-केजीएमयू का मामला, शासन ने दिए कार्रवाई के आदेश

-रजिस्ट्रार पहले ही दे चुके हैं बिल्डिंग खाली करने के आदेश

LUCKNOW: केजीएमयू की डेंटल बिल्डिंग में बिना जांच कराए ही नए तलों का निर्माण करना जिम्मेदारों को भारी पड़ने वाला है। बिना जांच कराए ही अधिकारियों ने करोड़ों रुपए निर्माण निर्माण में खर्च कर दिये। अब केजीएमयू को शासन ने निर्देश दिया है कि बिना जांच कराए इसका निर्माण कराने और मंजूरी देने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

बिना वैल्युएशन कराया निर्माण

शासन ने कहा है कि केजीएमयू के दंत संकाय के पुराने भवन में स्ट्रक्चरल वैलुएशन कराए बिना ही अतिरिक्त तल के निर्माण का निर्णय किस स्तर से लिया गया। निर्माण एजेंसी उ.प्र। राजकीय निर्माण निगम को आगणन तैयार करने के निर्देश किसने दिए। निर्माण एजेंसी ने भी बिना स्ट्रक्चरल वैलुएशन के अतिरिक्त तल का आगणन कैसे कर लिया। इन मामलों में शासन ने केजीएमयू और राजकीय निर्माण निगम के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए जानकारी देने को कहा है।

समिति गठित कर दें रिपोर्ट

शासन ने कहा है कि एक समिति गठित कर जिम्मेदारी तय करें और उसकी सूचना दें। शासन के अधिकारियों ने कहा है कि समिति में केजीएमयू के अलावा लोक निर्माण विभाग के भी अधिकारियों को शामिल किया जाए। इसमें आडिट आपत्तियों को भी शामिल किया जाए और एक माह में संस्तुति उपलब्ध कराई जाए।

361 करोड़ से नई बिल्डिंग

50 साल पुरानी इमारत की जगह पर अब नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव है। जिसके लिए केजीएमयू ने 361 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष केजीएमयू ने डेंटल की पुरानी इमारत की आईआईटी रुड़की के एक्सप‌र्ट्स से जांच कराई थी। जिसकी रिपोर्ट के अनुसार बिल्डिंग सुरक्षित नहीं है और कभी भी यह गिर सकती है। इसके कॉलम और बीम में दरारे आ चुकी हैं। इस पर केजीएमयू प्रशासन ने इसे जल्द से जल्द खाली कराने और गिराने के आदेश दिए थे। लेकिन छह माह से अधिक बीतने के बाद न तो बिल्डिंग खाली कराई गई और न ही ढहाने की प्रकिया शुरू हुई। इस बिल्डिंग में अभी ओरल मेडिसिन एंड रेडयोलॉजी ,कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री, ओरल पैथोलॉजी, आर्थोडांटिक्स विभाग चल रहे हैं। साथ ही इलाहाबाद बैंक शाखा भी है।

बाक्स

2009 मं भी दिए थे आदेश

इस बिल्डिंग की 2009 में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स ने जांच की थी लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। इस वर्ष दोबारा आईआईटी रुड़की से जांच कराई गई तो रिपोर्ट में बिल्डिंग असुरक्षित मिली। पता चला कि बिल्डिंग में प्रमुख कॉलम या पिलर में दरारे आ गई हैं। यह कभी भी बिल्डिंग के गिरने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कई प्रमुख बीम में तो पांच मिमी। तक की दरारे हैं। इतना सब आने के बावजूद केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही जारी है।