- अगर नकली दवाओं के मेन व्यापारी पकड़े जाएं तो खत्म हो सकता है यह खेल

LUCKNOW:

प्रदेश में नकली दवाओं के कारोबार के फलने-फूलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि दवाएं तो नकली पकड़ी जाती हैं लेकिन इसके मेन कारोबारी लचर कानून व्यवस्था के चलते बच जाते हैं।

अलीगंज में पकड़ी गई थी दवा

तीन वर्ष पूर्व लखनऊ के अलीगंज में एक मेडिकल स्टोर पर नकली एंटीबायोटिक जिफी पकड़ी गई थी। यहां तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर एके मल्होत्रा ने स्वयं ड्रग इंस्पेक्टर्स की टीम के साथ छापा मारा था। अधिकारियों ने अमीनाबाद से सप्लाई करने वाले होल सेलर का भी पता लगा लिया था। लेकिन निर्माताओं तक एफएसडीए की टीम नहीं पहुंच सकी। नतीजा नकली दवाओं का व्यापार जारी रहा। जबकि यह बहुत हाई लेवल की एंटीबायोटिक दवा है। जिसे देने पर मरीज ठीक हो जाता है लेकिन नकली होने पर यह मरीज की जान भी ले लेता है।

कई जिलों तक फैला था कारोबार

कुछ समय पहले मुजफ्फरनगर से शिवालिक हेल्थ केयर के यहां नकली दवाओं का खेल पकड़ गया था। जांच में पता चला था कि टेबलेट में दवा की मात्रा सिर्फ 30 फीसद ही थी। मेसर्स शिवालिक हेल्थ केयर इंडिया प्रा। लि। मुजफ्फरनगर द्वारा इस घोटाले पर लखनऊ की टीम ने सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली व मुजफ्फरनगर के ड्रग इंस्पेक्टर के साथ मिलकर मामले का भंडाफोड़ किया था। जिसके बाद दो फैक्ट्रियां पकड़ी गई और दोनों को सीज करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

कई दिलों में होती थी सप्लाई

एफएसडीए के अधिकारियों के अनुसार दवाएं कानपुर, गाजियाबाद, बरेली, महाराजगंज, लखनऊ, सहारनपुर, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, इलाहाबाद सहित अन्य जिलों में सप्लाई की जाती थी। जिसके कारण इन जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर्स को दवाओं की सैंपलिंग और सीज करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन बाद में एफएसडीए की कोई रिपोर्ट नहीं आई और मिलीभगत से सब खत्म करदिया गया।

दूसरे राज्यों तक फैला है कारोबार

दो माह पूर्व यूपी एफएसडीए की टीम ने संभल से पूरे यूपी में सप्लाई हो रही नकली दवाओं के रैकेट का पर्दाफाश किया था। जिसके बाद एफएसडीए की टीम ने उत्तराखंड एफएसडीए के साथ मिलकर रूड़की में चल रहे नकली दवाओ के निर्माण को पकड़ा था। पता चला कि बिना लाइसेंस के घरों में लगी मशीनों से नामी कंपनियों एंटीबायाटिक व अन्य दवाएं बनाई जा रही थी।

कोई भी कर सकता है शिकायत

अधिकारियों के मुताबिक नकली दवाओं की पहचान और रोक लगाने में पब्लिक ही सबसे बड़ी भूमिका निभा सकती है। कोई भी दवा बिना पक्की रसीद के न लें। साथ ही बैच नंबर का मिलान रसीद में छपे बैच नंबर से जरूर करे। ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर के रेट्स से अधिक दामों पर दवाएं नहीं बेची जा सकती। जिसकी जानकारी एनपीपीए की वेबसाइट http://nppaindia.nic.in/ पर दी गई है। कोई भी दवाओं के रेट चेक कर सकता है।

नकली दवाओं के लिए समय समय पर जांच की जाती है। दो माह पूर्व ही रूड़की में छापामारकर कार्रवाई की गई थी।

एके जैन, ड्रगकंट्रोलर, एफएसडीए