- हैलट की बर्न यूनिट का बुरा हाल, नाम की सुविधाओं से खतरे में बर्न पेशेंट्स की जान

KANPUR: हर साल दीवाली में पटाखों या दीया जलाने की वजह से सैकड़ों लोग शहर में झुलसते हैं। ऐसे मरीजों का बर्न यूनिट में इलाज किया जाता था, लेकिन शहर के सबसे बड़े रेफरल सेंटर में बनी बर्न यूनिट का बुरा हाल है। हालत यह है कि बर्न यूनिट में भर्ती होने वाले 90 फीसदी पेशेंट्स की यहंा मौत हो जाती है या फिर वह यहां से चले जाते हैं।

ब्0 परसेंट बर्न का भी बचना मुश्किल

हैलट की बर्न यूनिट में इंफेक्शन का स्तर इतना ज्यादा है कि ब्0 फीसदी तक के बर्न पेशेंट्स की जान भी नहीं बचती। बर्न पेशेंट को दी जाने वाली दवाएं कागजों पर तो पूरी मिलती हैं,लेकिन असल में मरीजों से बाहर से ही ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाएं मंगाई जाती है। सबसे बुरा हाल उन पेशेंट्स का होता है, जिनका सीना आग से झुलस जाता है। बर्न यूनिट में भर्ती और मरने वाले मरीजों की संख्या की बात करें तो सितंबर महीने में ही यहां ख्7 पेशेंट्स भर्ती हुए। जिसमें से ख्0 की मौत हो गई। जबकि बाकी बर्नयूनिट से चले गए।

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इस वजह से खतरे में जान-

- बर्न यूनिट की पुरानी बिल्डिंग में भारी सीलन से बैक्टीरिया की भरमार

- भर्ती मरीजों को इंफेक्शन से बचाने के लिए बना पार्टीशन कारगर नहीं

- समय समय पर बर्न यूनिट का फ्यूमिगेशन नहीं होने की वजह से हाई इंफेक्शन रेट

- झुलसे मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की बेहद सीमित उपलब्धता

- बर्न यूनिट का खराब पड़ा ऑक्सीजन प्लांट

- बर्न यूनिट में आइसोलेशन में पेशेंट्स के आइसोलेशन की कमी

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नई यूनिट को मंजूरी

सर्जरी विभाग के हेड प्रो। संजय काला के मुताबिक बर्न पेशेंट्स को बेहतर इलाज मिले इसके लिए केंद्र सरकार की मदद से हैलट में नई बर्न यूनिट का प्रस्ताव मंजूर हो गया है। इसे पुरानी यूनिट की जगह पर ही बनाया जाएगा। केंद्रीय मदद से बनने वाली इस यूनिट में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी।

वर्जन-

बर्न यूनिट के खराब एसी बदले जा चुके हैं। रेफरल सेंटर होने की वजह से यहां जो बर्न पेशेंट कई बार काफी देर से आते हैं। ऐसे में उनकी जान नहीं बच पाती। यूनिट में दवाओं की उपलब्धता को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है।

- डॉ। आरसी गुप्ता, एसआईसी, एलएलआर हॉस्पिटल