- जिम्मेदारों की लापरवाही भरा रवैया की वजह से बेशकीमती जमीन बन चुकी है बफैलो पूल

- वर्ष 1997 में मनहूस तालाब को बनाया गया लेक लेकिन अनदेखी से दुर्दशा का हो रही शिकार

BAREILLY:

बाउंड्री के भीतर झाडि़यों और नुकीली घास से पटी हुई टाइल्स, मछली पकड़ने के लिए कटिया लगाकर बैठे लोग, खूबसूरत तालाब में मस्ती से नहाती भैंसें, टूटे बाथरूम व अन्य कमरे, वर्षो से बंद पड़े कमरों में बदबू का अंबारजी हां हम बात कर रहे हैं अक्षर विहार लेक की। वर्षो पहले दो बच्चों के डूबने की घटना के बाद से 'मनहूस तालाब' के नाम से बदनाम इस लेक की आज भी स्थिति जस की तस है। शहर के पॉश एरिया सिविल लाइंस में यह लेक आवारा किस्म के लोगों की आरामगाह और भैंसों के लिए स्विमिंग पूल में तब्दील हो चुकी है।

50 करोड़ का बफैलो पूल

सिविल लाइंस और कैंट एरिया के बीचोबीच अक्षर विहार का नाम सुनते ही किसी पिकनिक स्पॉट की याद आना लाजिमी है। लेकिन पास पहुंचते ही स्थिति कहीं इतर नजर आती है। हाल ही में जारी सर्किल रेट के मुताबिक सिविल लाइंस एरिया की जमीन की कीमत करीब 50 हजार रुपए पर स्क्वॉयर मीटर है। करीब डेढ़ हजार स्क्वॉयर मीटर में अक्षर विहार लेक बनाया हुआ है। ऐसे में करीब 8.33 करोड़ की जमीन अनदेखी की भेंट चढ़ चुकी है। शहरवासियों को यहां से केवल बदबू और गंदगी का अंबार मिलता है, लेकिन भैंसों को स्विमिंग पूल और चरवाहों को मछली पकड़ने का फिशिंग स्पॉट।

खंडहर बता रहे हैं इमारत बुलंद रही होगी।

एकबारगी पार्क में एंट्री करते ही लगता है कि कैंट एरिया और सिविल लाइंस के बीचोबीच बनी लेक किसी समय में पिकनिक स्पॉट के तौर पर डेवलप की गई थी। जो कि सच है। बता दें कि बीडीए चीफ इंजीनियर के मुताबिक वर्ष 1997 से पहले यह एक गहरा तालाब था, जिसे एक लेक के तौर पर डेवलप किया गया। तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने इसका लोकार्पण किया था। इसमें बोटिंग, फूडिंग, फैमिली गेट टूगे दर , बच्चों के लिए मिनी प्लेग्राउंड बनाया गया था। कार्यदायी संस्था बीडीए ने 1.5 करोड़ के बजट से निर्माण कर नगर निगम को हैंडओवर कर दिया था। लेकिन नगर निगम की अनदेखी से लेक का भविष्य डूबने के कगार पर पहुंच गया।

एक बार फिर से हुआ रेनोवेशन

नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी का शिकार अक्षर विहार को वर्ष 2008 में दोबारा रेनोवेट किया गया। तत्कालीन मेयर सुप्रिया ऐरन ने रेनोवेशन के लिए प्राइवेट कंपनी के जरिए इसे रेनोवेट कराया था। पूर्व मेयर सुप्रिया एरन ने बताया कि पूर्व में बनाए गए इस लेक को केवल संवारने की जरूरत थी। नगर निगम के इसका रेनोवेशन कराया और मैंटेनेंस के लिए एक फर्म को 1.43 लाख रुपए का टेंडर किया गया था। मैंटेनेंस पर 2 लाख खर्च आ गया, जिसमें बीडीए द्वारा बनाए गए कमरे, स्टॉल, सीट, ट्रैक, वॉशरूम, स्टोर रूम सभी को संवारा गया था। लेकिन बाद में इसकी हालत जस की तस हो चुकी है।

अनदेखी कर रहे जिम्मेदार

लेक के आसपास के लोगों के मुताबिक पॉश एरिया में बनी इस दुर्दशा की शिकार लेक से नेता, अधिकारी सभी वाकिफ हैं।

विंडरमेयर की सीईओ शिखा सिंह कहती है कि इसे संवारने की कोई कोशिश नहीं कर रहा। प्राइम लोकेशन होने के बावजूद यह लापरवाही और अकर्मण्यता की भेंट चढ़ रही है। दोपहर करीब 12 बजे से यह भैसों के तबेले में तब्दील हो जाती है। भैंसे जी भर कर नहाती हैं। तो दूसरी ओर चरवाहे व अन्य मछुआरे मंडराते रहते हैं। वहीं, देर शाम यह नशेडि़यों का आरामगाह बन जाता है। निगम और नेताओं की अनदेखी का ही नतीजा है कि बेहतरीन पिकनिक स्पॉट के तौर पर डेवलप कर राजस्व का साधन बनने वाली लेक 'बफैलो स्विमिंग पूल' बन चुकी है।

वर्ष 2008 में इसके रेनोवेट के लिए टेंडर किया गया था। कई वर्षो बाद एक बार फिर अक्षर विहार लेक संवरी थी। लेकिन बाद में नगर निगम से कोई कार्रवाई न होने से इसकी दुर्दशा हो रही है।

सुप्रिया एरन, एक्स मेयर

बीडीए कार्यदायी संस्था थी, निर्माण करने के बाद नगर निगम को हैंडओवर कर दिया गया था। लेक के दुर्दशा की जिम्मेदारी निगम की है।

आरके सिंह, इंजीनियर, बीडीए