आई एक्सक्लूसिव

स्लग: अवैध चारकोल व लकड़ी की तस्करी का मामला, सिटी के 150 से ज्यादा कारोबारी राडार पर

-विभाग को लगातार मिल रही हैं गुप्त सूचनाएं, जल्द बड़ा ऑपरेशन चलाने की तैयारी

>abhishek.sinha@inext.co.in

RANCHI(07 April): वन विभाग के निशाने पर सिटी के 150 से ज्यादा कारोबारी हैं, जो अवैध चारकोल व लकड़ी की तस्करी में शामिल हैं। ऐसे कारोबारियों के खिलाफ विभाग बड़ा ऑपरेशन चलाने की तैयारी में है। विभाग को लगातार सूचनाएं मिल रही हैं कि अवैध तरीके से चारकोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही लकड़ी का अवैध भंडारण व ट्रांसपोर्टिग भी किया जा रहा है। इस संबंध में वन संरक्षण पदाधिकारी वाईके दास ने कड़ा निर्देश जारी किया है। कहा है कि चारकोल के अवैध इस्तेमाल व लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब हो कि विभाग को ऐसी सूचनाएं पहली भी मिल चुकी हैं और इसपर कड़ाई से पाबंदी लगाई गई है। लेकिन, हाल के दिनों में एक बार फिर तस्करों का कारोबार फलने-फूलने लगा है, जिसकी सूचनाएं वन विभाग के आला अधिकारियों को भी मिल रही हैं।

खरीद-बिक्री के दस्तावेजों की होगी जांच

सिटी के व्यवसायियों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है कि वन उत्पादों की खरीद-बिक्री से सबंधित दस्तावेजों की जल्द से जल्द विभाग में जांच कराएं। ट्रांसपोर्टिग परमिट और माल खरीद के सभी पेपर जमा करवाने का ि1नर्देश है।

खुफिया सूचनाओं को खंगाल रहा विभाग

विभाग को लगातार रांची के व्यवसायियों के खिलाफ चारकोल, लकड़ी समेत अन्य वनोत्पादों के अवैध इस्तेमाल की सूचनाएं मिल रही हैं। विभाग के अधिकारी इन खुफिया सूचनाओं की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। साथ ही संदिग्ध व्यवसायियों पर भी नजर बनाए हुए हैं।

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ज्वेलर्स, टिंबर व्यवसायियों समेत कइर् बड़े नाम

उल्लेखनीय है कि चारकोल व लकड़ी का अवैध इस्तेमाल ज्यादातर टिंबर व्यवसायी, सोना-चांदी के कारोबारी, होटल व्यवसायी समेत अन्य लोगों द्वारा किया जाता है। फारेस्ट डिपार्टमेंट ऐसे व्यवसायियों की पूरी सूची बना रहा है। साथ ही इनके प्रतिष्ठानों की भी जांच करने की तैयारी है।

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क्या कहता है कानून

वन विभाग का परमिट या लाइसेंस लिये बिना कोई भी व्यक्ति या प्रतिष्ठान चारकोल, लकड़ी या अन्य वनोत्पादका प्रयोग नहीं कर सकते है। किसी को भी इसका इस्तेमाल करने से पहले वन विभाग को विस्तृत विवरणी देनी होती है। साथ ही वन विभाग द्वारा जारी किए गए लाइंसेसधारक के पास से ही किसी भी तरह का वनोत्पाद खरीद सकते हैं। दस्तावेजों के बिना इनका प्रयोग गैरकानूनी है और दोषियों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 42 के तहत कार्रवाई की जाती है।

वर्जन

ऐसे मामलों में नो वार्निग, सीधे एक्शन लेने का प्रावधान है। विभाग को लगातार सूचनाएं मिल रही हैं और इसपर रिव्यू भी हो रहा है। हाल के दिनों में कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इसलिए विभाग भी बड़े ऑपरेशन की तैयारी में है।

-वाईकेदास, वन संरक्षण पदाधिकारी, रांची