-प्लास्टिक का ग्लास, दोना प्लेट हो गया बंद, वैवाहिक कार्यक्रमों आदि में नहीं होगा इस्तेमाल

-शादी की तैयारियों में जुटे लान संचालकों की परेशानी बढ़ी

VARANASI

शासन ने प्लास्टिक के प्लेट, गिलास और दोना, चम्मच को भी बंद करने का फरमान सुना दिया है। इससे शादी विवाह का आयोजन करने वाले लान संचालकों के माथे पर बल आ गया है। पहले वो कम पैसे खर्च करके कप, प्लेट और गिलास दोना का इंतजाम कर लेते थे। अब कुल्हड़ सहित कसोरा, पत्तल का इंतजाम करना होगा। बारिश के मौसम में इनका इंतजाम मुश्किल होगा, खर्चा भी बढ़ जाएगा। हालांकि इसका फायदा कुम्हारों को भरपूर मिलेगा। उनके पास काम होगा और उनका दौर एक बार फिर से जीवंत हो उठेगा।

बढ़ जाएगा खर्च

शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों में मिट्टी के कुल्हड़, किराए के ग्लास व प्लेट के अलावा कागज के ग्लास-प्लेट का यूज तो किया जा सकता है। लेकिन यह प्लास्टिक की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा महंगा पड़ेगा। प्लास्टिक के 250 एमएल के 100 ग्लास की कीमत जहां 30 से 50 रुपए होती है। वहीं कागज के ग्लास की कीमत करीब दो सौ रुपये पड़ेगी। यही हाल प्लेट्स का है। थर्माकोल और प्लास्टिक के 100 प्लेट की कीमत जहां 150 से 200 है वहीं कागज की प्लेट 450 से 500 रुपए में मिलेगी। प्लास्टिक के ग्लास व प्लेट बैन होने के बाद एक शादी का खर्च करीब पांच से 15 हजार रुपए तक बढ़ जाएगा। प्लास्टिक के ग्लास एक तरफ यूज होते हैं तो दूसरी ओर डिस्पोज किए जाते हैं। जबकि मेटल के बर्तनों को दोबारा यूज करने के लिए उन्हें धोना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें लेबर चार्ज पर अधिक खर्चा करना होगा।

प्लास्टिक के प्लेट, ग्लास आदि बैन होने से मुश्किल बढ़ गयी है। जबकि इन्हें 100 माइक्रॉन से ज्यादा से प्लास्टिक से निर्मित किया जाता हैं। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ जाएगा।

सुबोध बरनवाल, वरिष्ठ सदस्य

प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

शादी-विवाह समेत अन्य समारोह के आयोजन में बड़ी मात्रा में बर्तनों का इंतजाम किया जाता है। ये आसानी से हो जाता था। इसका कोई आसान विकल्प नहीं है।

संजय चौरसिया, अध्यक्ष

प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

प्लास्टिक कारोबारी भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। बैन होने से करोड़ों का माल फैक्ट्रियों में डंप हो गया है। प्लास्टिक गिलास से बैन हटाया जाना चाहिए।

राजकिशोर जायसवाल, सदस्य

प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

प्लास्टिक उद्योग में छह-सात इंडस्ट्रीज चला रहे हैं। और इससे जुड़े तकरीबन छह-सात सौ परिवार मजदूर पैकर्स के रूप में कार्य कर जीविका चलाते है। इन परिवारों के सामने मुश्किल आ गयी है।

पवन गुप्ता, कारोबारी

प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन