- शहर में कारोबारियों संग बढ़ रही हैं आपराधिक वारदातें, निशाने में सर्राफ, आये दिन हो रही है लूटपाट

- पिछली लूट की लगभग आधा दर्जन वारदातों में से अब तक किसी का नहीं हो सका खुलासा

VARANASI :

सेवा में

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,

वाराणसी।

एसएसपी साहब आपके ही हाथ में हमारी सुरक्षा की कमान है। आप चाहें तो क्रिमिनल्स की इतनी औकात नहीं कि वो सिर उठाकर चल सकें लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकी मौजूदगी के बाद भी आपकी हनक किसी क्रिमिनल पर नहीें दिखती। अगर ऐसा नहीं है तो फिर आये दिन व्यापारियों को बदमाश कैसे निशाना बना रहे हैं? लूट, रंगदारी जैसी वारदातों से कारोबारी सहम गए हैं। उनके सामने ये बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है कि हम सेफ कहां हैं? हमारा रुपया और सामान कहा सुरक्षित है? ये सवाल इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि कारोबारी पाई-पाई जुटा कर कारोबार करता है लेकिन चोर और लुटेरे एक झटके में उसे कंगाल कर देते हैं। मुश्किल ये है कि अगर दुकान का माल या दिन भर की ब्रिकी का रुपया दुकान में छोड़ो तो चोरों का डर और अगर साथ लेकर घर जाओ तो लूट की चिंता। ऐसे में आप ही बताइये एसएसपी साहब हम कारोबार करें या घर पर बैठें। अगर आप चाहते हैं कि हम कारोबार करें तो प्लीज कुछ करिये और हमारे ऊपर मंडरा रहे खतरे को दूर करिये।

आशा और उम्मीदों के साथ

बनारस के कारोबारी

जोड़ते हैं पाई-पाई, अपराधी लूट लेते हैं कमाई

इन दिनों अपने शहर बनारस का हाल बहुत बुरा है। क्राइम पॉइंट ऑफ व्यू से बनारस यूपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कहीं पीछे नहीं है। लूट, रेप, हत्या, स्नेचिंग और चोरी होना तो यहां रोज की बात हो गई है। हालांकि इन चीजों पर लगाम लगाने के लिए बनारस में पुलिस की लंबी चौड़ी फोर्स है लेकिन किस काम की है ये फोर्स। जब क्रिमिनल ही इनसे नहीं डरते तो इनका होना न होना किस काम का। यही वजह है कि बनारस में इन दिनों कारोबारी दहशत में हैं। दहशत इस बात की कि कहीं कोई उनकी कमाई पर हाथ न साफ कर दे। दहशत इस बात की कि कहीं कोई उनको उनके परिवार से हमेशा के लिए दूर न कर दे। ये दहशत ही है कि आज कारोबारी अपनी सेफ्टी के लिए डेली एसएसपी समेत जिले के दूसरे अधिकारियों के दफ्तरों से चक्कर सिर्फ इसलिए काट रहे हैं कि उनको सुरक्षा मिले और वो अपना कारोबार सुकून से करें।

क्या होगा वही जाने

बनारस में कारोबारियों संग हो रही वारदातों से व्यापारी वर्ग सहमा है। महज जून के ख्भ् दिनों के भीतर ही बनारस के सर्राफा समेत दूसरे कारोबार से जुड़े लोगों को बदमाशों ने अपने निशाने पर लिया है। लूट की वारदातों ने कारोबारियों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वह अपना कारोबार करे या फिर बंद कर उसकी चाभियां एसएसपी को ही दे दे। हालांकि इस बारे में सिटी के अलग-अलग व्यापारी संगठनों का अलग-अलग मत है। वाराणसी व्यापार मंडल के पदाधिकारी इसके पीछे सरकार को दोषी मानते हैं। वहीं वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी इस लैक के लिए अधिकारियों के गलत ट्रांसफर नीति को दोषी मानते हैं। सर्राफ कारोबार से जुड़े लोग इन वारदातों पर लगाम न लगने के पीछे पुलिस पर सरकार को कोई जोर नहीं मानते हैं।

वर्जन व्यापारी

इस सरकार की ही गलती है। व्यापारी सेफ नहीं हैं और हमारे युवा मुख्यमंत्री यूपी में नये कारोबारियों को बुलाने में लगे हैं। व्यापारियों संग बढ़ रहे अपराध के बाद तो अब यहां से पलायन करने की नौबत आ गई है।

अशोक अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, काशी सर्राफा व्यापार प्रतिनिधि मंडल

कई बार इस मामले में अधिकारियों से मुलाकात हुई। अक्सर अधिकारी हमें ही अलर्ट रहने को कहते हैं। हम तो अलर्ट हैं ही तभी तो बचे हैं नहीं तो डेली हमारे साथ कोई न कोई वारदात हो लेकिन पुलिस तो पुलिस है क्या किया जाये।

-प्रभुशंकर सेठ, महामंत्री, काशी सर्राफा व्यापार प्रतिनिधि मंडल

आज बनारस में व्यापारी असुरक्षित है। कहीं किसी बदमाश में पुलिस का खौफ नहीं है। अधिकारी नेताओं के प्रेशर में काम कर रहे हैं। व्यापारी लूट रहे हैं। उनकी हत्या हो रही है लेकिन पुलिस है कि उनके पास वक्त ही नहीं है हमें सुरक्षा देने का।

-अजीत सिंह बग्गा, अध्यक्ष वाराणसी व्यापार मंडल

बनारस में ट्रांसफर-पोस्टिंग की व्यवस्था ही गलत है। यहां जब कोई नया पुलिस अधिकारी आता है तो दो तीन महीने बनारस को समझता है लेकिन जब तक वो बनारस को समझने के बाद कुछ करने की सोचता है तो उसका ट्रांसफर हो जाता है।

-संजीव सिंह बिल्लू, महामंत्री वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मंडल

हर बार व्यापारी ही लुटता है। इस बार भी सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण व्यापारियों संग क्राइम बढ़ा है। पता नहीं कब रुकेगा ये सब और कब सरकार इस पर ध्यान देगी?

-आरके चौधरी, अध्यक्ष, रामनगर इंडस्ट्रियल स्टेट

व्यापारी वर्ग संग बढ़ रही वारदातों से हर कोई चिंतित है। हम सोच रहे थे कि अब घटनाएं कम होंगी। अब हमें राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। इसलिए अब हम अपना कारोबार बंद कर सड़कों पर उतरने का काम करेंगे।

-संदीप चतुर्वेदी, महामंत्री केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

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