मैं पुलिस का जवान हूं, लेकिन छह महीने से कोई ऐसा काम नहीं कर रहा था कि मैं अपने को पुलिस वाला मानंू। मुझे एक बिजनेसमैन की सिक्योरिटी में लगाया गया था। मैं उसकी सिक्योरिटी में पुलिस का तीसरा जवान था। तीस नंवबर को ज्वाइन किया था। उस दिन से लेकर आज तक मेरे साथ जो हुआ वो मेरे साथ-साथ उन जवानों के लिए भी शर्मनाक है, जो प्राइवेट लोगों की सिक्योरिटी में लगे रहते है। क्योंकि मुझसे पुलिस के बदले नौकर जैसा काम करवाया जाता था। मैं सिक्योरिटी के काम से अधिक उसके घर का काम करने लगा था। सुबह-शाम सब्जी लाने के लिए कहा जाता था। हर दिन सुबह बच्चे को स्कूल छोडऩे जाता था। फिर दोपहर में बिजनेसमैन की पत्नी को मॉल लेकर जाता था। अगर घर में गैस नहीं है या साहेब की सिगरेट खत्म हो गई तो उसे भी लाना मेरा ही काम था। सबसे अधिक मजबूरी तब हो जाती थी जब वो किसी शादी या फंग्शन में मुझे बेइज्जत करने लगता था। हाथों से कार्बाइन छीनकर गोली चलाने लगता था।

गोली नहीं, शराब की बोतल रखो
यही नहीं वो कमर में शराब की बोतल और जेब में सिगरेट और लाइटर रखे रहने को कहा करता था। मैं नशा नहीं करता था। इसलिए मुझे यह सब पसंद नहीं था। मेरे साथ के जवान चुपचाप यह सब करते थे। मैंने इसका विरोध किया कि मैं पुलिस का जवान हूं मेरा काम सिक्योरिटी देना है न कि आपकी मनमर्जी को बढ़ावा देना। इस दौरान जब कभी मौका मिलता या तीनों पुलिसकर्मी आपस में बात करते तो कहते थे कि हर जगह यही हो रहा है। नेता, बिल्डर, बिजनेसमैन, हर कोई सिक्योरिटी देने वाले पुलिसकर्मी को अपने घर का नौकर बनाकर रखे हुए है। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि अब बहुत हो गया। टाइम पर ड्यूटी करने लगा और उसकी फरमान को अनसुनी करने लगा।

नहीं करना बॉडीगार्ड का काम
पीएमसीएच में ऑपरेशन के बाद बेड पर वापस आकर बिहार पुलिस के जवान सौरभ सुमन ने हाथ जोड़कर कहा कि वह अब सिक्योरिटी यानि बॉडीगार्ड का काम नहीं करना चाहता है। शर्म आती है जब कोई पुलिस वाला गाड़ी से उतरती हुई मेम साहब का दरवाजा खोलता है। उसके बच्चे को गोद में लेकर घूमाता है, उसके इशारे पर सामान खरीदकर लाता है। क्योंकि जिसे सिक्योरिटी चाहिए उसे भी इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। वह सिर्फ इलाके में दबंगई करने के लिए खाकी वर्दी वालों को साथ रखना चाहता है।

रास्ते में हुआ हमला
सरकारी बॉडीगार्ड सौरभ कुमार कमल ने बताया कि वह सुबह साढ़े सात बजे पटना से मोतिहारी बिजनेसमैन अमित अभिषेक उर्फ लड्डू सिंह के साथ पहुंचा था। वहां पहुंचते ही उसके प्राइवेट बॉडीगार्ड ने उससे गाली-गलौज करनी शुरू दी और एक धारदार हथियार से उसके गुप्त अंग पर हमला कर दिया। आनन फानन में सौरभ कुमार कमल ने दूर रखे कार्बाइन को हाथ में लिया और वहां से भाग निकलने की कोशिश की। इस दौरान एंजल सिक्योरिटी प्राइवेट कंस्ट्रक्शन लिमिटेड कंपनी के अमित अभिषेक उर्फ लड्डू सिंह ने भी लात घूसे से उस पर हमला कर दिया। वह जान बचाकर किसी तरह भागा और मोतिहारी एसपी के आवास पर पहुंचा लेकिन वे वहां नहीं थे। इसके बाद वहां के एक दो सिपाही की मदद से किसी तरह जान बचाकर पटना स्थित बैरक पहुंचा। जहां से जवानों ने उसे पीएमसीएच लाया और यहां ऑपरेशन के बाद इलाज चल रहा है।