- बेहिसाब बिजली कटौती ने कई धंध वालों को रूला रही है खून के आंसू

- पावर कट की कंडीशन में ठप हो रहा है पूरा काम, कोस रहे हैं कस्टमर्स

- जो चला रहे हैं जेनरेटर से काम उनका घट रहा है मुनाफा, बढ़ रहा सिरदर्द

VARANASI: बिजली यानि करंट का झटका जानलेवा होता है। मगर बिजली कटी हो तो झटका लगने का कोई रिस्क नहीं होता। मगर अपने शहर में हजारों लोग ऐसे हैं जो जब-जब बिजली कटती है तब-तब झटका खाते हैं। ये जान कर आपको हैरानी हो रही होगी। होनी भी चाहिये क्योंकि मामला ही कुछ ऐसा है। तो चलिये आपको हम बताते हैं कि कैसे बिन बिजली के लग रहा है लोगों को झटका वो भी हर रोज और दिन में कई बार

बिजली कटौती कर रही धंधा, रोजी और रोटी में खोटी

चीफ मिनिस्टर साहब! सुन रहे हैं न आप। रो रहे हैं बनारस वाले। डायरेक्ट आपसे इसलिए भी कहना पड़ रहा है क्योंकि बिजली तो आपको ही देनी है। हो सकता है आप लोकसभा आम चुनाव में अपने पार्टी के खराब परफार्मेस की खाज बेहिसाब बिजली कटौती से मिटाना चाह रहे हो। हो सकता है आपके पास बिजली संकट का रोना भी हो मगर फिर भी आप ये समझ लीजिये कि यही हाल रहा तो लोकसभा के बाद विधानसभा में भी आपको मुंह की खानी पड़ सकती है। क्योंकि इंसान सबकुछ बर्दाश्त कर सकता है मगर रोजी-रोटी के साथ खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता। आप भी जरा देखिये कि कैसे आपके राज में बिजली कटौती लोगों के घर का बजट बिगाड़ रही है। चलिये आपको मिलवाते हैं ऐसे लोगों से जिनके धंधे में बिजली कटौती रोज ही खोटी कर रहा है।

रो रहे हैं बनारसी साड़ी वाले

बिजली कटौती की सबसे ज्यादा मार बनारसी साड़ी और इम्ब्रायडरी वर्क से जुड़े बुनकरों पर है। बनारस में लाखों लोग पावरलूम और इम्ब्रॉयडरी वर्क से जुड़े हैं मगर बिना बिजली ख्0 घंटे तो क्या क्0 घंटे भी लूम या मशीन चलाना मुमकीन नहीं रहा। लल्लापुरा में पावर लूम चलाने वाले अनवर कहते हैं ये समस्या बहुत बड़ी है। जेनरेटर से लूम चलाने पर मालिक क्या बचाएगा और क्या बांटेगा। लाइट ना रहने से ऑर्डर भी फंस रहा है। बहुत नुकसान हो रहा है।

हवा वालों की हवा खराब

शहर में हजारों हवा वाले या पंचर बनाने वाले हैं जिनका पूरा धंधा मेहनत और बिजली पर टिका है। अगर बिजली न मिले तो इनका एयर टैंक खाली हो जाता है। सिगरा पर पंचर और हवा की दुकान करने वाले छोटू की सुने तो बिजली ना हो तो पंचर बनाने का काम भी नहीं हो सकता क्योंकि पंचर चेक करने के लिए हवा तो भरना ही पड़ेगा। किसी की गाड़ी पंचर ना हो तो भी हम हवा भर कर दो रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं। मगर बेहिसाब कटौती में वो भी मुश्किल है।

कैसे चले घर-गृहस्थी की चक्की

गेंहू, मसाले और दाल की पिसाई करने वालों को भी बिजली किस कदर रूला रही है उनका सीधा एग्जाम्पल हैं अस्सी निवासी गोविंद प्रसाद गुप्ता। बताते हैं कि बिजली का कोई भरोसा नहीं रहा ऐसे में ग्राहक को समय से गेंहू पीस कर दे पाना मुश्किल हो रहा है। कई छोटे दुकानदार भी आटा बनवाकर ले जाते हैं। वो भी परेशान हो रहे हैं क्योंकि समय से आटा ना मिलने के कारण उनके ग्राहक निकल जा रहे हैं। नुकसान मेरा भी हो रहा है क्योंकि चक्की चल ही नहीं रही।

रूकता है काम तो होता है झाम

शिवाला एरिया में वेल्डिंग व‌र्क्स को काम करने वाले परवेज वेल्डिंग वर्कशॉप में बिजली कटौती से हो रही दिक्कतों को बखूबी बयां करते हैं। परवेज की माने तो बिजली कटौती में वेल्डिंग का काम पूरी तरह ठप हो जाता है। अब चाहे डोर व विंडो फ्रेम हो या विंडो ग्रिल, ऑर्डर पूरा करने में देर हो जो कस्टमर भड़क जाते हैं क्योंकि उनका बड़ा नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में रोज ही ग्राहकों से तक-झक होती है। काम करना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है।

छपाई कम और सिर खपाई ज्यादा

बिजली कटौती ने प्रिंटिंग प्रेस बिजनेस करने वालों को भी रूला मारा है। ये भी ऐसा सेक्टर है जिसमें कस्टमर्स देरी पर भड़क उठते हैं क्योंकि 80 परसेंट काम अरजेंट ही होता है। प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले बबलू की सुने तो कटौती नॉर्मल ढंग से हो तो जेनसेट के भरोसे काम निकाला जाता है। मगर अगर क्0 से क्ख् घंटे बिजली कटे तो जेनसेट पर काम करने का मतलब है प्रॉफिट से हाथ धोना क्योंकि कॉम्पटीशन के माहौल में सभी जगह प्रिटिंग रेट बहुत कम है।

कटती है बिजली, अटकती हैं सांस

गर्मी में ठंडा और कूल चीजों का धंधा पीक पर होता है मगर अपने बनारस में इस धंधे में शामिल लोग भी कटौती से आजीज हैं। सिगरा एरिया में आइसक्रीम पार्लर चलाने वाले तारिक ने बताया कि जब भी बिजली कटती है हमारी सांस अटकी रहती है। एक घंटे तक बिजली जाये तो डीप फ्रीजर मेंटेन रहता है मगर अगर ड्यूरेशन लम्बा हो तो आइसक्रीम के पिघलने का डर सताता है। देखा जाये तो इस तरह की कटौती में ये धंधा बहुत ही रिस्की हो गया है।

बोहनी तक के लिए तरसना पड़ता है

अपने शहर में फोटोस्टेट करने वालों की बड़ी जमात मौजूद है मगर बिजली कटौती ने इनके लिए ये भी परेशानी खड़ी कर दी है। फोटोस्टेट की दुकान चलाने वाले अभिषेक कहते हैं कि हम जेनरेटर से भी कॉपी करते हैं मगर चार्ज बढ़ जाता है। जिनको इमरजेंसी होती है वो तो कॉपी कराते हैं मगर बाकी लौट जाते हैं। कई बार दोपहर तक बोहनी नहीं होती। दिक्कत तब भी होती है जब हम पूरी बुक फोटोस्टेट का ऑर्डर लेते हैं और लाइन घंटों तक गायब रहती है।

रोज ही जवाब दे जा रहा है इन्वर्टर

हर साइबर कफे में यूपीएस की व्यवस्था कॉमन होती है। अच्छे इन्वर्टर के साथ यूपीएस घंटे-दो घंटे भर तक बिजली कटौती में साथ देता है। मगर अब यहां भी धंधा चौपट होने की कगार पर है। साइबर कफे संचालक संजय कुशवाहा की माने तो कई बार बिजली इतनी देर के लिए गायब हो रही है कि इन्वर्टर बैठ जाता है। ग्राहक अधूरा काम छोड़ जाने को मजूबर होते हैं। नुकसान हमें उठाना पड़ता है। समस्या ये भी है कि जेनरेटर पर लोग महंगा इंटरनेट यूज नहीं करना चाहते।