विश्व में आज एक अलग पहचान दी है। यह वजह है कि विश्व के सभी देशों में बौद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित है।

 

दीपक की तरह बनें

विशिष्ट अतिथि गोरखपुर यूनिवर्सिटी के एक्स वीसी प्रो। बीएन शुक्ला ने कहा कि बौद्ध दर्शन की प्रेरणा से ही महात्मा गांधी ने देश में अहिंसा का पाठ सिखाया। आज भारतीय संस्कृति को पाश्चात्य संस्कृति से काफी नुकसान हो रहा है। इसकी रक्षा में बौद्ध दर्शन का बहुत योगदान है। प्रो। वांगचुक दोरजे नेगी ने कहा कि बुद्ध के वचनों को शब्द में नहीं अर्थ में लेना होगा। प्रो। भिक्षु सत्यपाल ने कहा कि हम दीपक की तरह बनें और स्वयं प्रकाशित होकर दूसरे को भी प्रकाशित करें। अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के डायरेक्टर प्रो। नवांग समतेन ने कहा कि बौद्ध धर्म का दो क्षेत्रों में क्रांतिकारी विकास हुआ है। एक दर्शन तो दूसरा अध्यात्म। स्वागत प्रो। पेमा तेनजिंग, संचालन प्रो। ताशी छेरिंग व धन्यवाद रजिस्ट्रार डॉ। आरके उपाध्याय ने दिया। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। सेमिनार में प्रो। मुकुल राज मेहता, प्रो। पीपी गोयल, प्रो। ताशी पालजोंन, प्रो। हर प्रसाद दीक्षित, प्रो। रमेश प्रसाद, भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो, भिक्षु वन्ना ध्वज, प्रो। कामेश्वर नाथ मिश्र आदि ने भी विचार व्यक्त किये।