मुसीबतों से सतर्क रहो

एक भैंसा अपने अपने बछड़े को जंगल में जीवन के गुर सिखा रहा था. बछड़ने ने उससे पूछा, 'पिताजी किससे सतर्क रहने की जरूरत है?' भैंसे ने जवाब दिया, 'बेटा, तुम्हें शेर से सतर्क रहने की जरूरत है. वह हमारे जीवन के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है.' बछड़े ने मासूमियत से कहा, 'ओ! तो उसके सामने आने पर भाग कर छिप जाना चाहिए.'

हिम्मत से सामना करो

भैंसे ने कहा, 'नहीं बेटा, भागोगे तो वह दौड़ाकर तुम्हारी गर्दन दबोच कर मार डालेगा. उसका सामना करना चाहिए.' बछड़ने ने कहा, 'पिताजी, मैं उसका सामना कैसे कर सकता हूं? मैं तो डर से उसके सामने मर ही जाउंगा.' भैंसे ने कहा, 'पीछे देखो, कितने शक्तिशाली भैंसे खड़े हैं. लेकिन भाग कर उन तक पहुंचते-पहुंचते शेर तुम्हें मार डालेगा. इसलिए समझो कि इतने शक्तिशाली भैंसे तुम्हारे साथ हैं और शेर का सामना करो.'

डर के आगे जीवन और पीछे मौत

डर के आगे ही जीत

बछड़े ने कहा, 'उस शेर का सामना मैं कैसे कर सकता हूं?' भैंसे ने कहा, 'उसे अपने सींग दिखाओ, खुर जमीन पर पटको, तब भी बात न बने तो आगे बढ़ो. उसे भी खतरनाक चीजों से पंगा लेने से डरता है. अपने को खतरनाक दिखाओ. इसके बाद भी वह तुम्हारी ओर बढ़े तो अपनी पूरी ताकत से सींग और खुरों से उस पर हमला बोल दो. तुम्हें संघर्ष करता देख और भैंसें तुम्हारी मदद को आएंगे. वो कहते हैं ना भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करता है.' बछड़े ने कहा, 'मैं अच्छी तरह समझ गया पिताजी.'