JAMSHEDPUR: एनएच-33 पर बहरागोड़ा के जमशोला बीच सीरीषटोला चौक के पास बुधवार रात करीब दो बजे कांवरियों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इलाज के लिए एमजीएम में एडमिट कराया गया। घायलों को न तो दवा मिली और न ही मरहम-पट्टी। दर्द से घायल तड़पते रहे और डॉक्टर-कर्मचारी मुंह ताकते रहे। इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बावजूद अस्पताल में कोई विशेष तैयारी नहीं दिखी। न तो पर्याप्त संख्या में वार्ड ब्याय मौजूद थे और न ही नर्स व डॉक्टर। यहां तक ज्यादातर को बेड भी नसीब नहीं हुआ। जबकि घायलों को सुबह चार बजे से ही एमजीएम में लाया जा रहा था।

मची रही अफरातफरी

एमजीएम अस्पताल में अचानक 60 घायलों का इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में अस्पताल में अफरा-तफरी मची रही। आलम यह रहा कि घायलों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। कई घायलों का इलाज व्हील चेयर पर बैठाकर किया जा रहा है। घायलों ने इसका विरोध किया तो नर्सो ने कहा कि इमरजेंसी विभाग में बेड खाली नहीं हैं। खाली होते ही बेड उपलब्ध करा दिया जाएगा।

बिलख-बिलखकर रोने लगी

बबीता देवी का बेटा तो मरा ही उनकी बहन भी बिछड़ गई थी। काफी देर के बाद वह जैसे ही एमजीएम अस्पताल पहुंची और बबीता की नजर उनपर पड़ी तो वह बिलख-बिलखकर रोने लगी। दरअसल, बबीता पहले एमजीएम पहुंची थी और उसकी बहन काफी देर से दूसरे एंबुलेंस से आई। बबीता की बहन के सिर में चोट आई है। वहीं बबीता को हल्की चोट है।

मदद के लिए भी उठे हाथ

एक तरफ घायल इलाज के लिए तड़प रहे थे तो दूसरी तरफ मदद के लिए भी हाथ भी बढ़ने लगे। जैसे ही स्थानीय लोगों को पता चला, तुरंत ही घायलों की सहायता करने लगे। कोई घायलों को एंबुलेंस से उतार रहा था तो कोई दवा की व्यवस्था कर रहा था। घायलों की मदद के लिए खाद्य-आपूर्ति मंत्री सरयू राय अस्पताल पहुंचे और बेहतर चिकित्सा का निर्देश दिया। वहीं भाजपा नेता विकास सिंह ने घायलों को एंबुलेंस से उतारकर भर्ती कराया। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। पवन पांडे ने उपाधीक्षक से मिलकर घायलों को वापस बिहार भेजने के लिए प्रयास करते रहे।

घायल होकर पहुंचे कुछ तीर्थयात्रियों की शिकायत थी कि दवा नहीं मिल रही है। इसके बाद तत्काल उन्हें उपलब्ध करा दी गई। एक सप्ताह के अंदर अस्पताल में सभी तरह की दवाएं आ जाएंगी। कुछ दवाएं आ गई है।

- डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम