- आपात स्थिति में नहीं किया जा सकता है बचाव

- भगदड़ मचने पर हो सकता है सैकड़ों की जान को खतरा

Meerut कहीं मिले ताले तो कहीं मिली बिल्डिंग की जर्जर हालत। किसी आपदा की सूचना पर भी यहां भागना मुश्किल हो सकता है। सिटी में तमाम ऐसी बिल्डिंग हैं, जिनमें अगर जान पर बने तो भागना भी मुश्किल हो सकता है। भूकंप के झटकों के बाद आई नेक्स्ट ने सिटी की इमारतों की असलियत जानने की कोशिश की। खासकर उन इमारतों की जहां लोगों का रोजाना आना-जाना लगा रहता है। मसलन अस्पताल, स्कूल, बाजार, बैंक, शिक्षा विभाग और सरकारी इमारतें। यहां इमरजेंसी के समय में भागना भी बहुत मुश्किल है।

जान पर आए तो कैसे बचेंगे

सिटी में खासकर उन इलाकों में बचना बहुत ही मुश्किल होगा जहां पर रोजाना ही जमावाड़ा लगा रहता है। यहां इमरजेंसी के लिए अलग रास्ते होने चाहिए, जो नहीं हैं। जहां हैं भी, वहां पर ताले लटके हुए हैं, कुछ के तो ऐसे हालात है कि बिल्डिंग अभी गिरने वाली है। लेकिन लगातर दो दिन भूकंप के झटके आने के बाद बदलाव की जरुरत महसूस हो रही है, ताकि आपदा के वक्त जिंदगी संकरे रास्ते में फंसकर सांसे न रोक दें।

एमडीए ऑफिस में मुश्किल हो सकता है भागना

शहर के डवलपमेंट का जिम्मेदार एमडीए ऑफिस भी किसी आपदा में किसी हादसे का शिकार हो सकता है। बाहर से चमचमाती बिल्डिंग आपको भले ही मजबूत और आकर्षक लगती होगी, लेकिन आपदा में यहां से बचकर भागना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि यहां निकलने के लिए रास्ते तो हैं, लेकिन मेन गेट के अलावा अन्य गेट पर ताले जड़े रहते हैं। इसलिए किसी आपात स्थिति में भगदड़ मचने पर यहां से जान बचाकर भागना मुश्किल हो सकता है। करोड़ों की लागत में बना यह एमडीए विभाग वाकई किसी आपदा के आने पर बेहद खतरनाक भी बन सकता है। आई नेक्स्ट टीम ने वहां मौजूद लोगों से बात की तो उन्होंने भी इसे बड़ा खतरा बताया।

एमडीए न जाने कितनी बिल्डिंग के नक्शे पास करता है, लेकिन विभाग का नक्शा तैयार करने में शायद कुछ गलती हो गई है। खचाखच भीड़ के बीच भागना मुश्किल हो सकता है।

-मोन, बिजनेसमैन

अक्सर मैं एक ही गेट को खुला देखता हूं, अन्य गेट तो बंद ही रहते हैं, ऐसे में किसी आपदा के आने पर बचकर भागने के लिए जगह मिलना भी मुश्किल है।

-अनुज जैन, सदर निवासी

एमडीए की बिल्डिंग आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए ही बनाई गई है। ऐसी स्थिति आने पर बचा के सारे रास्ते सेफ रखे गए है। बिल्डिंग में इमरजेंसी द्वार भी बनाए गए हैं।

-राजेश यादव, वीसी, एमडीए

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बैंक में आने-जाने का एक ही रास्ता

अगर बात करें हम बैंक की तो सिटी में काफी सारे बैंक ऐसे है, जिनमें आने-जाने का एक ही गेट है। ऊपर से सिक्योरिटी के लिहाज से उसको भी पूरा नहीं खोला जाता है। बैंकों में न तो कहीं खिड़की होती है और न ही कोई अन्य दरवाजे, जहां से किसी आपदा आने पर तुरंत बचाव किया जा सकें। कुछ बैंक तो इतने ज्यादा छोटी बिल्डिंग में जहां पर जमावाड़ा जो जाए तो भागना भी मुश्किल हो सकता है। बैंक एक ऐसी जगह है जहां पर दिनभर में न जाने कितने कस्टमर की भीड़ लगी रहती है। आई नेक्स्ट टीम यूनियन बैंक की मेन ब्रांच में गई तो वहां भी यही स्थिति नजर आई।

हां खतरा तो हैं, लेकिन बैंक में ज्यादा एग्जिट भी नहीं रखे जा सकते हैं। बैंकों में सिक्योरिटी के लिए ऐसा किया जाता है। लेकिन इसके लिए स्टाफ और कस्टमर को अलर्ट रहने की जरुरत है।

-दिनेश सिंह, क्रेडिट मैनेजर, यूनियन बैंक, बेगम ब्रिज

बड़ी दिक्कत है। कोई भी ऐसी बिल्डिंग, जहां पर निकलने के लिए एक ही रास्ता है, वहां आपात स्थिति में काफी लोगों की जान को खतरा हो सकता है।

-अमित, ब्रह्मपुरी

ब्रांच में बहुत ही छोटा रास्ता है, यहां से निकलकर भागना भी बहुत मुश्किल हो सकता है। लेकिन बैंक में सिक्योरिटी के लिए ज्यादा रास्ते नहीं बनाए जा सकते हैं।

-सुनीता

स्पेशल असिस्टेंट, यूनियन बैंक

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कभी भी गिर सकती है जर्जर बिल्डिंग

क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय में दिनभर हजारों स्टूडेंट्स, शिक्षकों और अभिभावकों का आना-जाना लगा रहता है। यहां की जर्जर बिल्डिंग को देखकर ऐसा लगता है कि यह कभी भी गिर सकती है। लगभग क्98ख् में बनी यह बिल्डिंग काफी लगातार जर्जर होती जा रही है। बिल्डिंग को बाहर और अंदर से देखने पर ही पता लगता है कि यह कभी भी गिर सकती है।

यह तो बहुत ही पुरानी बिल्डिंग है, कई बार तो हम भी डर जाते हैं कि यह कभी भी गिर सकती है। बिल्डिंग बहुत ही खतरनाक है।

-बाबूलाल मिश्रा, बाबू क्षेत्रिय बोर्ड कार्यालय

मैं तो रिटायर्ड हो चुका हूं, मेरा विभाग में आना-जाना लगा रहता है। कितने सालों से देख रहा हूं इस विभाग में कोई सुधार नहीं हो सका है। कभी गिर सकती है, जिससे कई लोगों की जान जा सकती है।

-रामेश्वर सिंह, पल्लवपुरम

बराबर में ही नई बिल्डिंग तैयार हो गई है, जल्द ही शिफ्टिंग करने की भी तैयारी है। ताकि इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

-संजय यादव, क्षेत्रिय बोर्ड सचिव

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मेडिकल कॉलेज में मुश्किल हो सकते हैं हालात

रूद्गद्गह्मह्वह्ल: एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए पांच सौ बैड की व्यवस्था है। जहां रोज दो हजार मरीज ओपीडी के लिए पहुंचते हैं, जिनमें सौ से अधिक मरीज रोज किसी ना किसी कारण भर्ती होते हैं और इतने ही डिस्चार्ज भी होते हैं। मेडिकल में ग्राउंड फ्लोर और सेकंड फ्लोर तक मरीजों को वार्ड में भर्ती किया जाता है। करीब भ्00 बेड में से फ्00 पर मरीज रहते हैं। इनके साथ ही सैकड़ों तीमारदार भी रहते हैं। देखा जाए तो रोज कई हजार लोग मेडिकल की बिल्डिंग में मौजूद रहते हैं। आपात स्थिति में इनके बचने के आसार बहुत कम हैं। करीब सात सौ मीटर की गैलरी में गेट तो कई हैं, लेकिन सभी पर ताले लगे हैं। निकलने के केवल तीन ही रास्ते हैं। जहां तक पहुंचने के लिए काफी समय लगेगा। बाकी गेटों पर ताला लगा है। जब तक चाबी आएगी तब तक पता नहीं क्या होगा। बिल्डिंग तो पहले ही खतरनाक जोन में है। चारों ओर पानी भरा रहता है और कमजोर हो चली है। जो तेज भूकंप का झटका शायद ही सह पाएगी।

बिल्डिंग से निकलने में काफी देर लगेगी। जो गेट बनाए गए हैं, उन पर ताला लगा है। उनको खोलने वाला भी पहले चाबी ढूंढेगा या खुद को बचाएगा। तब तक को सबकुछ खत्म हो जाएगा।

- एमके शुक्ला, फार्मासिस्ट

बिल्डिंग से निकला इतना आसान नहीं है। यहां बचाव के लिए व्यवस्था ही नहीं है। अगर भूकंप आता तो बचाव मुश्किल है। इस बिल्डिंग से निकल पाना मुमकिन नहीं होगा। जबकि यहां हजारों लोग रोज मौजूद रहते हैं।

- एलीजाबेथ, नर्स

हमारे शहर में आपदा प्रबंधन का हाल पहले ही खराब है। मेडिकल में भी व्यवस्था करने की कोशिश के लिए बजट की मांग की गई है। जिसके बाद ही कुछ किया जाएगा। इसके अलावा जो मुमकिन हो सकता है करते हैं।

- डॉ। केके गुप्ता, प्रिंसीपल मेडिकल कॉलेज

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सीसीएसयू की लाइब्रेरी में भी बचना मुश्किल

सीसीएस यूनिवर्सिटी में मौजूद सेंट्रल लाइब्रेरी राजा महेंद्र प्रताप में रोज सैकड़ों स्टूडेंट्स स्टडी करते हैं। तीन मंजिला लाइब्रेरी की हालत ये है कि ऊपर से नीचे आने और बाहर निकले का एक ही रास्ता है। अगर स्टूडेंट्स बाहर भागेंगे तो कैसे। भूकंप आते ही यह बिल्डिंग लोगों को बचने का मौका नहीं देगी। साथ ही भगदड़ में ही लोग ऊपर नीचे दब जाएंगे।

यहां कई सौ बच्चे रोज पढ़ते हैं। सुबह आठ बजे से लेकर रात दस बजे तक काफी संख्या में स्टूडेंट्स रहते हैं, लेकिन इनको निकले के लिए एक ही रास्ता है। भूकंप से बचने का कोई रास्ता नहीं है।

- अमित चौहान, स्टूडेंट

भूकंप आता है तो लाइब्रेरी से बाहर निकलना आसान नहीं है। इसका एक ही रास्ता है और वहां तक पहुंचने से पहले ही बिल्डिंग जमीन में मिल जाएगी। जहां इमरजेंसी रास्ता भी नहीं है।

- गगन सोम, स्टूडेंट

भूकंप आने पर बिल्डिंग में दिक्कत हो सकती है। लेकिन यह बिल्डिंग काफी सही ढंग से बनाई गई है। जिसके पिलर काफी मजबूत हैं। जो भूकंप को झेल सकते हैं। यह भूकंप की तीव्रता पर भी निर्भर है।

- वीसी गोयल, वीसी सीसीएसयू

एमडीए ही बिल्डिंग के नक्शे पास करता है। इस संबंध में एमडीए को सूचित किया जाएगा कि जिस बिल्डिंग में सुरक्षा के इंतजाम नहीं है, उन्हें चिह्नित कर उनमें आपदा प्रबंधन के इंतजाम करे। इसके साथ जो बिल्डिंग जर्जर हैं, उन्हें जर्जर घोषित करने के लिए विभाग से कहा जाएगा, ताकि आपात स्थिति में बचाव किया जा सके।

-पंकज यादव, डीएम

ख्008 से नेशनल बिल्डिंग कोड लागू किया गया है। इसके बाद से जितनी भी नई बिल्डिंग बनाई गई है, उनके नक्शे आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए ही बनाए जा रहे हैं। इससे पहले की जो बिल्डिंग हैं, वो कई सालों पुरानी है। उस समय इतनी अवेयरनेस नहीं होती थी, इसलिए उन बिल्डिंग का कुछ नहीं किया जा सकता है।

-गौरव वर्मा, एडीएम फाइनेंस