एमडीए की पड़ताल में ज्यादातर कॉलोनियां अवैध
मानकों को पूरा नहीं किया तो होगा मुकदमा, जाना होगा जेल
Meerut। ग्राहकों की आंखों में धूल झोंककर करोड़ों-अरबों कमाने वाले बिल्डर्स की अब शामत आ गई है। मेरठ विकास प्राधिकरण के सर्वे में ज्यादातर प्राइवेट कॉलोनियों अवैध हैं। मानकों को नजरंदाज करके आंतरिक विकास कार्यो को नहीं किया गया। ऐसे बिल्डर्स पर एमडीए अब शिकंजा कसने जा रहा है।
ज्यादातर कॉलोनियां अवैध
मेरठ में अधिकांश कॉलोनी के निवासी आंतरिक विकास कार्यो और अवस्थापना सुविधाएं विकसित न होने की शिकायत एमडीए से कर रहे हैं। शिकायतों को संज्ञान में लेकर कमिश्नर डॉ। प्रभात सिंह के निर्देशन में मेरठ की कुल स्वीकृत 250 कॉलोनियों में से 190 का परीक्षण करा लिया गया। आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। एमडीए वीसी साहब सिंह ने बताया कि लगभग 25 फीसदी कॉलोनियों में कार्य मानचित्र के अनुरूप मिले जबकि 50 फीसदी में स्थिति संतोषजनक है। किंतु 25 फीसदी स्वीकृत कॉलोनियां ऐसी हैं जिनमें मानकों को ताक में रखकर मकान और फ्लैट्स का निर्माण किया गया। कॉलोनी में न सडकें हैं और न ड्रेनेज-सीवरेज डिस्पोजल की व्यवस्था।
हैंडओवर नहीं हुई कॉलोनियां
स्वीकृत कॉलोनियों को बिल्डर ने न तो रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को हैंडओवर किया और न ही नगर निगम को। और तो और ज्यादातर कॉलोनियों ने एमडीए से कम्प्लीशन सर्टिफिकेट भी नहीं लिया है।
होगा मुकदमा, जाएंगे जेल
एमडीए वीसी ने बताया कि जांच से स्पष्ट हो रहा है कि बिल्डर्स ने धोखाधड़ी करके ग्राहकों से रकम तो वसूल ली किंतु सुविधाएं मुहैया नहीं कराई हैं। ऐसे में प्राधिकरण को देय विकास शुल्क मय ब्याज के बिल्डर को जमा कराना होगा। अन्यथा आवंटियों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में बिल्डर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा और विकास कार्यो की लागत की वसूली राजस्व विभाग द्वारा कराई जाएगी।
मेरठ में ज्यादातर बिल्डर्स ने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी कर स्वीकृत कॉलोनियों में सुविधाओं को मुहैया नहीं कराया है। ऐसे बिल्डर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
साहब सिंह, उपाध्यक्ष, एमडीए