20 प्रतिशत व्यापारियों ने किया जीएसटी सरेंडर, 20 लाख से कम टर्नओवर वाले थे परेशान

उधर, राजस्व कम होने की आशंका से गवर्नमेंट है परेशान, जांच के बाद ही सरेंडर की मिलेगी अनुमति

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: जीएसटी लागू होने के बाद पिछले कुछ महीनों से लगातार घट रहे राजस्व ने गवर्नमेंट को चिंता में डाल दिया है। इस बीच 20 लाख रुपये एनुअल से कम टर्न ओवर वाले व्यापारियों के लिए जीएसटी से बाहर आने का रास्ता ओपेन होने के बाद बड़ी संख्या में व्यापारियों ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन सरेंडर के लिए आवेदन किया है। इनमें इलाहाबाद के करीब 20 से 25 प्रतिशत व्यापारी शामिल हैं।

सरेंडर से पहले लगाई शर्त

वादे के अनुसार गवर्नमेंट ने 20 लाख रुपये से कम का एनुअल टर्न ओवर करने वाले व्यापारियों को जीएसटी से बाहर आने का मौका तो दे दिया है। लेकिन जीएसटी काउंसिल ने ऐसे व्यापारियों के लिए एक शर्त लगा दी है। जो व्यापारी जीएसटी से बाहर आने की अनुमति मांग रहे हैं उनके खातों के साथ ही स्टॉक का वेरीफिकेशन कराया जाएगा। क्या टर्न ओवर था पिछले साल का, खातों का ट्रांजेक्शन और खर्च क्या है, इसका पता लगाया जाएगा। वेरिफिकेशन के बाद ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैंसिल होगा।

रजिस्टर्ड हैं 30-35 हजार व्यापारी

जीएसटी लागू होने के बाद वैट में रजिस्टर्ड व्यापारियों ने जीएसटी में माइग्रेशन और रजिस्ट्रेशन कराया। इलाहाबाद में रजिस्टर्ड व्यापारियों की संख्या 35 हजार के करीब पहुंच गई। रजिस्टर्ड व्यापारियों में करीब 20-25 प्रतिशत व्यापारियों ने जीएसटी सरेंडर कर कैंसिलेशन का आवेदन किया है।

व्यापारी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के लिए सरेंडर कर सकता है यदि

- यदि कारोबार 20 लाख रुपये से कम है

- एक मात्र स्वामित्व के मामले में मालिक की मृत्यु हो गई हो

- अगर व्यापारी जीएसटी के लिए उत्तरदायी नहीं है। क्योंकि अपना व्यवसाय या पेशा बंद कर रहे हैं

जीएसटी अधिकारी द्वारा जीएसटी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है कैंसिल, यदि

- अगर संगठन ने जीएसटी के खिलाफ किसी भी कानून का उल्लंघन किया है

- पंजीकृत व्यापारी ने लगातार तीन वर्षो तक टैक्स दाखिल नहीं किया है

- अगर पंजीकरण प्रक्रिया धोखाधड़ी के तरीके से किया गया है

- अगर पंजीकृत कंपनी जीएसटी पंजीकरण के बाद पिछले छह महीनों से किसी भी व्यवसाय का निर्माण नहीं कर पाई है

जीएसटी कैंसिलेशन के लिए ये करना होगा

- सबसे पहले जीएसटी पोर्टल पर लॉग इन करने के साथ कैंसिलेशन ऑफ प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करना होगा

- कैंसिलेशन पेज ओपेन होने के बाद व्यापारी का जीएसटीआईएन और बिजनेस का नाम अपने आप शो करेगा

- व्यापारी को जीएसटी कैंसिलेशन आवेदन का कारण बताना होगा

- व्यापारी से पूछा जाएगा कि क्या आपने महीने भर में कोई कर चालान जारी किया है

- इसके बाद अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का विवरण देना होगा

- अंत में ईवीसी के साथ साइन अप करना होगा कि बिजनेस एक स्वामित्व है या पार्टनरशिप में

- अगर करदाता कोई भी टैक्स चालान जारी कर चुका है तो जीएसटी आरईजी-16 को दायर करने की जरूरत है

जिन व्यापारियों का एनुअल टर्न ओवर 20 लाख रुपये से कम है, वे जीएसटी रजिस्ट्रेशन सरेंडर के लिए जीएसटी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। लेकिन रजिस्ट्रेशन कैंसिलेशन से पहले फर्म के ब्योरे की जांच होगी। इलाहाबाद में भी कुछ व्यापारियों ने आवेदन किया है।

आरके कुरील

असिस्टेंट कमिश्नर सेल्स टैक्स

ग्रेड-1

वैट में जहां पांच लाख रुपये के टर्न ओवर तक बिजनेस की छूट थी। वहीं जीएसटी में छूट का दायरा 20 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके बाद भी तमाम व्यापारी जीएसटी के चंगुल से बचना चाहते हैं। ऐसे में अधिक टर्न ओवर वाले व्यापारी जीएसटी से बाहर न हो जाएं, इसलिए जीएसटी काउंसिल ने जांच का सिस्टम बना दिया है।

महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष, कैट

फैक्ट फाइल

30

प्रतिशत व्यापारियों ने आल इंडिया लेवल पर जीएसटी से बाहर जाने की अनुमति मांगी

95

हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ पर पहुंच गया है राजस्व का आंकड़ा

83

हजार करोड़ था पिछले वर्ष, इस महीने 80 हजार करोड़ आ गया है

30

प्रतिशत व्यापारी बाहर हुए तो और हो जाएगा कम

20

लाख से कम टर्नओवर वालों को बाहर जाने की अनुमति मिलेगी जांच के बाद

बॉक्स

50 प्रतिशत ही भर पाए ट्रान-1

जीएसटी काउंसिल द्वारा 27 दिसंबर ट्रान वन फार्म भरने की लास्ट डेट निर्धारित की गई थी, जो बुधवार को खत्म हो गई। लेकिन इलाहाबाद में करीब 50 प्रतिशत व्यापारी ही ट्रान वन फार्म भर पाए। जो व्यापारी ट्रान-1 फार्म नहीं भर सके, उनका इनपुट क्रेडिट फंस जाएगा। इनपुट जो कटा होगा, उसका भी लाभ नहीं मिलेगा। डेट खत्म हो गई है, और बढ़ने की उम्मीद फिलहाल नहीं है।