Jamshedpur: शहर के इकलौते सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज जहां बच्चों के अच्छे नंबर लाने पर एडमिशन लेते है उसकी हालत पुरी तरह से जर्जर है। सरकार तो लाखों रुपये कॉलेजों को बनाने में खर्च करती है पर राजकीय पॉलीटेक्निक को देख कर ऐसा लगता नही है। भवनों के हालत जर्जर होने के कारण बच्चों को भी जान खतरा बना रहता है।

 

डर के साये में स्टूडेंट्स

राजकीय पॉलीटेक्निक की स्थापना सन 1979 में हुई थी। इसका भवन तीन मंजिला है। भवन का अमूमन हर हिस्सा जर्जर हालत में पहुंच चुका है, चाहे वह हॉस्टल, लैब, कैंटीन, या क्लास रुम सारे कमरों के हालत है एक ही जैसी। प्लास्टर दीवारों को छोड़ रहे है, कॉलेज के हर दिवार में आपको पलास्टर उखड़े देखने को मिल रहे है जिससे सरिया साफ दिखाई देता है। यहां पर स्टूडेन्ट पढ़ने तो आते है पर भवन की ऐसी हालत है की शिक्षा भी डर के साये में ग्रहण करते है, कही कोई टुकड़ा उखड़ कर गिर ना जाए। यहां स्टूडेंट्स हर वक्त डर के साय में जीने को मजबूर है।

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2014 से तैयार नया हॉस्टल

हॉस्टल के जर्जर होने के कारण यहां रहने से स्टूडेंट्स कतराते हैं। ऐसे में छह सालों से हॉस्टल वीरान पड़ा हुआ है। बाहर के स्टूडेंट्स किराए पर घर लेकर रह रहे हैं। हालांकि, राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज का न्यू हॉस्टल चार पहले ही बनकर तैयार है, लेकिनअभी तक प्रशासन द्वारा हॉस्टल को कॉलेज को हवाले नही गया है।

 

टीचर्स की भी है कमी

पॉलीटेक्निक में शिक्षको की भी बहुत ज्यादा कमी है। 500 से भी अधिक बच्चो को पढ़ाने के लिए सिर्फ छह परमानेंट टीचर्स हैं। ऐसे में गेस्ट फैकल्टी को क्लासेज लेने के लिए बुलाया जाता है। उन्हें क्लासेज के हिसाब से पेमेंट किया जाता है। स्टूडेंट्स का कहना है कि टीचर की कमी होने के कारण पढ़ाई ठीक ढंग से नही होती है। जैसा इस कॉलेज के बारे में सुना था, यहां आकर सब गलत लग रही है। यहां पढ़ाई भी उतनी अच्छी तरह से नही होती है और बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है।