रिवाल्वर से खेलता था
भावनपुर के मुर्गी फार्म में रहने वाले एक दरोगा के लडक़े अतुल नामक युवक को रिवाल्वर का लाइसेंस मिल गया. लाइसेंस मिलने के बाद वह हमेशा रिवाल्वर लेकर लोगों को डराता था. अपने दोस्तों के साथ बैठकर मौत का खेल खेलता था. रिवाल्वर में एक गोली डालता था और फिर उसको कनपटी पर लगाकर चलाता था. उसके काफी लोगों से झगड़े हुए, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. फिर 21 दिसंबर 2010 को एक होटल पर अपने दोस्तों के साथ ऐसा ही गेम खेल रहा था. उसने रिवाल्वर निकाली, उसमें एक गोली डाली पांच की खाली. गोली कनपटी में लगी और उसकी कहानी खत्म हो गई.
जिन पर केस
सूरजकुंड का रहने वाला छोटे नाम का युवक. जिस पर मारपीट के मामले दर्ज थे. लेकिन उसका लाइसेंस बन गया. कई बार उसने झगड़े के दौरान पब्लिक पर भी फायरिंग कर दी थी. तभी एसएसपी की ओर से उसका लाइसेंस निरस्त करने के आदेश हुए. लेकिन उसका लाइसेंस निरस्त नहीं हुआ. सेटिंग हो गई. आज भी वह लाइसेंसी हथियार लेकर घूमता है.
बड़े वाले
करनावल के पूर्व चैयरमेन सतीश पर थाने में कई मामले दर्ज होने बावजूद लाइसेंसी हथियार हैं. काफी साल पहले मंत्री अग्निवेश के भतीजे विकास की मौत सतीश चैयरमेन के हथियार से निकली गोली से हुई थी. केस दर्ज हुआ लेकिन लाइसेंस जब्त नहीं हुआ. इनके पास आज भी लाइसेंसी हथियार है.
पैसे देकर कृपा मिली
विकास नगर मोहनपुरी के रहने वाले महेंद्र पटेल के लाइसेंसी हथियार से 2008 में चली गोली एक बच्चे को लगी थी. काफी बवाल था. इस केस में घायल के परिजनों से रुपए देकर फैसला हुआ. लेकिन इनका हथियार आजतक जब्त नहीं हुआ. ये आज भी लाइसेंसी हथियार लेकर घूमते हैं.
इनके पास भी लाइसेंस था
खूंखार अपराधी योगेश भदौड़ा के भाई मृतक प्रमोद भदौड़ा के पास भी लाइसेंसी हथियार था. जिस पर काफी मुकदमें दर्ज थे. सरुरपुर इलाके में आज भी कई ऐसे हैं जिन पर मुकदमें दर्ज है और लाइसेंसी हथियार हैं. पुलिस ने अभियान भी चलाया.
अपनों पर गरजे लाइसेंसी हथियार
मेरठ. आत्मरक्षा को लिए गए हथियार अपनों पर भी खूब गरजे. इन हथियारों से काफी लोग मौत के मुंह में चले गए. काफी लोगों के रिश्तेदारों ने इन लाइसेंसी हथियार का खुदकुशी के लिए प्रयोग किया. ऐसे ही कुछ मामले आपके सामने हैं.
- 23 जनवरी 2013 को गढ़ रोड स्थित राजनगर कॉलोनी में एक रिटायर्ड जेई ने खुद को लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर जान दे दी.
- 25 दिसंबर 2012 को सिविल लाइन के हाशिमपुरा मोहल्ला बगीचा वाली गली में कपड़ा व्यापारी के बेटे ने खुद को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मार ली थी.
- 18 अक्टूबर 2012 को कसेरू बक्सर में वकील के बेटे ने खुद को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मार ली थी. जिसकी मौके पर ही मौत हो गई थी.
इनकी सुनो
2010 से लेकर आज तक मैं लाइसेंस के लिए भटक रहा हूं. जबकि मैंने अपनी एप्लीकेशन में लाइसेंस के लिए कारण भी लिखा था. मैंने बताया था कि मैं कैंट बोर्ड मेंबर हूं, लेकिन आज तक मेरा लाइसेंस नहीं बना. मैंने आरटीआई में डीएम से लाइसेंस का ब्यौरा मांगा था. साथ ही लाइसेंस बनवाने वालों की प्रोफाइल के बारें भी पूछा था. 2012 में लाइसेंस बनने की संख्या तो दे दी. लेकिन इनकी प्रोफाइल के बारे में नहीं बताया गया. एक बार फिर आरटीआई डाली गई है.
- जगमोहन शाकाल, कैंट बोर्ड मेंबर
बहुत लंबा समय बीत गया. दो-दो बार लाइसेंस के लिए अप्लाई कर चुका हूं. लेकिन हर बार सोर्स नहीं होता. सोर्स है तो किसी का भी लाइसेंस बन सकता है. उन लोगों के लाइसेंस भी बन गए जिन पर मुकदमे हैं. जबकि हम लोगों को हथियार की अधिक जरूरत होती है. सर्राफ के लिए सबसे पहले हथियार होना चाहिए. मेरी दुकान में लाखों की चोरी हो चुकी है. आजकल तो चोरी, लूट और डकैती की घटनाएं और भी अधिक बढ़ गई हैं. ऐसे में आत्मरक्षा के लिए हथियार तो चाहिए.
- नरेश सोनी, सर्राफ, जागृति विहार
'लाइसेंस जांच-पड़ताल के बाद दिए जाते हैं. किसी पर मुकदमा हो तो उसका लाइसेंस नहीं बन सकता. काफी ऐसे लोगों के लाइसेंस निरस्त भी हुए जिन्होंने मिसयूज किया.'
- सुधीर कुमार सिंह, एसपी क्राइम