- हथियार तो हैं, मगर गोली नहीं

- शहर में है गोलियों की शार्टेज

- बदमाशों के लिए नहीं है कमी

मेरठ। एक गोली डाली, पांच घर खाली डॉन को गोलियों का हिसाब देने की जरूरत नहीं ये फिल्मों का डॉयलाग नहीं, बल्कि हकीकत है। डॉन को असलहों का लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है। लेकिन आत्म सुरक्षा के लिए लाइसेंसी पिस्टल, रिवाल्वर, राइफल लेने वालों के लिए बंदिश ही बंदिश है। बदमाशों के लिए जहां कारतूस की कोई कमी नहीं है, वहीं लाइसेंस धारकों के लिए कार्टेज की शार्टेज चल रही है। आखिर ये सरकार का कैसा सिस्टम है। जब पब्लिक को सुरक्षा की जरूरत होती है तो हथियारों को जब्त कर लिया जाता है, जब कॉर्टेज की जरूरत होती है, तो कार्टेज नहीं मिलता है। लोगों के पास लाइसेंसी हथियार तो है, लेकिन गोलियां नहीं हैं। मिल भी रही हैं तो ब्लैक में, वो भी दोगुने रेट में।

कैसे करें हिफाजत

शहर में लाइसेंसी हथियारों की डिमांड बढ़ रही है। हथियार खरीदने के लिए लगभग दस आवेदन प्रतिदिन दिए जाते हैं। आखिर लोग हथियार क्यों खरीदते हैं? ये सवाल भी आवेदन पत्र में अंकित होता है। लोग हथियार खरीदने की सबसे बड़ी वजह आत्म सुरक्षा बताते हैं। हथियार तो इन्हें आत्म सुरक्षा के लिए मिल जाता है, पर कॉर्टेज मिलना मुश्किल हो रहा है। शहर में कॉर्टेज की कमी है। जबकि सर्दी का मौसम आते ही लोगों को कॉर्टेज की जरूरत पडऩे लगती है। इन दिनों लूट, चोरी और डकैती की वारदातें बढ़ जाती हैं। सर्दी ज्यादा पडऩे की वजह से रात में जल्दी सन्नाटा हो जाता है। भले ही पुलिस ये कहे कि वो 24 घंटे आपकी सेवा में तत्पर है, पर सर्दी का असर उस पर भी पड़ता है। तो ऐसे में बदमाशों के पास पूरा मौका होता है अपना हाथ साफ करने का। जिस घर में हथियार होता है, उस घर पर हमला करने से बदमाश एक बार डरता है।

कितने मिलते हैं कार्टेज

कार्टेज की शॉर्टेज होने से पिस्टल और रिवाल्वर के एक लाइसेंस में एक बार में दस काटेज लिए जा सकते हैं। एक साल में ज्यादा से ज्यादा 20 कार्टेज खरीदे जा सकते हैं। जबकि राइफल के लिए एक साल में सौ कार्टेज ले सकते हैं। मार्केट में कार्टेज की शार्टेज होने पर लोग ब्लैक में कार्टेज की खरीदारी करने पर मजबूर हैं। वहीं डीलर्स का कहना है कि उन्हें इतने कम कार्टेज मिलते हैं कि कोटा पूरा नहीं हो पाता है। गन फैक्ट्री समय समय पर कार्टेज का निर्माण करना बंद कर देती है। जिसकी वजह से हमेशा प्रॉब्लम बनी रहती है। कुछ डीलर्स का कहना है कि सालों से उन्होंने नए कोटे के कार्टेज के लिए आवेदन कर रखा है पर अभी तक कार्टेज नहीं मिले हैं।

ब्लैक हो रहीं गोलियां

मार्केट में कार्टेज का कोई फिक्स रेट नहीं है। कार्टेज की खरीद के दौरान ग्राहक एमआरपी नहीं देखता है। अक्सर कार्टेज खुले दिए जाते हैं। जिसका फायदा विक्रेता को मिलता है। और वो मनमाने रेट पर कार्टेज की सेल करता है। हर दुकान में अलग-अलग रेट बोले जाते हैं। मार्केट में कार्टेज की शार्टेज होने की वजह से ब्लैक में कार्टेज की कीमत कई गुनी बढ़ गई है। पिछले पांच साल के कोटे की खेप ही मार्केट में बेची जा रही है। जिसकी कीमत पुराने रेट से ज्यादा ली जाती है। रिवाल्वर और राइफल के कार्टेज सबसे ज्यादा ब्लैक हो रहे हैं। 32 और 315 बोर के कार्टेज जो कुछ दिन पहले 60 से 70 रुपए में थे वो अब सौ रुपए से ऊपर बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा ब्लैक में इसकी कीमत कई गुनी बढ़ जाती है।

बाहर से ब्लैक का माल

यूपी से सटे कई राज्यों में कार्टेज लेने की कोई बाध्यता नहीं है। शहर में आस-पास के राज्यों से कार्टेज लाकर ब्लैक में बेचे जा रहे हैं। सरकार ने इंग्लिश कार्टेज का आयात बंद कर दिया है। इंग्लिश कार्टेज लेने वालों की संख्या भी शहर में बहुत है। इंग्लिश कार्टेज खरीदने के लिए ब्लैक में मुंह मांगी रकम देने को तैयार हैं। पिस्टल का इंग्लिश कार्टेज का रेट ब्लैक में 450 रुपए और रिवाल्वर का 300 से साढ़े तीन सौ रुपए है। पिस्टल और रिवाल्वर के भारतीय कार्टेज में शिकायत मिलने की वजह से लोग इंग्लिश कार्टेज पर ज्यादा भरोसा करते हैं। कार्टेज की शॉर्टेज होने से लोगों के हथियार शो पीस बन गए हैं।

-------------------

गोलियां  हथियार  मार्केट रेट   ब्लैक रेट

32 बोर     पिस्टल       90       200-225

315 बोर    राइफल      80        150-160

306 बोर    राइफल     150        300-325

32 बोर     रिवाल्वर     80         200-225

मेरठ में हथियार

कुल लाइसेंस - 35,000 (बाहरी शहरों के लगभग 6000)

पिस्टल, रिवाल्वर-  25 प्रतिशत

बंदूक---40 प्रतिशत

राइफल---35 प्रतिशत

वर्जन

आए दिन लूट और चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं। कार्टेज की मार्केट में मारामारी है, जिसकी वजह से कई गुने दामों में कारतूस खरीदने पड़ रहे हैं।

- मुकुल यादव

कार्टेज की मार्केट में कमी है। कई साल से पुणे गन फैक्ट्री में कोटे के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन अभी तक आपूर्ति नहीं हुई है। इस वजह से रेट में बढोत्तरी होती रहती है।

-सीएम जैन, आम्र्स विक्रेता

गोलियों की शार्टेज है, इसलिए

- असलहों का प्रदर्शन न करें।

- क्योंकि ये प्रदर्शन की नहीं बल्कि आत्म सुरक्षा की चीज है।

- दिखावे में यूं ही फायरिंग न करें।

- क्योंकि लाइसेंसी हथियार धारकों को गोलियां लिमिटेड मिलती हैं।

- अपना रेपुटेशन बनाने में तो आपने गोलियां खूब चलाई, लेकिन जब आत्म सुरक्षा की जरूरत पड़ी और गोली नहीं मिली तो फिर

जब्त हो जाते हैं हथियार

- विधान सभा चुनाव के दौरान

- लोक सभा चुनाव के दौरान

- नगर निगम चुनाव के दौरान

- जिला पंचायत चुनाव के दौरान