- 24 घंटे में ही बदल गई डॉ। की जांच रिपोर्ट

- नहीं हुआ एमवी एक्ट के नियमों का पालन

<- ख्ब् घंटे में ही बदल गई डॉ। की जांच रिपोर्ट

- नहीं हुआ एमवी एक्ट के नियमों का पालन

BAREILLY:

BAREILLY:

नेशनल हाइवे पर बस हादसे का जिम्मेदार संविदा ड्राइवर सुंदर लाल की आंखों की जांच रिपोर्ट में खेल कर दिया गया है। सीतापुर आई हॉस्पिटल के जिस डॉक्टर ने जांच में पहले दिन सुंदर लाल की आंखों के विजन और नीयर करेक्शन की प्रॉब्लम बताई और लिखित रिपोर्ट तैयार की थी। उसी डॉक्टर ने अगले दिन ड्राइवर की आंखों को सही बताते हुए दूसरी रिपोर्ट तैयार कर दी। ख्ब् घंटे में हुए इस बदलाव से डॉक्टर की जांच रिपोर्ट संदेह के घेरे में आ गया है। वहीं दूसरी ओर बस हादसे के बाद परिवहन निगम एमवी एक्ट के नियमों को दर किनार रखते हुए डॉक्टर की जांच रिपोर्ट को फाइल में लगा दी।

फोन पर हुई बात और रिपोर्ट चेंज

सुंदर लाल की आंखों की जांच 8 जून को सीतापुर आई हॉस्पिटल में कराई गई थी। डॉ। वीवी सिद्धू ने आंखों की जांच की। जांच में सुंदर लाल की आंखों को विजन म्/9 निकला। जबकि, सामान्य विजन म्/म् होता है। वहीं नीयर करेक्शन क्.7भ् रहा। डॉक्टर वीवी सिद्धू ने रिपोर्ट तैयार कर सुंदर लाल को सौंप भी दी थी, लेकिन अगले 9 जून को आरएम ऑफिस से सुंदरलाल को दोबारा आंखों की जांच के लिए भेजा गया। एक ही पल में सब कुछ बदल गया। परिवहन निगम के अधिकारियों की डॉक्टर से ऐसी क्या बात हुई कि अगले दिन सुंदर को बस चलाने के लिए फिट घोषित कर दिया गया और आंखों की दूसरी जांच रिपोर्ट बना दी।

सुंदर लाल का नहीं हुई फिजिकल जांच

एमवी एक्ट के मुताबिक नंगी आंखों से या चश्मे के साथ ख्भ् मीटर तक देखने की क्षमता एक कुशल ड्राइवर में होनी चाहिए। ताकि उसे सामने से आ रहा वाहन आसानी से दिखाई दे और आसानी से नंबर पढ़ रहा हो, लेकिन सुंदर लाल की आंखों की जब जांच हुई तो वह आखिरी लाइन नहीं पढ़ सका था। दोनों दिन हुई आंखों की जांच में सुंदर लाल को यही दिक्कत रही। डॉक्टर भी यह मानते है कि चश्मे से वह आसानी से आखिरी लाइन पढ़ सकता है और वाहन चला सकता है। यानि सुंदर लाल को चश्मा लगाना आवश्यक है। इसके बावजूद वह हादसे वाले दिन बिना चश्मे के ही ड्राइिवंग कर रहा था। पिछले वर्ष नजर कमजोर होने के बाद भी उसने चश्मा नहीं बनवाया था।

इन बिन्दुओं पर की गई अनदेखी

आंखों की जांच के अलावा कान, हाथ, पैर और अन्य चीजों की भी जांच होनी चाहिए थी। क्योंकि हैवी व्हीकल्स के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अप्लीकेंट्स को एक घोषणा पत्र देना होता है। इसकी के आधार पर डॉक्टर जांच कर अपनी रिपोर्ट देते हैं। लाइसेंस बनवाते समय घोषणा पत्र के साथ ही मेडिकल सर्टिफिकेट भी आरटीओ में सबमिट करना होता है। यदि, ड्राइवर कोई एक्सीडेंट करता है, तो इन तमाम बिंदुओं पर जांच होती है, लेकिन नेशनल हाइवे पर सुंदर लाल के एक्सीडेंट करने के बाद भी आंखों के सिवाय और किसी भी चीज की जांच नहीं कराई गई।

एमवी एक्ट का पालन करने वाले अप्लीकेंट्स को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं। अप्लीकेंट्स से अखबार पढ़वाना और अन्य चीजें दिखाई जाती है। कोई कमी होने पर ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता है।

एमएल चौरसिया, इंफोर्समेंट, आरटीओ